वफ़ा फ़राज़ : ब्रम्हास्त्र… सांस्कृतिक ? आतंकवाद.. हिंदू विवाह संस्कार का मजाक
रणवीर कपूर आलिया भट्ट के विवाह में आपने एक बात पर गौर किया? आधेअधूरे चित्रों के द्वारा दर्शाने की कोशिश की गई है कि विवाह हिंदू रीतिरिवाजों से किया गया है पर दूल्हा दुल्हन दोनों के कपड़ों का रंग कितना फीका है। हिंदू विवाह के जोड़ों में दुल्हन के लहँगे या साड़ी का रंग सामान्य तौर पर चटख लाल,मैरून, गुलाबी आदि होते हैं और दूल्हे की शेरवानी भी ऐसी ही या इन्हीं रंगों के मिलतेजुलते शेड्स की होती है। आप चाहें तो इस बात को सामान्य कहकर टाल सकते हैं पर वास्तव में यह एक षड्यंत्र है।
कहते हैं किसी समाज से उसकी पहचान छीननी है तो सुनियोजित तरीके से उसकी संस्कृति पर हमला करना चाहिए। और यह काम अगर सेलेब्रिटी स्टेटस के लोगों के द्वारा करवाया जाए तो युवावर्ग के अचेतन मन को बहुत तेजी से प्रभावित करता है। याद कीजिए पुरानी फिल्मों में कैसे अभिनेत्री को लाल जोड़े में देखते ही हम समझ जाते थे कि विवाह हो रहा है और किसी भी स्त्री को अचानक सफेद साड़ी में देखते ही हम समझ जाते थे कि वह विधवा है। रामानंद सागर जी द्वारा निर्देशित रामायण में श्रीराम भरत मिलाप के दृश्य में जब तीनों माताएँ भगवान श्रीराम के समक्ष आती हैं तो कैसे बिना किसी के कुछ बताए प्रभु श्रीराम समझ जाते हैं कि राजा दशरथ का देहांत हो चुका है।

फैशन और आधुनिकता के बहाने इन विदेशी ताकतों के द्वारा फंडेड लोगों को अपनी संस्कृति से खिलवाड़ मत करने दीजिए। सिंदूर की तरह लाल रंग का जोड़ा समस्त संसार में भारतीय दुल्हन की पहचान है। काफी समय से वैडिंग कलेक्शन के नाम पर सफेद,ऑफ व्हाइट,क्रीम कलर के लहँगे,साड़ियों आदि को भारतीय युवाओं में जनरलाइज करने की कोशिश की जा रही है। बड़े-2 फैशन शोज के द्वारा आगामी विवाहों में कौन से रंग पहने जाएंगे यह डिक्टेट करने की कोशिश की जा रही है। चाहे तो पिछले कुछ वर्षों के वैडिंग कलैक्शंस के फैशन शोज चैक करके देखिए। बहुत से हिंदू परिवारों में आधुनिकता के नाम पर पारंपरिक वधू वेश से खिलवाड़ भी प्रारंभ हो गया है। महानगरों में भारतीय दुल्हनों के पहनावे,श्रंगार व चालढाल में आमूलचूल परिवर्तन आया है। नवीन विचारों का समावेश बुरा नहीं, पर भारतीय वधू के पारंपरिक रूप को मिटाकर आधुनिकता का दिखावा करना हमसे हमारी वह अद्वितीय पहचान छीन लेगा जिसके आधार पर विश्व पटल पर भारत को ‘रंगों का देश’ कहा जाता है।
अगर आप गौर करेंगे तो पाएंगे कि धीरे धीरे आधुनिक हिंदू दुल्हनों का विवाह का जोड़ा क्रिश्चियन दुल्हनों की तरह व्हाइट,ऑफ व्हाइट,लाइट पिंक या क्रीम कलर का होता जा रहा है। सेलेब्रिटीज जो चाहे करें या पहनें,हमारी बहनें,बेटियाँ पारंपरिक भारतीय दुल्हन के शुभत्वपूर्ण,गरिमामयी एवं गौरवशाली रूप में ही अपने नवजीवन में प्रवेश करें,यह सुनिश्चित करना हमारा काम है।
पहले ही आधुनिकता और फैशन के नाम पर अजीबोगरीब रस्मों, छिछोरी हरकतों एवं हास्यास्पद नृत्य आदि ने वैदिक संस्कारों को दोयम दर्जे पर धकेल दिया है।
