राज्य सरकारों ने केंद्र सरकार को डाटा देकर बताया..ऑक्सीजन की कमी से नहीं हुई कोई भी मौत..पोल खुलने से विपक्षी दलों के नेता कोमा में…

स्वास्थ्य चूंकि स्टेट का विषय है और  राज्यों के द्वारा भेजे गये आंकड़ों के आधार पर केंद्र सरकार पूरा डाटा तैयार करती है। लेकिन केंद्र को दिए गए किसी भी डाटा में किसी भी स्टेट ने अपने यह मेंशन नहीं किया है कि ऑक्सीजन की कमी से किसी भी कोरोना पीड़ित रोगी की मृत्यु हुई है।
कोरोना के दूसरी लहर के मध्य ऑक्सीजन की समस्या के कारण हुई मौत को लेकर राजनीति गरम हो रही है। अब इस मामले पर केजरीवाल सरकार और समूचे विपक्षी दलों का का दोहरा चरित्र सामने आ रहा है। स्वास्थ्य चूंकि स्टेट का विषय है और  राज्यों के द्वारा भेजे गये आंकड़ों के आधार पर केंद्र सरकार पूरा डाटा तैयार करती है। लेकिन केंद्र को दिए गए किसी भी डाटा में किसी भी स्टेट ने अपने यह मेंशन नहीं किया है कि ऑक्सीजन की कमी से किसी भी कोरोना पीड़ित रोगी की मृत्यु हुई है। ऐसे स्थिति में संसद में केंद्र सरकार के कथन पर होहल्ला मचाकर विपक्ष के नेता सिर्फ हंगामा कर खुद को जागरूक साबित करना चाहते हैं। लेकिन राज्यों के द्वारा दिए गए डाटा से उनकी पोल खुल गई है।
सभी विपक्षी पार्टियों और दिल्ली की केजरीवाल सरकार पर करारा प्रहार करते हुए भाजपा प्रवक्ता संदीप पात्रा ने एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि अप्रैल में दिल्ली के जयपुर गोल्डन हॉस्पिटल में 21 लोगों की मौत हुई थी। दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार को आदेश दिया था कि मामले पर एक कमेटी बनाकर जांच करके रिपोर्ट दें। 28 अप्रैल को कमेटी बनाई गई और कोर्ट में इसने अपनी रिपोर्ट दी। इस रिपोर्ट में केजरीवाल सरकार ने कहीं यह नहीं कहा है कि किसी मरीज की जान ऑक्सीजन की कमी से हुई।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार राज्यों के द्वारा भेजे गये आंकड़ों के आधार पर डाटा तैयार करती है। किसी भी राज्य ने अपने डाटा में नहीं मेंशन किया कि किसी भी कोरोना संक्रमित की मौत ऑक्सीजन की कमी से हुई है। दिल्ली सरकार ने कहा कि जिन मरीजों की मौत हुई वे गंभीर बीमारी से पीड़ित थे। इसी तरह कांग्रेस के सहयोग से चल रही महाराष्‍ट्र सरकार ने भी बांबे हाईकोर्ट में यह जानकारी दी कि किसी भी मरीज की मौत ऑक्सीजन की कमी से नहीं हुई है। इसी तरह छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने भी यह बात कही है कि ऑक्सीजन की कमी से उनके राज्य में किसी की मौत नहीं हुई।
अब राज्यों के द्वारा केंद्र सरकार को दिए गए डाटा के सामने आने के बाद से सोशल प्लेटफॉर्म पर उन कांग्रेसी और विपक्षी नेताओं की किरकिरी हो रही है जिनके राज्य की सरकारों ने स्वयं ही ऑक्सीजन की कमी को लेकर हुई किसी मौत की बात नहीं माना है और जब उनके द्वारा ही शासित राज्यों के द्वारा उपलब्ध कराए गए डेटा के आधार पर पर केंद्र सरकार ने ऑक्सीजन की कमी से कोई मौत ना होने की बात कही तो उन्होंने बेवजह पहले की तरह हंगामा शुरू कर दिया।

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