राजीव मिश्रा : भारतीय क्रिकेट से क्या खो गया है..
वैसे तो सबको अपना टाइम, अपने टाइम के खिलाड़ी पसंद आते हैं.. पर मैं यह एक बात कह रहा हूं जो ऑब्जेक्टिवली समझाती है कि भारतीय क्रिकेट से क्या खो गया है..

1985 की भारत इंग्लैंड टेस्ट सीरीज में गावस्कर और श्रीकांत बैटिंग कर रहे थे. तभी एक टॉपलेस लड़की Bring back Botham का बैनर लेकर मैदान में घुस गई…
सारे लोग उस लड़की को देख रहे थे…
और सुनील गावस्कर ?
वह अपनी बैट आगे करके उस लड़की को पिच पर आने से रोक रहे थे. उनकी चिंता थी कि फुट मार्क्स से पिच ना खराब हो जाए..

बल्कि श्रीकांत तो इतने डिस्ट्रैक्ट हुए कि अगली गेंद पर ही आउट हो गए.
लेकिन सुनील गावस्कर… सामने एक यंग नंगी लड़की खड़ी थी और उनकी नजर सिर्फ पिच और क्रिकेट पर थी…
उनके बाद मैं सचिन तेंदुलकर और राहुल द्रविड़ से ऐसी एकाग्रता की उम्मीद कर सकता हूं..
और इस पीढ़ी के क्रिकेटर्स में किसी से भी नहीं.
