“कर्नाटक.. तुष्टिकरण के लिए एससी, एसटी और ओबीसी वर्गों का हक ऐसे मारा जा रहा है।” – भाजपा का तीखा प्रहार

कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार ने हाउसिंग स्कीम में मुसलमानों का आरक्षण बढ़ाकर 15% कर दिया है जबकि यह एक वेलफेयर स्कीम हैतो उसमें धर्म के आधार पर आरक्षण क्यों जोड़ा गया?

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Veerchhattisgarh

कांग्रेस संविधान की बात करते हुए भी वोट बैंक के लिए सामाजिक तानाबाना तोड़ रही है। तुष्टिकरण की रीढ़ पर टिकी यह राजनीति अंततः गिरकर बिखर जाएगी।

कांग्रेस पार्टी शॉर्ट टर्म राजनीतिक लाभ के लिए लॉन्ग टर्म डिजास्टर को आमंत्रित कर रही है। शॉर्टकट की उम्र लंबी नहीं होती। जो आज 99 पर हैंवे अगली बार 9 पर भी आ सकते हैं।

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कर्नाटक में कांग्रेस सरकार ने ऐतिहासिक जातीय सर्वे का दावा कियालेकिन ₹165 करोड़ खर्च के बाद भी रिपोर्ट छिपाई गयी। आखिर ऐसी क्या खामियाँ थीं कि उसे रद्द कर नया सर्वे कराना पड़ रहा हैवजह साफ है तुष्टिकरण की राजनीति।

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सुप्रीम कोर्ट पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि धर्म के आधार पर किसी प्रकार का आरक्षण नहीं दिया जा सकतायह असंवैधानिक है। इसके बावजूद कांग्रेस पार्टी के नेताजो संविधान की प्रति जेब में लेकर घूमते हैंस्वयं ही संविधान की धज्जियाँ उड़ाते नजर आ रहे हैं।
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राहुल गांधी ने कहा था, “हाँकांग्रेस मुसलमानों की पार्टी हैं कांग्रेस इस बात से कभी शर्मिंदा नहीं हुईक्योंकि उसका फोकस वेलफेयर स्कीम्स या सुशासन पर नहींबल्कि वोट बैंक की राजनीति पर रहा है।

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कर्नाटक में चाहे हाउसिंग स्कीम होटेंडरों में आरक्षण हो या  मुसलमानों को ‘टूबी’ श्रेणी में शामिल करना होहर स्थिति में एससीएसटी और ओबीसी वर्गों का हक मारा जा रहा है।

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2015 की जनगणना में कर्नाटक में मुसलमानों की आबादी करीब 12.6% थीलेकिन हाल की नई जनगणना की लीक रिपोर्ट्स के अनुसार यह बढ़कर लगभग 18.08% हो गई है। आखिर आंकड़ों में इतना बड़ा उछाल कैसे हो सकता है?

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राहुल गांधी बारबार संविधान की दुहाई देते हैंतो फिर कांग्रेस द्वारा लिए गए इस निर्णय से संविधान का उल्लंघन क्यों किया गयाकांग्रेस और विशेष रूप से गांधी परिवार के लिए संविधान गौण है और धार्मिक तुष्टिकरण सर्वोपरि।

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कांग्रेस ने मुस्लिम तुष्टिकरण के चलते वीर लिंगायत और वोक्कालिगा समुदाय के साथ अन्याय किया। इसीलिए कांग्रेस को यह आशंका है कि उनकी कराई गई जातीय जनगणना ही उनके लिए लिए चोट बनकर सामने आ सकती है।

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भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं सांसद डॉ संबित पात्रा ने आज शुक्रवार को ओडिशा के भुवनेश्वर स्थित पार्टी के प्रदेश कार्यालय में प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार ने मुसलमानों को हाउसिंग स्कीम में 15% आरक्षणटेंडरों में 4% आरक्षण और ‘टूबी’ श्रेणी में आरक्षण देकर ओबीसी कोटे से वास्तविक लाभार्थियों को बाहर किया है। ₹165 करोड़ खर्च कर कराई गई जातीय जनगणना में लिंगायत व वोकलिंगा समुदाय की संख्या घटाई गई, जिसके कारण रिपोर्ट को दबा दिया गया। डॉ. पात्रा ने कहा कि कांग्रेस संविधान की बात करते हुए भी वोट बैंक के लिए सामाजिक तानाबाना तोड़ रही है और तुष्टिकरण की रीढ़ पर टिकी यह राजनीति अंततः गिरकर बिखर जाएगी।

 

