बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान का असर: लिंगानुपात बढ़ने के साथ ही शिक्षा और आर्थिक मामलों में भी बेहतर हो रही हैं बेटियां

पूरे देश में कुल जनसंख्या (प्रति 1000 पुरुषों पर महिलाएं) का लिंग अनुपात 1020 है।

देश में ऐसे अनेक विषय हैं, जिनके बारे में कुछ साल पहले तक चर्चा तो होती थी, लेकिन कोई ठोस कदम न उठाने और जागरूकता की कमी की वजह से वे विषय धीरे-धीरे समस्या में बदलते गए। महिलाओं की भूमिका और बेटियों की संख्या में कमी एक ऐसी ही गंभीर समस्या होती जा रही थी। लेकिन साल 2015 बेटी पढ़ाओ और बेटी बचाओ जैसे अभियान की शुरुआत हुई। इस योजना के माध्यम से तब से लगातार बालिकाओं के अस्तित्व, सुरक्षा और शिक्षा को सुनिश्चित किया जा रहा है। लिंगानुपात में सुधार करने का भी इस योजना के माध्यम से प्रयास किया गया। यही वजह है कि योजना से देश में महिलाओं की संख्या पुरुषों से ज्यादा है और महिलाओं के स्वास्थ्य में भी पहले से ज्यादा सुधार हुआ है।

तीन मंत्रालयों द्वारा कार्यान्वित 
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना से पूरे जीवन-काल में शिशु लिंगानुपात में कमी को रोकने में मदद मिलती है और महिलाओं के सशक्तिकरण से जुड़े मुद्दों का समाधान होता है। यह योजना तीन मंत्रालयों द्वारा कार्यान्वित की जा रही है अर्थात महिला और बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्रालय तथा मानव संसाधन मंत्रालय। बालिकाओं को महत्व देने के संबंध में राष्ट्र की मानसिकता में बदलाव लाने की दिशा में सामूहिक चेतना को जगाना है।

बेटियों को मिलेगा कौशल का ज्ञान

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के सकारात्मक परिणाम आने के बाद केंद्र सरकार ने इसे संशोधित करके एक नया रूप दिया है। इस योजना के तहत कुछ नई पहल जैसे-बालिकाओं को कौशल प्रदान करने, माध्यमिक शिक्षा में उनका नामांकन बढ़ाने, मासिक धर्म संबंधी स्वच्छता के बारे में उन्हें जागरूक करने और बाल विवाह को समाप्त करने आदि को शामिल करने की योजना है।

योजना की उपलब्धियां

कुछ समय पहले केन्द्र सरकार की महिलाओं के लिए योजनाओं पर एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने कहा कि केन्द्र सरकार ने लिंगानुपात को बनाए रखने के लिए बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरुआत की जिसके कारण आज जन्म के समय लिंगानुपात में सुधार होकर प्रति 1000 पुरुषों के मुकाबले 934 महिला हो गई है। साल 2014 में यह आंकड़ा 918 था।
–इसके अलावा स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-5) की 5वीं रिपोर्ट के अनुसार, पूरे देश में कुल जनसंख्या (प्रति 1000 पुरुषों पर महिलाएं) का लिंग अनुपात 1020 है।

–करीब 45 लाख बालिकाओं के लिए स्कॉलरशिप दी जा रही है। 3.18 करोड़ से ज्यागा सुकन्या समृद्धि अकाउंट्स खोले जा चुके हैं।

–बच्चियां बचाने के लिए  घरेलू हिंसा, यौन हिंसा जैसी बुराइयों के खिलाफ भी तमाम योजनाओं और संस्थाओं के माध्यम से जागरूक किया जाता है। साथ ही उन्हें हेल्पलाइन के जरिए हर तरह की कानूनी मदद और सुझाव भी दिए जाते हैं। आज देश में बेटियां हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं देश का नाम रोशन कर रही हैं।

इसके अलावा भी धरती से लेकर आसमान तक, खेल से लेकर राजनीति के गलियारों में बेटियां अपनी अलग जगह पक्की कर रही हैं। बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान के अलावा भी बेटियों को सशक्त बनाने के लिए बालिका समृद्धि योजना, सुकन्या समृद्धि योजना,धनलक्ष्मी योजना जैसे तमाम स्कीम है, जिसके तहत आज के समय में बेटियों को पढ़ाना और उन्हें आगे बढ़ाने में धन की कमी आड़े नहीं आ सके।

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