समय रहते अपनी परंपरा को चुनौती देनेवाली बातों को नोटिस करना और उनका प्रतिकार करना प्रारंभ कीजिए। अन्यथा आज से पाँच दस साल बाद जब आप अपनी बिटिया की शादी कर रहे होंगे,कोई आश्चर्य नहीं लगातार अवचेतन मन में बैठाए जा रहे इनडायरेक्ट मैनीपुलेशन के कारण वह विवाह में पहनने के लिए सुहाग के लाल जोड़े की बजाय विधवाओं जैसे सफेद लहँगे की माँग कर बैठे।
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रणवीर कपूर के ‘बीफ’ खाते हुए व खुलेआम बीफ को फेवरिट बताते हुए वीडियो वायरल होने के बाद से रणवीर की आनेवाली फिल्म ब्रहास्त्र का विरोध और भी जोरों से होने लगा है। ज्ञातव्य है कि निरंतर हिंदू विरोधी गतिविधियों के प्रचार प्रसार के कारण बॉलीवुड का पूर्ण रूप से बहिष्कार किया जा रहा है। रणवीर कपूर ने फिल्म रॉकस्टार में भी हिंदू पूजा पद्धति का घृणित तरीके से मजाक उड़ाया था।
कल रणवीर व आलिया को प्रदर्शनकारियों द्वारा उज्जैन के पवित्र महाकाल मंदिर में दर्शन करने से रोक दिया गया। इस संदर्भ में इस जोड़ी के विवाह के समय लिखा गया यह लेख पुनः प्रासंगिक हो उठा है। स्वयं पढ़कर देखिए और अंदाजा लगाइए यह विवाह था या निकाह?
क्रमशः सभी चित्र देखिए। भारतीय दूल्हे दुल्हन के माथे पर लगाया जानेवाला हल्दी का तिलक,कुमकुम, चावल कहीं भी इन तस्वीरों में आपको दिख रहा है? दुल्हन के सुहाग का चिन्ह माथे की बिंदिया कहाँ है?सबके सामने लिपलॉक किस, विवाह के शुभ अवसर पर मदिरापान और केक काटना यह सब किस वेद में हिंदू विवाह संस्कारों के अंतर्गत लिखा है?
क्या किसी ने इन्हें हिंदू विवाह संस्कारों की तरह सात फेरे लेते देखा है? पाणिग्रहण संस्कार के अंतर्गत पूजा,हवन आदि करते देखा है? इनका विवाह हिंदू परंपरा के अंतर्गत कौन से पुरोहित ने कराया है? पंडित जी के मंत्रोच्चारण के साथ हवन करते हुए वर वधू की एक भी फोटो क्यों नहीं है? क्या यह विवाह नहीं निकाह था? क्यों एक भी चित्र हिंदू वैवाहिक संस्कारों के साथ नहीं है?
माँगटीका उठाकर माँग भरने का ड्रामा क्या आपको समझ नहीं आता इनके लिए फिल्मी सीन्स की तरह खिलवाड़ का हिस्सा है जिससे भावुक हिंदू दर्शक इन्हें संस्कारी हिंदू समझकर इनकी आनेवाली फिल्मों को हिट कराने में अपनी गाढ़ी मेहनत की कमाई खर्च करते रहें।
क्या आप अपने बच्चों के शुभ विवाह में इसी प्रकार की अभद्रता का प्रदर्शन करने के लिए तैयार हैं? यदि नहीं तो अपनी आँखें कान खुले रखिए और फैशन एवं आधुनिकता के नाम पर अपने बच्चों को इन लज्जाहीन बहरूपियों से प्रभावित होने से और इनका अनुसरण करने से बचाइए। अपने घर परिवार में पारंपरिक हिंदू विवाह के संस्कारों पर चर्चा कीजिए। अपने बच्चों को अपने घर के अब तक के विवाहों के चित्र दिखाइए और बताइए कि लाल, पीला, नारंगी आदि शुभ रंग,वधू का श्रंगार और हमारे वैदिक संस्कार किस प्रकार हमारे विवाहोत्सवों को पवित्रता और भव्यता प्रदान करते रहे हैं।
