कौशल सिखला : उसकी कमीज मेरी कमीज से सफेद क्यों.

आज तक न्यूज चैनल के कॉन्क्लेव में पीएम मोदी ने कहा कि भारत आज जिन परिस्थितियों में आगे बढ़ रहा है , वे बहुत ज्यादा चुनौतीपूर्ण हैं !
सच कहा , चुनौतियाँ पहले भी बहुत थीं पर आज जितनी नहीं !
आज की चुनौतियों में से आधी चुनौतियाँ पैदा की हुई हैं !

इन चुनौतियों की संख्या अभी और बढ़ेगी , यह भी तय है !
कारण यह कि चुनौतियां अंदरूनी अधिक हैं , बाहरी कम !
उनका लक्ष्य भी एक है कि किसी भी तरह देश का राष्ट्रीय परिदृश्य बदल दिया जाए !
बात वहीं पहुंच जाए जहां से चली थी !
इस मुकाम से लौट जाए , पीछे वाली पटरियों पर लौट आए !

अब चुनौतियों की क्या कहिए । कल्पना कीजिए कि 15 अगस्त 1947 को देश के सामने कैसी चुनौतियां रही होंगी । बड़ी भयावह चुनौतियां । रात के बारह बजे थे और सदियों से देखा जा रहा आजादी का सपना पूरा हो गया था । अब देश हमारा था और सरकार भी हमारी , विचार भी हमारे । अंग्रेजों द्वारा लूटे गए खाली खजाने , मशीनरी का अभाव और देशवासियों की अनंत आकांक्षाएं ।

सचमुच बड़ा चिंताजनक समय रहा होगा । एक ऐसे देश को फिर से खड़ा करना था , जिसे 800 बरस तक तबीयत से लूटा गया था । ऊपर से अंग्रेज जाते जाते देश के तीन टुकड़े कर गए थे । कश्मीर की चुनौती हमारी गलतियों से पैदा हो गई । चुनौतियों के भंडार थे , विभाजन जन्य पलायन के ज़ख्म थे , समस्याएं बेशुमार थी ।

भारत ने अपने अदम्य साहस से धीरे धीरे चुनौतियों पर काबू पाया , संकटों को निपटाया । चीन ने धोखा दिया , पाकिस्तान ने भरोसा तोड़ा , परंतु भारत फिर भी लड़ता रहा । आज हम एक ऊंचे मकाम पर जरूर पहुंच गए , किंतु यहां तक आने के लिए संघर्ष भी बेशुमार करना पड़ा । उसी दौरान देश की संपदा में छेद कर अपने अपने घर भरने की रवायत शुरू हुई ।

बस यहीं से चुनौतियों के साथ असाध्य मुसीबतों ने जन्मना शुरू कर दिया । भाषाई समस्याएं , नस्ली समस्याएं , जातपात की समस्याएं और न जानें क्या क्या । इनसे जूझते जूझते देश कभी पिछड़ा तो कभी तेजी से आगे बढ़ा । सरकारें आती गई , विषमताएं बढ़ती गई , जहरीली बेलें पनपती रही , युद्ध होते रहे , पर देश आगे और आगे बढ़ता रहा ।

आज भी बढ़ रहा है । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कॉन्क्लेव में बिल्कुल ठीक फ़रमाया कि आज की चुनौतियाँ पहले से ज्यादा हैं । मुश्किल यह है कि आधी चुनौतियां राजनीति ने पैदा कर दी हैं । चुनौतियों के वंशबीज निरंतर अंकुरित हो रहे हैं । घोर नफ़रत की वजह से हम ख़ुद को ही डसने लगे हैं । कैसा विरोधाभास है । देश के बाहर दुनिया भारत को महाशक्ति मानने की ओर बढ़ रही है । देश के भीतर ईर्ष्या और द्वेष से भरी राजनीति हमें बौना दिखाने में जुटी है ।

बस एक ही दर्द एक ही पीड़ा – उनकी कमीज़ मेरी कमीज़ से सफेद क्यों है ? हमारी कमीज़ टीनोपाल लगाकर भी सफ़ेद क्यों नहीं हो पा रही ? यह दर्द बड़ा भारी है । लगातार बना हुआ है , नींद नहीं आती , पूरी पूरी रातें जागते हुए गुजरती हैं । तो प्रधानमंत्री ने ठीक का कहा कि भारत के सामने बहुत बड़ी चुनौतियां हैं । इन चुनौतियों से देश बच निकले , इसी में भलाई है । हमारी जिजीविषा और हमारी संघर्ष शक्ति कहती है कि इन झंझावातों से हम एक बार फिर बाहर निकल आएंगे ।

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