चंदर मोहन अग्रवाल : मोदी ने 2030 का लक्ष्य 2024 में पाया.. ऐसा संकल्प अमेरिका, रूस, चीन, जापान, या यूरोप का कोई और देश भी नहीं कर सका…

लिखना तो कल चाहता था पर अपने आप को रोक न पाया।

इंडिया बन सकता है ग्रीन हाइड्रोजन फ्यूल हब, पर्यावरण को मिलेगा संरक्षण। Zero emmission fuel यानी ऐसा ईंधन जिससे कार्बन का उत्सर्जन शून्य हो। यानी पर्यावरण की सम्पूर्ण रक्षा करने वाला ईंधन।

2030 तक, भारतीय सरकार 40 प्रतिशत नॉन-फॉसिल फ्यूल का इस्तेमाल करना चाहती है. नॉन फसिल फ्यूल मतलब ऐसा ईंधन जिसको जलाया न जाये।

देश में ग्रीन हाइड्रोजन फ्यूल से चलने वाले वाहनों को अपनाना अभी भी शून्य के आसपास है. भारत में, वाहन निर्माताओं ने अभी तक हाइड्रोजन फ्यूल सेल वाहनों को अभी मार्किट में पेश नहीं किया है जो पूरी तरह से एमिशन मुक्त हों, हाँ टाटा ने कुछ बसें जरूर हाइड्रोजन फ्यूल पर चलने वाली बनाई हैं या सुनने में आया है कि नितिन गडकरी जी ने अपने लिए एक हाइड्रोजन कार बनवाई है।

उधर साइंस एंड टेक्नोलॉजी मिनिस्टर जितेंद्र सिंह का मानना ​​है कि भविष्य में भारत में ग्लोबल ग्रीन हाइड्रोजन हब बनने की क्षमता रखता है. फ्यूल सलूशन के रूप में हाइड्रोजन न केवल फॉसिल फ्यूल बल्कि इलेक्ट्रिक पावरट्रेन के विकल्प के रूप में तेजी से लोकप्रिय हो रहा है. इस बारे में बोलते हुए, केंद्रीय मंत्री ने कहा कि एमिशन को कम करने के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए अनडिवाइडेड एनर्जी का निवेश किया जाना चाहिए. अपने बयान में उन्होंने आगे कहा कि, “ग्रीन हाइड्रोजन न केवल हमें एमिशन में कटौती करने में मदद करेगा, बल्कि यह हमारे देश के आत्मनिर्भर बनने के प्रधान मंत्री मोदी के दृष्टिकोण के अनुरूप भारत को कई कार्यक्षेत्रों में सहायता करेगा”.

उन्होंने यह भी कहा कि अब समय आ गया है कि हर कोई भारत को ग्रीन हाइड्रोजन हब बनाने की दिशा में सामूहिक रूप से काम करे. दुनिया चाहे तो भारत में निवेश करके वो इस गाड़ी में अपनी सहभागिता निश्चित कर सकती है वर्ना भारत तो निश्चित इसमें अग्रनी देश बन कर रहेगा।

मंत्री जी ने आगे कहा कि, हमारे पास पूरे विश्व के लिए क्लीन हाइड्रोजन एनर्जी को सुगम बनाने की क्षमता है, यह संपन्न होने लायक दुनिया बनाने का सही समय है। आइए भारत के साथ अपना जॉइंट वेंचर कर सुनहरा भविष्य सुनिश्चित करें।

मंत्री के अनुसार, उनके द्वारा बनाया गया यह पोर्टल देश भर में हाइड्रोजन रीसर्च, प्रोडक्शन, स्टोरेज, ट्रांसपोर्टेशन और एप्लीकेशन की जानकारी के लिए वन-स्टॉप शॉप के रूप में काम करेगा। यह भारत सरकार की हाइड्रोजन पॉलिसी का हिस्सा है।

2030 तक, सरकार 40 प्रतिशत नॉन-फॉसिल फ्यूल का इस्तेमाल करना चाहती है. यह देश की मौजूदा स्थिति में सुधार लाने और ग्रीन हाइड्रोजन इकोसिस्टम के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान देने का इरादा रखता है ताकि जीवन को आसान और सुरक्षित बनाया जा सके।

भले ही भारत में इलेक्ट्रिक वाहन अभी भी अपनी प्रारंभिक अवस्था में हैं, फिर भी वे ग्राहकों की काफी रुचि आकर्षित कर रहे हैं। हालांकि, देश में ग्रीन हाइड्रोजन फ्यूल से चलने वाले वाहनों को अपनाना अभी भी शून्य के आसपास है। भारत में, वाहन निर्माताओं ने अभी तक हाइड्रोजन फ्यूल सेल वाहनों को पेश नहीं किया है जो पूरी तरह से एमिशन मुक्त हों. इसका मुख्य कारण महंगी विकास लागत है, जो वाहनों की खरीद लागत को बढाती है. इसके साथ ही हाइड्रोजन एनर्जी का प्रोडक्शन भी अभी एक महंगा सौदा है. एक कट्स के अनुसार 2030 थ हाइड्रोजन अन्य फ्यूल से सस्ता हो जाएगा और 2050 तक इसकी कीमत अन्य फ्यूल्स के मुकाबले शायद 5% होगी।

इस लेख के बाद भारत की जनता से मेरी निजी एक अपील।

हमें लीडर वो चाहिए जिसकी सोच 2024 तक नहीं बल्कि 2050 और 2060 तक हो। मोदी जी ने पूरे विश्व से वायदा किया है भारत 2060 तक जीरो उत्सर्जन देश बन जायेगा। ऐसा वायदा अभी तक अमेरिका, रूस, चीन, जापान, या यूरोप का कोई और देश भी नहीं कर सका। मोदी जी ने 2030 तक 40% नॉन फसिल फ्यूल इस्तेमाल करने का वायदा किया था जो उन्होंने विश्व रिकॉर्ड बनाते हुए 2024 तक का अपना टारगेट पूरा कर दिखाया है।

मेरा इस महान आत्मा को झुक कर प्रणाम।

और आपका?

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