सतीश चंद्र मिश्रा : अंग्रेजी नववर्ष का एक अन्य पक्ष

जनवरी से दिसंबर वाला यह वैश्विक केलेण्डर पूरी दुनिया समेत हमारे जीवन का अनिवार्य/अभिन्न अंग बन चुका है. अतः उसका स्वागत बवाल से नहीं दिल खोलकर करिये.

इस वैश्विक कैलेण्डर के नववर्ष का स्वागत हमें हमारे भारतीय नववर्ष के स्वागत सत्कार से ना रोकता है, ना टोकता है…

Veerchhattisgarh

जन्म प्रमाणपत्र हो या मृत्यु प्रमाणपत्र, स्कूल में प्रवेश हो या नौकरी/व्यवसाय का श्रीगणेश. तिथिनुसार संचालित होनेवाली जीवन की प्रत्येक छोटी बड़ी गतिविधि जनवरी से दिसम्बर के दायरे पर ही आधारित होती है. उसके अनुसरण का कहीं कोई विरोध ना कभी देखा ना कभी सुना…

अपने जन्मदिन, विवाह की वर्षगांठ का उत्सव क्या हम विक्रमी संवत वाले भारतीय कैलेंडर की तिथियों के अनुसार करते हैं.? जबाव है नहीं…

सच यह है कि जनवरी से दिसंबर वाले वैश्विक कैलेण्डर वर्ष की तिथियों के अनुसार ही जन्मदिवस और विवाह की वर्षगांठ की पार्टियों बधाइयों का दौर 365 दिन निर्बाध चलता रहता है. फेसबुक और सोशल मीडिया के सभी मंच ऐसी फोटुओं, बधाइयों से रोजाना पटे रहते हैं.

विवाह, गृहप्रवेश समेत सभी मांगलिक और शुभ कार्यों की तिथि हम भारतीय कैलेंडर के अनुसार शुभ अशुभ तिथियों पर विचार कर के भले ही निर्धारित करें लेकिन निमन्त्रण पत्र पर तिथि जनवरी-दिसंबर वाले कैलेंडर की ही छपवाते हैं. इसके लिए हमे कोई विवश नहीं करता, हम पर कोई दबाव नहीं डालता कि हम ऐसा करें. फिर उसी जनवरी-दिसंबर वाले कैलेंडर के नववर्ष के आगमन के स्वागत पर कुछ लोग इतना बवाल क्यों करते हैं.? इतना आगबबूला क्यों होते हैं.?

हर वर्ष  31 दिसम्बर से पहले ऐसे विरोध के स्वर देख सुन कर ऐसा प्रतीत होता है, मानो नववर्ष का स्वागत करते हुए एकदूसरे को शुभकामनाएं देनेवाले लोग कोई बहुत बड़ा पाप कर रहे हैं।?

ध्यान रहे कि चीन जापान कोरिया सरीखे देश हमसे ज्यादा आधुनिक और सम्पन्न हैं. ईसाइयत से भी उनका कोई लेनादेना नहीं है. लेकिन नववर्ष के स्वागत में बीजिंग टोक्यो सियोल यहां तक की सऊदी अरब और यूएई सरीखे इस्लामिक देशों के दुबई और शारजाह सरीखे शहर भी इस नववर्ष के स्वागत में दुल्हन की तरह सज जाते हैं.

इसका एक अन्य पक्ष भी है…

लखनऊ शहर की जनसंख्या 30 लाख से अधिक है. इस जनसंख्या में चीनी मूल के नागरिकों की संख्या सम्भवतः 2-3 हज़ार के बीच ही होगी. किन्तु मात्र 2-3 हज़ार की संख्या वाला चीनी मूल का वह भारतीय समुदाय अपनी संस्कृति अपनी सभ्यता का पर्व इतने उत्साह से मनाता है कि प्रत्येक वर्ष चाइनीज कैलेंडर के अनुसार फरवरी या मार्च माह की किसी तिथि में चीनी नववर्ष का जब शुभारंभ होता है उस दिन लखनऊ के प्रमुख बाजारों में टहलते घूमते हुए यह आभास मिल जाता है कि आज चीनी नववर्ष का प्रारम्भ हो रहा है. किन्तु यही चीनी समुदाय जो मुख्यतः रेस्टोरेंट, ब्यूटी पार्लर और दंत चिकित्सा के व्यवसाय से जुड़ा हुआ है, वो अंग्रेज़ी नववर्ष का स्वागत भी उसी उल्लास/उत्साह से करता है. उनके घर दुकान प्रतिष्ठान उसी तरह सजे होते हैं जिस तरह चाइनीज नववर्ष के प्रथम दिन सजते हैं. फ्रांस और हॉलैंड में रह चुके मेरे कुछ मित्र बताते हैं कि उन दोनों देशों में अंग्रेज़ी का चलन बहुत कम है. अंग्रेज़ी के प्रति उन देशों में एकतरह का उपेक्षा भाव है, उसे हेय दृष्टि से ही देखा जाता है. उन दोनों देशों में अपनी मातृभाषा का ही उपयोग होता है. लेकिन 31 दिसंबर की रात पेरिस और एमस्टर्डम भी नववर्ष के जश्न में दुल्हन की तरह सज जाते हैं.

हमारी रोजमर्रा की ज़िन्दगी का अभिन्न अनिवार्य अंग बन चुके इस वैश्विक कैलेण्डर के नववर्ष का स्वागत हमे हमारे भारतीय नववर्ष के स्वागत सत्कार से ना तो रोकता है ना टोकता है…

अतः सच को स्वीकारिये कि अंग्रेज़ी केलेण्डर पूरी दुनिया समेत हमारे जीवन का अनिवार्य/अभिन्न अंग बन चुका है. उसका स्वागत किसी विरोध या बवाल से नहीं दिल खोलकर करिये।

 

 

सभी मित्रों को नववर्ष 2022 की अनेकानेक अशेष शुभकामनाएं…!!!?

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