राजीव मिश्रा : परिणाम 2024.. वे इन जहरीले तत्वों को न्यूट्रलाइज करने में कितने सफल होते हैं..

आज यह प्रश्न नहीं है कि चुनाव कौन जीतेगा और सरकार किसकी बनेगी. यह प्रश्न रोचक तो है, पर थोड़ा अप्रासंगिक है कि सीटें 330 आएंगी या 350.

महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि यह सरकार जब चुन कर वापस आयेगी तो उन लोगों से कैसे और कितनी निर्णयकता से निबेटेगी जो देश में आग लगाने की तैयारी किए हुए हैं.

पूरे चुनाव प्रचार के दौरान राहुल गांधी देश को हर संभव तरीके से बांटने और आग लगाने वाले बयान देते रहे. कभी देश को उत्तर और दक्षिण के नाम पर बांटने में लगा रहा, कभी जाति के नाम पर जहर घोलते रहे, और कभी सबकी संपत्ति छीनकर बांट देने की बात करने वाली लुटेरी कम्युनिस्ट मानसिकता फैलाते रहे. यह चुनाव राहुल गांधी ने जीतने के लिए लड़ा ही नहीं है, उसकी उसको भी कोई उम्मीद ही नहीं थी. उसका चुनाव प्रचार पूरी तरह से देश को बांटने पर केंद्रित रहा है, हर संभव तरीके से. हम और आप जब चुनाव के परिणाम देख रहे होंगे तो राहुल गांधी और उसकी टीम अपने प्रयासों के परिणाम देख रहा होगा. कहां कहां समाज सुलगा, कहां कहां से लपटें उठीं, कहां कितनी दरारें पड़ीं यह गणित लगा रहा होगा. हमारे और उसके लिए सफलता के पैमाने अलग हैं.

मोदी की सफलता सिर्फ अपनी सफलता में नहीं है, चुनाव जीतने और विकास कार्य करने में नहीं है. उनकी सफलता का एक पैरामीटर यह भी होगा कि वे इन जहरीले तत्वों को न्यूट्रलाइज करने में कितने सफल होते हैं. आलीशान घर बनाने का क्या लाभ अगर उधर आपके पीछे कोई उसकी नींव में डायनामाइट लगा रहा हो.

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