केंद्र सरकार का मास्टर स्ट्रोक : बतौर सचिव सेना के अधिकारी रक्षा मंत्रालय में होंगे पदस्थ

देश के सशस्त्र बलों के इतिहास में एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए केंद्र की मोदी सरकार ने सेना, वायु सेना और नौसेना के अधिकारियों को पहली बार औपचारिक रूप से रक्षा मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव और संयुक्त सचिव के रूप में नियुक्त किया है।
देश के ​​सशस्त्र बलों के इतिहास ​​में ​पहली बार ​​रक्षा मंत्रालय में ​​अतिरिक्त सचिव और ​​संयुक्त सचिव​ जैसे पद सृजित करके की गई नियुक्तियां ​​तीनों सेनाओं ​में ​रक्षा सुधारों के ​लिए ​बनाये गए ​​डिपार्टमेंट ऑफ मिलिट्री अफेयर्स की सिफारिश पर हुई है। इसके द्वारा कई और ऐसी ​सिफारिशें की गई हैं, जिनसे आगे आने वाले काल में सेना​ में बदलाव होंगे​।​​ ​​
​डीएमए​ का सचिव​​​ ​सैन्य बलों के प्रमुख (सीडीएस)  जनरल बिपिन रावत ​को बनाया गया है​ और उन्हीं की निगरानी में सेनाओं के पुनर्गठन किये जाने की प्रक्रिया चल रही है​​​।​​​​​​​​
​रक्षा मंत्रालय के अनुसार ​सेनाओं का पुनर्गठन किये जाने के ऐतिहासिक कदम में सेना, वायु सेना और नौसेना के वर्दीधारी कर्मियों को पहली बार औपचारिक रूप से ​​रक्षा मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव और संयुक्त सचिव के रूप में​​ नियुक्त किया गया है।​
​प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति की बैठक में यह फैसले लिए गए थे​। सैन्य बलों के प्रमुख (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ​को ​सैन्य मामलों के विभाग डीएमए​ का सचिव​​​ बनाये जाने के बाद अब लेफ्टिनेंट जनरल अनिल पुरी को डीएमए में अतिरिक्त सचिव नियुक्त किया गया है।​ ​मेजर जनरल केके नारायणन, रियर एडमिरल कपिल मोहन धीर और एयर वाइस मार्शल हरदीप बैंस को डीएमए में संयुक्त सचिव के रूप में नियुक्त किया गया है।​ ​
​लेफ्टिनेंट जनरल अनिल पुरी ​​पहले से ही अतिरिक्त सचिव और अन्य तीन अ​​धिकारियों के संयुक्त सचिव के ​हिस्से का कार्य ​देख रहे थे​।​ अब औपचारिक नियुक्ति​यां होने के साथ ही इन सबको निर्णय लेने ​के अधिकार भी दिए गए हैं जिससे कार्यों को सुव्यवस्थित कर​ने में कोई बाधा उत्पन्न न हो।​ ​रक्षा मंत्रालय​ में ​इन नियुक्तियों का महत्वपूर्ण कदम के रूप में स्वागत किया जा रहा है​​।​ जानकारी के अनुसार ​अब तक सभी फाइलों को फैसलों के लिए ​डीएमए ​के ​सचिव​ सीडीएस जनरल बिपिन रावत को भेजना पड़ता था लेकिन अब प्रत्येक ​अधिकारी अपने अधिकारों के तहत फाइलों पर निर्णय ले ​सकेंगे​।​ ​इस प्रक्रिया ​से सेना ​में कार्यप्रणाली सुचारू ​बनेगी, इसलिए इसे ​​देश के लिए ​’​ऐतिहासिक क्षण​’ कहा जा सकता है​​।
तालमेल के साथ तीनो सेनाओं के संचालन करने, संसाधनों का इस्तेमाल करने के लिए सैन्य आदेशों के पुनर्गठन की भी डीएमए पर जवाबदेही होगी​। इसमें स्वदेशी उपकरणों के उपयोग को बढ़ावा देने के अलावा संयुक्त थिएटर कमांड की स्थापना भी शामिल है।