इनको अमरता का राज मिल गया…
ब्यूरो डेस्क।कोरबा।एसईसीएल की सैकड़ों एकड़ जमीनें पूरे कोरबा शहर में फैली हुई है। शहर के चारों ओर एसई सीएल के कालोनियों में सैकड़ों की संख्या में मकान बने हुए हैं और अनेक स्थानों पर श्रमिक बस्तियां भी बसी हुई हैं।शहर में मलेरिया का प्रकोप मौसम.के घटते तापमान के साथ और तेजी से बढ़ रहा है। एसई सीएल की पंपहाऊस, पंदह ब्लाक, सुभाष ब्लाक, जयप्रकाश कालोनी, जंगल कालोनी, मानिकपुर कालोनी में फैली झाड़ियां और गंदे पानी की समुचित निकासी की व्यवस्था न होने, यत्र-तत्र-सर्वत्र प्रभु की तरह व्याप्त कचरों के ढेर जिनमें मच्छर नक्सलियों की तरह पनपते हैं और सुबह-शामछापामार कार्रवाई करते हैं ।
मच्छरों की इस छापामार कार्रवाई से आलसी आदमी भी सुबह-शाम अच्छी खासी कसरत बगैर किसी कोच के कर ही.डालता है। शाम को तो इनकी संख्या इतनी अधिक हो जाती है कि लगता है इनका समूचा झुण्ड किसी नन्हे बच्चे को उड़ा ही ले जाएगा और यकीनन इन मच्छरों में बोलने की कला होती तो ऐसा हो ही जाता और बदले में एक-दो ड्रम खून अपने-अपने टेस्ट के मुताबिक विभिन्न ग्रुपों के फिरौती के बदले मांग ही लेते। बाजार में मच्छर भगाने के लिए लोशन है, क्वाइल है, फिर भी वेबेकार साबित हो रहे हैं। ऐसा लगता है कि मच्छरों ने अमरता का रहस्य पा लिया है और ये बोलना जानते तो पुलिस वालों की थर्ड डिग्री के आगे अपनी अजर अमरता का राज जरूर उगलते। एसईसीएल प्रबंधन की नींद समझ से परे है। जगह-जगह झाड़ियां,कचरों के ढेर साफ करने के बजाय एसईसीएल प्रबंधन महज उत्पादन बढ़ाने में ही लगा हुआ है। पर्यावरणके नाम पर करोड़ों रुपये फूंकने वाला प्रबंधन क्या छोटी झाड़ियां भी साफ कर पाएगा? एसईसीएलप्रबंधन की साफ-सफाई की ओर उदासीनता समझ से परे है।