कमलकांत त्रिपाठी : अध्याय-01 विनायक दामोदर सावरकर: नायक बनाम प्रतिनायक

ऐसा क्यों हुआ कि इस देश के एक ही इतिहास पुरुष को कुछ लोग नायक तो कुछ प्रतिनायक समझते हैं?

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