बालको चिमनी दुर्घटना : याचिका निरस्त.. जिला न्यायालय में चलेगा प्रकरण
कोरबा। 23 सितंबर 2009 बालको चिमनी दुर्घटना में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के आदेश के बाद एक नया मोड़ आ गया है और पीड़ितों को न्याय मिलने की आशा बलवती हो गई है।
बालको में 14 साल पहले हुए चिमनी हादसे में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने सेपको कंपनी के तीन चीनी अधिकारियों की याचिका खारिज कर दी है। तीनों अधिकारियों ने कोरबा एडीजे कोर्ट द्वारा आरोप तय करने के विरुद्ध हाईकोर्ट में क्रिमिनल रिवीजन प्रस्तुत किया था।
जिला न्यायालय में होगी सुनवाई
सेपको के जिम्मेदार अधिकारियों के विरुद्ध जिला न्यायालय में प्रकरण चलाने का आदेश छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने दिया है। धारा 304 और 201 के तहत न्यायालय ने आरोप निर्धारित किए हैं, जिसमें आरोपियों पर जानबूझकर जान जोखिम वाले काम करने और साक्ष्य छिपाने के आरोप तय किए गए हैं। प्रकरण में डिप्टी एडवोकेट जनरल मधुनिशा सिंह ने शासन की ओर से पक्ष रखा।
जांच में उदासीनता..सुरक्षा, बचाव, निर्माण की गुणवत्ता पर प्रश्न…
बालको में निर्माणाधीन 1200 मेगावाट विद्युत संयंत्र के एक चिमनी के गिरने से 40 मजदूरों की मौत के प्रकरण में जांच आयोग ने माना था कि जांच में उदासीनता और लापरवाही बरती गई है। इसकी जांच के लिए एकल सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग का गठन किया गया। जस्टिस संदीप बख्शी की अगुवाई में गठित आयोग ने शासन को रिपोर्ट देते हुए उल्लेख किया था कि निर्माणाधीन परियोजना में चिमनी निर्माण के पूर्व उसकी संरचना, गुणवत्ता व सुरक्षा से संबंधी कानूनों की अनदेखी की गई है। निर्माण के दौरान मजदूर व अन्य व्यक्तियों की सुरक्षा एवं बचाव के लिए बनाए गए नियम, कानून की प्रक्रिया की अंतर्गत आवश्यक सुरक्षा व बचाव की पूरी व्यवस्था नहीं की गई थी।
स्थानीय प्रशासन की चूक पर प्रश्न
आयोग ने अपनी रिपोर्ट में माना था इस कि इस चूक के लिए बालको, सेपको, जीडीसीएल उत्तरदायी है। इसके अलावा नगर पालिक निगम, नगर एवं ग्राम निवेश विभाग व श्रम विभाग के तत्कालीन संबंधित अधिकारियों की लापरवाही व उदासीनता को लेकर भी उल्लेख किया गया था।