बालको की पहल से महिलाएं बन रही हैं सशक्त एवं आत्मनिर्भर
बालको सक्रिय रूप से महिलाओं को अवसर, कौशल और समर्थन के साथ सक्षम बना रहा है जो यह सुनिश्चित करता है कि वे न केवल बाधाओं को दूर करें बल्कि अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा बनकर उभरें। आत्मनिर्भर, दृढ़ संकल्प और सफलता की ये कहानियाँ नवरात्रि का प्रतीक हैं, जहाँ महिलाएँ चुनौतियों का सामना करके अपने भविष्य को उज्जवल बना रही हैं।
बालको में कार्यरत स्नातक प्रशिक्षु हिमांशी गुप्ता पॉटलाइन फ़ंक्शन में कार्य करती हैं, जो कंपनी के ऑपरेशन क्षेत्र में काम करने वाली कई महिला पेशेवरों में से एक हैं। ऑपरेशन क्षेत्र पुरुषों के लिए उपयुक्त है इस धारणा को पीछे छोड़ती हिमांशी ने संगठन को मजबूत किया है। स्मेल्टर में काम करने की बात सुनकर लोग पूछते हैं कि क्या मेरे आसपास कोई महिला सहकर्मी है। मेरा जवाब होता है कि एक नहीं बल्कि कई हैं। मुस्कुराते हुए वह आगे कहती हैं कि कई युवा लड़कियां और उनके माता-पिता विनिर्माण उद्योग में करियर बनाने, शिक्षा और नौकरी की संभावनाओं के बारे में जानकारी प्राप्त करने में उत्सुकता व्यक्त करते हैं क्योंकि मैं उत्साहपूर्वक अपने काम के प्रति अपने जुनून को साझा करती हूं।
बालको में हेड-प्रोजेक्ट मैंनेजमेंट ऑफिसर के पद पर कार्यरत सुनीला एमवीएस न केवल बालको की विस्तार परियोजना की देखरेख करती हैं, बल्कि वह इंजीनियरों की एक टीम का मार्गदर्शन भी करती हैं जो उनके सहयोगी के रूप में कार्य करते हैं। वह कहती हैं कि प्रबंधकीय कौशल को लैंगिक सीमाओं तक सीमित नहीं किया जाना चाहिए। बालको में विविधता और समावेशन का अत्यधिक महत्व है जहां महिलाओं को समान अवसरों के साथ आगे बढ़ने का मौका मिलता है। मैं वर्तमान में एक महिला टीम का प्रबंधन करती हूं। एक प्रबंधक के रूप में मेरा लक्ष्य है कि मैं अपने युवा टीम के सदस्यों को उनके करियर में आगे बढ़ने और सफलता की सीढ़ियां चढ़ने के लिए प्रेरित करूं।
बालको अपनी विभिन्न महिला केंद्रित सामुदायिक विकास परियोजनाओं के माध्यम से कंपनी के साथ-साथ समुदाय में महिला को नेतृत्व करने के लिए तैयार किया है जो महिलाओं को सशक्त बना रहा है।
दोंदरो, छत्तीसगढ़ की सारिका अपने समुदाय की कई लड़कियों के लिए आशा की किरण बनकर उभरी हैं। वह माहवारी स्वास्थ्य एवं स्वच्छता के बारे में खुले मंच पर संवाद शुरू कर विभिन्न भ्रांतियों एवं बाधाओं को तोड़कर बदलाव की लहर का नेतृत्व करती हैं। समुदाय में एक पथप्रदर्शक के रूप में नेतृत्व करती सारिका को बालको की नयी किरण परियोजना के तहत प्रशिक्षित किया गया है, जिसका उद्देश्य माहवारी संबंधी मिथकों और भ्रातियों को खत्म करना तथा माहवारी के दौरान स्वच्छता प्रथाओं को विकसित करना है। सुरक्षित प्रजनन स्वास्थ्य सुनिश्चित करने के लिए व्यापक माहवारी स्वास्थ्य प्रबंधन (एमएचएम) क्षमता निर्माण से जुड़ा है। सारिका कहती हैं कि मैं सैनिटरी नैपकिन खरीदने या किसी से माहवारी के बारे में बात करने से नहीं कतराती। बालको की नयी किरण परियोजना मेरे लिए आशा की किरण लेकर आया है। आज मैं अपने आस-पास के सभी लोगों को माहवारी को समझने और स्वस्थ, सुखी जीवन के लिए स्वच्छ प्रथाओं में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करती हूं।
सरकारी गर्ल्स हायर सेकेंडरी स्कूल में 10वीं की छात्रा दिव्या अपने शिक्षक की तरह बनने की इच्छा व्यक्त करती हैं। जब उनसे पूछा गया कि ऐसा क्यों है? वह अपनी शिक्षिका उर्मिला की ओर देखकर मुस्कुराती हैं और कहती हैं कि जब मैम मुझे पढ़ाती हैं तो मुझे पढ़ना अच्छा लगता है। उर्मिला उन कई सरकारी शिक्षकों में से एक हैं जिन्हें सीखने के लिए अधिक अनुकूल माहौल बनाने के लिए बालको के प्रोजेक्ट कनेक्ट के तहत शिक्षाशास्त्र और व्यावहारिक-आधारित मॉडल सिखाने के लिए व्यापक रूप से प्रशिक्षित किया गया है।
