हरीश चंद्र शर्मा : राखी इस तिथि में है..

इस बार रक्षा बन्धन का उत्सव 30 अगस्त को मनाया जाएगा। 30 अग्स्त को प्रातः 11:00 बजे से पूनम प्रारँभ हो रही है और इसके आधे भाग को भद्रा बताई गई है जो रात्रि को 9:04 पर समाप्त हो रही है । कुछ विद्वतजनों का मत है कि भद्रा में राखी नहीं बांधनी चाहिये, उनके अनुसार रक्षा बंधन रात्रि के 9:04 के पश्चात ही मनानी चाहिये । शास्त्र का रूढार्थ ले तो उनका कथन सही है। उसदिन भद्रा का वास मर्त्य लोक में है इस कारण अशुभ कही गई है। पर हमारे ही शास्त्रों में अन्य वचन भी हैं जिन्हें मैं यहा उद्धृत करता हूँ।
पूजनवर्तादौ विष्टिः शुभा। (ज्यो.भ.) विष्टि भद्रा को कहा जाता है। इस बारे में उन्होंने श्लोक लिखें हैं मैं उसके भावों को यहां लिख रहा हूँ ।
हरितालिका व्रत में, सदाशिव एवं पार्वती की पूजा में, होमकर्म में,उपाकर्म (श्रावणी) में, हुताशनी(होलिका) में वृषोत्सर्गादि में, जातकर्म संस्कार में, अदला-बदली में(विवाह) में, जलाशय प्रतिष्ठा में, पाक यज्ञ में, प्रारंभ किये हुए यज्ञ में, इष्ट देव की पूजा में, राजा दान दे उसमें, तथा ब्राह्मण आज्ञा दे उसमे, सदाशिव की पूजा करके कार्य करने पर (विष्टि के समय) कार्य करने पर कार्य सफल होते हैं । ऐसे कार्यों में भद्रा को न देखें।
दोनों मतों को समझते हुए मेरा मत बनता है कि रक्षाबंधन एक पाक यज्ञ है, ऋषि तर्पण का दिन है, उपाकर्म करने का दिन है, जो मध्याह्न में ही करना होता है, इसलिये इसमें भद्रा का दोष नहीं मानना चाहिये।

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