NRI अमित सिंघल : अडानी पर अब रिपोर्टिंग निष्पक्ष दिखाने की बाध्यता..
पिछले दो सप्ताह तक अडानी के गिरते शेयर पर दंगा मचाने के बाद, प्रधानमंत्री मोदी को अप्रत्यक्ष रूप से अडानी की प्रगति से जोड़ने के बाद, आज कई विकसित राष्ट्रों से प्रकाशित होने वाला फाइनेंसियल टाइम्स लिख रहा है कि अडानी के एसेट्स (सम्पदा) रियल है, वास्तविक है, ना कि किसी आभासी धरातल (शेयर) पर टिके हुए है।
फाइनेंसियल टाइम्स अडानी की सम्पदा (बंदरगाह, बिजली, एयरपोर्ट, सीमेंट) का विश्लेषण करता है और इस निष्कर्ष पर पहुँचता है कि लोन के बाद भी अडानी के यह सभी एसेट्स हज़ारो करोड़ो रुपये का लाभ कमा रहे है; अडानी सीमेंट पर कोई लोन नहीं है। बल्कि सीमेंट एवं बंदरगाह का लाभ एवं कैश अडानी अपने कुछ उद्यमों को लोन से बचाने में लगा सकते है।
फिर फाइनेंसियल टाइम्स बतलाता है कि अडानी को भारतीय बैंको ने लोन उसकी एसेट्स (सम्पदा) को गिरवी रखकर दिया था; ना कि शेयर के बदले। अर्थात, शेयर के गिरने के बावजूद भी भारतीय बैंको एवं वित्तीय संस्थानों द्वारा अडानी को दिए गए लोन सुरक्षित है।
दूसरे शब्दों में, शेयर का भाव उठे या गिरे, अडानी अपनी सम्पदा उखाड़ कर कही नहीं भाग सकते है।
ऐसी रिपोर्टिंग आने का एक कारण यह भी हो सकता है कि अडानी को शार्ट (शेयर के दाम गिराकर लाभ कमाने वाला दांव) करने का प्रयास विफल हो गया है। अतः अब रिपोर्टिंग को निष्पक्ष दिखाने की बाध्यता हो गयी है।