अवसर आपका दरवाजा जरूर खटखटाता है बस आपको उस अवसर के अनुरूप अपनी क्षमता को पहले से विकसित करना पड़ता है। 22 साल की काजल ने बिल्कुल वैसा ही किया वह वेदांता स्किल स्कूल में इलेक्ट्रिकल ट्रेड में सबसे कुशल छात्रा में से एक है। स्किल स्कूल बालको की सीएसआर परियोजना है जो युवाओं को स्थायी आजीविका के लिए कौशल प्रदान करता है। काजल अपनी अन्य महिला सहपाठियों की तरह हर दिन मेहनत करती हैं जिनका लक्ष्य आत्मनिर्भर बनना है। वह कहती हैं कि किसान परिवार से होने के कारण मैंने अपनी आजीविका में अनिश्चितताएं देखी हैं। बालको की मदद से मेरे आत्मविश्वास को मजबूती मिली और सभी बाधाओं को पार किया। इलेक्ट्रिकल ट्रेड के कौशल प्रशिक्षण में कदम रखा जिसने मेरा जीवन बदल दिया है। परिवार अब आय के स्थिर स्रोत के लिए मुझ पर निर्भर है और मेरे समुदाय की लड़कियाँ भी स्वतंत्र बनकर अपने परिवार का समर्थन करने के लिए मुझसे प्रेरणा ले रही हैं।
बालको की ‘छत्तीसा व्यंजन रेसिपी कार्यशालाओं’ से लाभान्वित प्रतिभागी धनेश्वरी ने कहा कि मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं चॉकलेट बनाने और उसे बेचने की कला एवं कौशल सीखूंगी। कार्यशाला से चॉकलेट बनाने के कौशल ने मुझे और अन्य प्रतिभागियों को आत्मनिर्भर बनाया, जिससे हस्तनिर्मित चॉकलेट बेचकर अतिरिक्त आय उत्पन्न करने में सक्षम बनाया है। आज मैं न केवल चॉकलेट उत्पादन और बिक्री में शामिल हूं बल्कि आजीविका के रूप में चॉकलेट बनाने की इच्छा रखने वाली अन्य महिलाओं को ट्रेनिंग देने का कार्य कर रही हूं। धनेश्वरी उन 5700 महिलाओं में से एक हैं, जिन्होंने वित्त वर्ष 2023 में उद्यमिता और स्थायी आजीविका के निर्माण के लिए बालको के प्रोजेक्ट उन्नति के तहत कौशल प्रशिक्षण प्राप्त किया है।
एक स्वस्थ और सशक्त माँ समृद्ध समाज का निर्माण करने की क्षमता रखती है। माताओं को उनके बच्चों के लिए आवश्यक पोषण के बारे में जानकारी देना मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य का एक महत्वपूर्ण पहलू है। शुरुआत से ही सही पोषण प्रदान करने से बच्चे की वृद्धि और समग्र विकास पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
माताओं और बच्चों के लिए पोषण के महत्व पर अपनी शैक्षिक जागरूकता पहल के माध्यम से बालको आसपास के समुदायों में माताओं को सशक्त बनाने में सफल रहा है। सलमा ने बताया कि कैसे इन सत्रों के माध्यम से उनके बेटे रुहान की सेहत में काफी सुधार हुआ था। सत्रों के माध्यम से उन्हें स्वस्थ खाने की आदतों और पौष्टिक भोजन के महत्व के बारे में पता चला। वित्त वर्ष 2023 में बालको के पीडी हर्थ सत्र के माध्यम से पोषण पुनर्वास के लिए पहचाना गया है, जिसमें सलमा के साथ अन्य 430 माताओं को अपने बच्चों के लिए एक उज्जवल और स्वस्थ भविष्य की कल्पना को साकार करने में मदद मिली है।
ये कहानियाँ उन परियोजनाओं की एक झलक मात्र है, जिनका जश्न बालको ने ऐसी दुनिया बनाने के अपने मिशन में मनाया है जहां हर महिला अपनी पूरी क्षमता का उपयोग कर सके। बालको में हमारा मानना है कि युवा लड़कियों और माताओं को बेहतर आजीविका और स्वतंत्रता के लिए सशक्त बनाना एक परिवर्तनकारी प्रक्रिया है, जिसमें शिक्षा, कौशल विकास, वित्तीय साक्षरता, स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच और लिंग आधारित बाधाओं को दूर करना शामिल है। वित्त वर्ष 2023 में 50 प्रतिशत से अधिक डायवर्स नियुक्तियां की गई हैं। बालको महिलाओं के जीवन को बेहतर बनाने की दिशा में कार्य करने के साथ-साथ समग्र रूप से समाज के विकास और प्रगति में भी योगदान दे रहा है।