कौशल सिखौला : निमंत्रण तिरस्कार कितना भारी.. कार्यकर्ता जानते हैं नेता नहीं…

किसी ने कभी सोचा था कि सदियों की प्रतीक्षा के बाद जब राम के अपनी जन्मस्थली पर आने के दिन आएंगे तो देश का एक वर्ग इस तरह रोआराट मचाएगा ? छाती पीट पीटकर अपशकुनी होने का तमगा पाएगा ? अपने बाल नोच नोचकर सवाल पर सवाल खड़े करेगा ? इतनी चिढन और कुढन फैलाएगा मानों मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा से उनका सर्वस्व लुट जाएगा , उजड़ जाएगा ? वह भी भारत जैसे आस्थावान देश में?

नहीं सोचा न ! भला भारत जैसे आस्थावान देश में कोई सोच भी कैसे सकता है ? पर देख लीजिए ! मंगल मंगल के गान के बीच कुछ भाई लोग कैसा कोहराम मचा रहे हैं , रुदन फैला रहे हैं , हाय तौबा कर रहे हैं?

बुरा लगता है । सारा देश राममय है । नगर नगर संकीर्तन , समारोह , शोभायात्राओं , महाआरती और महाभोजों की तैयारी है । जो लोग मंदिर में रामलला के दर्शन शुभारंभ से दुःखी हैं , उन पर तरस भी आता है और गुस्सा भी । सब जानते हैं कि कारण राजनैतिक हैं । यद्यपि राजनीतिक दलों के आम कार्यकर्ता अपने नेताओं के मंदिर बहिष्कार से काफी नाखुश हैं । उन्हें जनता का सामना करने में परेशानी हो रही है । आम जनता , जो मतदाता भी है , सवाल कर रही है कि आपकी पार्टी के नेता राम मंदिर क्यों नहीं जा रहे ? दरअसल राम के निमंत्रण का तिरस्कार आने वाले दिनों में कितना भारी पड़ेगा , राजनीतिक पार्टियों के कार्यकर्ता जानते हैं , नेता नहीं जानते?

परन्तु कोई क्या कर सकता है । सबकी अपनी अपनी किस्मत लिख दी रामजी ने । सब वही करेंगे जो प्रारब्ध है या फिर भविष्य है । कल्पना भी नहीं की जाती कि भारत जैसे सनातन देश में राम का विरोध हो रहा है और टाइम स्क्वायर पर राम आगमन की तैयारी ! बुर्ज खलीफा पर राम को लाने की चर्चा है । इस अवसर को भुनाने के लिए देश दुनिया के इवेंट मैनेजमेंट समूह इन दिनों व्यस्त हैं । देश के प्रधानमंत्री का विधान उपवास शुरू हो चुका है । राम आगमन के नए नए गीत और भजन बाजार में लाने के लिए दर्जनों म्यूजिक लॉन्च कंपनियां एक्टिवेट हो चुकी है । लगता है त्रेतायुग का उदय कलियुग में हो रहा है।

सच कहें –
राम नाम की लूट है
लूट सके तो लूट
अंतकाल पछताएगा
जब प्राण जाएंगे छूट

गोस्वामी तुलसीदास कहते हैं कि जो राम नाम का सहारा लिए बगैर परमार्थ और मोक्ष की कामना करते हैं , वे मानों बरसते हुए बादलों की बूंद पर चढ़कर आकाश चढ़ना चाहते हैं । पर राम नाम का सहारा लिए बगैर परमार्थ की प्राप्ति असंभव है –
राम नाम अवलंब बिनु
परमारथ की आस
बरसात बारिद बूंद गहि
चाहत चढ़न अकास

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *