तहसीलदार या हवलदार…जनसमुदाय को प्रशासन में सुधार की अनुभूति राजस्व विभाग के कामकाज से

तहसीलदार या हवलदार…आम इंसान की समस्या बस यही तक की ही रहती है और समूचे प्रशासनिक व्यवस्था में मात्र ये 2 तंत्र ही आम पब्लिक की समस्याओं का निष्पादन कर दें तो विभिन्न न्यायालयों में चल रहे सिविल, क्रिमनल प्रकरणों में भारी संख्या में गिरावट आ जायेगी।
सामान्य जनसमुदाय को प्रशासन में सुधार की अनुभूति खासकर राजस्व विभाग के कामकाज से होती है। ग्रामीण, तहसील या जिला स्तर पर राजस्व विभाग के अधीनस्थ
कार्यालय किस तरह काम करते हैं, उस पर प्रशासन की छवि आधारित होती है।
गाँव या शहर के नागरिकों को जमीन संबंधित दस्तावेजों के लिए तहसील कार्यालय में अकसर आना जाना पड़ता है। तहसील कार्यालय का कामकाज प्रत्यक्ष रूप से आम जनता को छूता है। यह कामकाज जितना तेज हो, जितना सुलभ हो, उतनी ही प्रशासनिक कामकाज की छवि जनमानस में सुधरती है।
कोरबा तहसील कार्यालय में लंबे समय तक कोरोनाकाल के बाद लगातार विभिन्न संगठनों की हड़ताल और प्रशासनिक व्यवस्थाओं के चलते प्रकरण लंबित रहें हैं, जिनके शीघ्र निष्पादन की दिशा में तहसीलदार मुकेश कुमार देवांगन ने अपने पदस्थापना के साथ ही सकारात्मक पहल की है और अब इसके परिणाम भी सामने आ रहे हैं।
-संजय जायसवाल (अध्यक्ष-जिला अधिवक्ता संघ, कोरबा)
कोरबा तहसील में नवपदस्थ तहसीलदार मुकेश कुमार देवांगन पदस्थापना के साथ ही इन्हीं तथ्यों को केंद्र में रखकर अपने कार्यक्षेत्र में आ रहे जनसमस्याओं के निराकरण का पूरा प्रयास कर रहे हैं।
लंबित प्रकरणों में खाता विभाजन, नामांतरण तथा अन्य भूमि विवादों के निपटारे को लेकर उनका विजन बिलकुल स्पष्ट है कि इस प्रकार के प्रकरणों में विलंब के कारण कई प्रकार के गंभीर अपराध घटित होते हैं, इसलिए इस प्रकार के प्रकरणों में जवाब पेश करने में देरी करने वाले पक्षकार को फटकार लगाने से भी नहीं चूकते हैं।

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