छत्तीसगढ़ सरकार आदिवासियों के भगवान बिरसा मुंडा, प्रवीर चंद्र भंज देव के नाम पर रखेगी महाविद्यालयों, शाला भवनों के नाम

रायपुर। विगत शिक्षण सत्र में अनेक महाविद्यालयों, शाला भवनों का उद्घाटन प्रदेश के विभिन्न जिलों में किया गया है। इससे आस जगी है कि आने वाले समय में ग्रामीण क्षेत्रों में किसी को उच्च शिक्षा से वंचित नहीं होना पड़ेगा और विद्यार्थियों के एक सुनहरे भविष्य का निर्माण होगा।
प्रदेश में आदिवासी समाज सहित विभिन्न संगठनों की राय है कि समस्त नए महाविद्यालयों, शाला भवनों का नामकरण आदिवासियों के भगवान बिरसा मुंडा, प्रवीर चंद्र भंज देव के नाम पर रखा जाए ताकि आने वाली पीढ़ियों को पता चले कि आदिवासी समाज के उत्थान के लिए किस प्रकार से इन्होंने संघर्ष किया और अपने जीवन की आहुति दी।
इस लिंक पर पढ़ें कौन थे बिरसा मुंडा https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AC%E0%A4%BF%E0%A4%B0%E0%A4%B8%E0%A4%BE_%E0%A4%AE%E0%A5%81%E0%A4%82%E0%A4%A1%E0%A4%BE
समस्त नए महाविद्यालयों, शाला भवनों का नामकरण आदिवासियों के भगवान बिरसा मुंडा, प्रवीर चंद्र भंज देव के नाम पर रखे जाने पर छत्तीसगढ़ के आदिवासी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को पता चलेगा कि बिरसा मुंडा, प्रवीर चंद्र भंज देव ने किस प्रकार आदिवासियों के हित में अपना बलिदान दिया। नामकरण का यह काम बड़े प्रयास की ओर छोटा सा कदम होगा।
कोरबा जिले में ही तीन ऐसे महाविद्यालयों की स्वीकृति दी गई है। कटघोरा के बेसिक पूर्व माध्यमिक शाला भवन में जिले का पहला कृषि महाविद्यालय जहां अनुसंधान की सुविधा भी उपलब्ध रहेगी। इसके साथ ही ग्राम उमरेली के साथ ही आदिवासी बहुल रामपुर में भी एक महाविद्यालय का उद्घाटन किया गया था।

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