एस्ट्रो निशांत : शुभ-अशुभ..पुनर्वसु नक्षत्र में नरेंद्र मोदी का शपथ ग्रहण
नरेंद्र मोदी रविवार शाम को लगभग 6 बजे तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने की शपथ लेंगे। सूत्रों के हवाले से पहले कहा जा रहा था कि यह समारोह शनिवार को होगा।
रविवार को संध्या लगभग 8:22 तक पुनर्वसु नक्षत्र है लेकिन इसके बाद पुष्य नक्षत्र आरंभ हो जायेगा।
पुनर्वसु नक्षत्र में शपथ लेने से क्या हो सकता है?
पुष्य नक्षत्र में शपथ लेने की स्थिति में क्या हो सकता है बता रहे हैं एस्ट्रो निशांत..
नमस्कार मित्रों,
ऐसी खबर आ रही है ,कि हमारे प्रिय नरेंद्र मोदी जी तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने वाले हैं ।
जिसके लिए उन्होंने 9 तारीख शाम 6:00 बजे का वक्त चुना है।
इस वक्त चंद्रमा पुनर्वसु के चौथे चरण में शाम 6:00 लगभग वृश्चिक लग्न होगी । शुभ चौघड़िया है और होरा स्वामी शाम 6:07 पर शुक्र अपना भार बुद्ध के हाथ में दे देगा और उसी के अंतर्गत यह कार्य होने वाला है।
जिन नक्षत्र को हम बहुत शुभ मानते हैं वह वास्तव में शुभ नहीं होते पुनर्वसु का मतलब होता है बार-बार बसा बार-बार मजबूत होना।
जहां हम बार-बार विषय लेते हैं इसका मतलब है इस सरकार में बार-बार परेशानियां आएंगे।
जिससे बार-बार मोदी जी को अपने आप को स्थापित करना होगा।
चंद्रमा कर्क राशि में कर्क नवांश का है जिसके त्रिकोण में राहु बैठा है।
यह इस बात का संकेत देता है कि धोखा जरूर प्राप्त होगा।
चंद्रमा के आगे केतु का संबंध इस बात की पुष्टि करता है।
की 16 महीने बाद हालात नकारात्मक होंगे।
वहीं पर इसकी अशुभता डेढ़ महीने बाद से शुरू हो जाएगी।
सत्ता में स्थिर रहने के लिए पुनर्वसु के बजाय पुष्य नक्षत्र मुझे अधिक बेहतर लगता है।
क्योंकि उसका स्वामी शनि स्थिर अवस्था में चौथे भाव में बैठा रहेगा।
खैर जो होता है वह नियति को पहले से पता होता है।
अब हम देखेंगे आगे घटनाएं किस रूप में बदलती हैं और हम शपथकालीन कुंडली का विशेष एनालिसिस करने का प्रयास करेंगे।
अभी तो हमने एक अंदाजन प्रयास किया है।
हम सभी की शुभकामनाएं कि हमारे प्रधानमंत्री को अपना कार्यकाल पूरा करने के साथ ही आने वाले चुनाव में और अधिक जीत करने का साहस प्राप्त हो।
धन्यवाद।