सुरेंद्र किशोर : समाचार वाचन बुलेट ट्रेन दौड़ाने जैसी विधा नहीं

‘आकाशवाणी’ से कभी हम ‘धीमी गति के समाचार’ सुना करते थे। (हालांकि आकाशवाणी से सामान्य गति के समाचार भी अलग

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टीशा अग्रवाल : परफेक्ट फेमिली..अधिकारों की नहीं कर्तव्यों-दायित्वों की बात

महिलाओं को स्वयं महिलाओं से आजादी, उन्मुक्तता, प्रशंसा चाहना चाहिए! उनसे जलन, कुढ़न, प्रतिस्पर्धा से मुक्ति मांगनी चाहिए…जबकि वह यह

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