डॉ पात्रा ने कहा कि कांग्रेस पार्टी हमेशा भारत के सामाजिक तानेबाने को तोड़ने का प्रयास करती है। कर्नाटक में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार है। कर्नाटक में कांग्रेस सरकार की कैबिनेट ने निर्णय लिया कि पूरे राज्य में लागू हाउसिंग स्कीम में मुस्लिमों के लिए आरक्षण होगा और इस आरक्षण को बढ़ाकर 15% कर दिया जाएगा। जब हाउसिंग स्कीम एक वेलफेयर स्कीम हैतो उसमें धार्मिक आधार पर वर्गीकरण क्यों जोड़ा गयायह एक स्पष्ट उदाहरण है कि कांग्रेस पार्टी शॉर्ट टर्म राजनीतिक लाभ के लिए लॉन्ग टर्म डिजास्टर को आमंत्रित करती रही है। इस निर्णय के पीछे कांग्रेस सरकार के कैबिनेट मंत्री जमीर अहमद खान की प्रस्तावना थी, जिसमें यह मांग की गई थी कि अर्बन और रूरल हाउसिंग स्कीम दोनों में मुस्लिमों को 15% आरक्षण दिया जाए, और इस प्रस्ताव को सिद्धारमैया की अध्यक्षता वाली कैबिनेट ने मंजूरी दे दी।

 

भाजपा सांसद ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि धर्म के आधार पर किसी प्रकार का आरक्षण नहीं दिया जा सकतायह असंवैधानिक है। इसके बावजूदकांग्रेस पार्टी के नेताजो बातबात पर संविधान की प्रति निकालते हैं और जेब में लेकर घूमते हैंस्वयं ही संविधान की धज्जियाँ उड़ाते नजर आ रहे हैं। कर्नाटक में सिद्धारमैया की कैबिनेट द्वारा हाउसिंग स्कीम में मुस्लिम आरक्षण पारित किया जाना, इसी का प्रत्यक्ष उदाहरण है। जब राहुल गांधी वह बारबार संविधान की दुहाई देते हैंतो फिर कांग्रेस द्वारा लिए गए इस निर्णय से संविधान का उल्लंघन क्यों किया गया? कांग्रेस और विशेष रूप से गांधी परिवार के लिए संविधान गौण है और धार्मिक तुष्टिकरण सर्वोपरि। यह तुष्टिकरण की राजनीति कोई नई नहीं है, 21 मार्च कोकर्नाटक सरकार ने ‘कर्नाटक ट्रांसपेरेंसी इन पब्लिक प्रोक्योरमेंट अमेंडमेंट बिल 2025’ पारित कियाजिसके तहत ₹2 करोड़ से नीचे के टेंडरों में 4% आरक्षण मुसलमानों के लिए निर्धारित की गयी। कर्नाटक में कांग्रेस पार्टी ने वेलफेयर स्कीम्स को तुष्टिकरण के बाजार में तब्दील कर दिया है। ये योजनाएँ अब जनता की सुविधा के लिए नहीं, बल्कि कांग्रेस पार्टी के धार्मिक तुष्टिकरण के एजेंडे के लिए इस्तेमाल हो रही हैं। यह सिर्फ कर्नाटक की कहानी नहीं हैबल्कि जहां भी कांग्रेस सत्ता में होती हैवहां धर्म आधारित आरक्षण और तुष्टिकरण की राजनीति को अपने आंतरिक वादों के तहत आगे बढ़ाती है।

डॉ पात्रा ने कहा कि राहुल गांधी ने स्वयं एक बार कहा था कि “हाँहम मुसलमानों की पार्टी हैं”, जो अखबारों में भी प्रकाशित हुई थी। कांग्रेस पार्टी इस तथ्य को लेकर कभी शर्मिंदा नहीं हुईक्योंकि उसे स्पष्ट रूप से ज्ञात है कि वह वेलफेयर स्कीम्स या सुशासन के लिए नहींबल्कि वोट बैंक की राजनीति के लिए काम करती है। कांग्रेस पार्टी का उद्देश्य केवल समाज को बाँटना है, यह गवर्नेंस नहीं, बल्कि विभाजनकारी प्रयोग हैं, और कर्नाटक में ऐसे प्रयोग अत्यंत दुखद हैं। आज जातीय जनगणना के नाम पर राहुल गांधी जिस तरह राजनीति कर रहे हैं, वह सबके सामने है। कुछ समय पहले  कर्नाटक सरकार ने सिद्धारमैया जी के नेतृत्व में एक जातिगत सर्वेक्षण करवाई थीजिस पर ₹165 करोड़ खर्च किए गए थे। लेकिन इतने भारी खर्च के बावजूद वह जातिगत सर्वेक्षण रिपोर्ट अब रद्दी की टोकरी में डाल दी गई है और कांग्रेस सरकार कह रही है कि कर्नाटक में अब एक नई जातिगत सर्वेक्षण करवाई जाएगी।

राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा कि जातिगत सर्वेक्षण रिपोर्ट को रद्दी में फेंकने को लेकर सवाल पूछा गया, तब सिद्धारमैया ने कहा कि यह न तो उनका निर्णय है और न ही उनकी कैबिनेट का, यह कांग्रेस हाईकमान का निर्णय है कि पुरानी जातिगत सर्वेक्षण रिपोर्ट को दरकिनार कर नया सर्वेक्षण कराई जाए। डॉ. पात्रा ने सवाल पूछा कि कांग्रेस तेलंगाना और कर्नाटक में जब यह ढिंढोरा पीट रही थी कि उनकी जातिगत सर्वेक्षण रिपोर्ट ऐतिहासिक और उदाहरण प्रस्तुत करने वाली होगीतो आखिर ऐसा क्या हुआ कि ₹165 करोड़ खर्च करने के बावजूद वह रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की जा रही? ऐसी क्या खामियाँ थीं, कि सरकार को उसे रद्द करना पड़ा और नया सर्वे कराने की नौबत आ गई? इसके पीछे भी तुष्टिकरण की राजनीति छुपी हुई है। चाहे हाउसिंग स्कीम होटेंडर में आरक्षण हो या अब जातिगत सर्वेक्षण रिपोर्ट हर जगह इसकी रीढ़ तुष्टिकरण ही है। यही कारण है कि कर्नाटक सरकार आज तक उस जातिगत सर्वेक्षण रिपोर्ट जारी नहीं कर पा रही है और खुद उनकी सरकार के अंदर से विरोध के स्वर उठ रहे हैं। इस यू-टर्न के पीछे कई लीक हुई रिपोर्टें हैं, जो उनके पास उपलब्ध हैं और उन्हीं रिपोर्टों में वह सब कुछ स्पष्ट है कि सरकार क्यों बैकफुट पर आई है।

डॉ पात्रा ने कहा कि एक बहुत दिलचस्प बात यह है कि 2015 में जो जनगणना हुई थीउसमें कर्नाटक में मुसलमानों की जनसंख्या लगभग 12.6% थी। लेकिन हाल की नई जनगणना में इस संख्या में बहुत बड़ा इजाफा देखा गया है। लीक रिपोर्ट्स के अनुसार यह संख्या 12.6% से बढ़कर लगभग 18.08% हो गई है। इतना बड़ा जंप आखिर कैसे हो सकता है? लीक रिपोर्ट में जो आंकड़े सामने आए हैं, वे मुसलमानों की जनगणना से जुड़े हैं और यह जातिगत सर्वेक्षण रिपोर्ट में सामने आया है। कर्नाटक में कांग्रेस सरकार ने मुसलमानों को ओबीसी ‘टू-बी’ श्रेणी के तहत आरक्षण में शामिल किया है। और उन्हें ‘ओबीसी टू-बी’ में डालने के बाद सिफारिश की गई थी कि इस श्रेणी का आरक्षण 4% से बढ़ाकर 8% कर दिया जाए ताकि सभी मुसलमान उसमें समाहित हो जाएँ। आश्चर्यजनक बात यह है कि कई वास्तविक ओबीसी समुदायों को इस प्रक्रिया में बाहर कर दिया गया। उन्हें ओबीसी कोटे से निकाल दिया गया और मुसलमानों को जोड़ा गया। साथ ही, उसका प्रतिशत बढ़ाने की कोशिश की गई। वहीं दूसरी ओरईडब्ल्यूएस का कोटा 10% पर ही स्थिर रखा गया है।

राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा कि कर्नाटक में कांग्रेस की तुष्टिकरण राजनीति की नई प्रक्रिया चल रही हैचाहे वह जनकल्याण वाली हाउसिंग स्कीम से जुड़ी होटेंडरों में आरक्षण से संबंधित हो या ओबीसी टूबी’ श्रेणी में मुसलमानों को शामिल कर आरक्षण बढ़ाने की योजना हो, हर स्थिति में यदि किसी का हक मारा जा रहा है तो वह एससीएसटी और ओबीसी वर्गों का है। कर्नाटक में एससी, एसटी और ओबीसी को उनके अधिकारों से वंचित किए जा रहे हैं और उनके अधिकारों के स्थान पर वोट बैंक और तुष्टिकरण की राजनीति हो रही है। इसलिए कर्नाटक के हर एससी, एसटी और ओबीसी को यह समझना चाहिए कि कांग्रेस की सरकार उनके साथ किस प्रकार का अन्याय कर रही है। लीक रिपोर्ट के अनुसार कर्नाटक के दो प्रमुख समुदाय वीर लिंगायत और वोकलिंगा, राज्य के विकास और सामाजिक न्याय में महत्वपूर्ण योगदान रहे हैंउनके साथ अन्याय हुआ है। इसी के कारण कर्नाटक में कांग्रेस सरकार ने इस जातीय जनगणना को अब पीछे हटा दिया है। लीक रिपोर्ट में यह स्पष्ट दिखाया गया है कि पहले जिन वीर लिंगायतों की संख्या लगभग 18-22% मानी जाती थी, वह अब घटकर लगभग 11% रह गई है। यह वही लिंगायत समुदाय है, जिससे नौ पूर्व मुख्यमंत्री रहे हैं। इससे उनके महत्व का अंदाजा लगाया जा सकता है। इसी प्रकार, वोकलिंगा समुदाय की बात करें तो पुराने सेन्सस के अनुसार उनकी संख्या लगभग 16% थी (मैसूर क्षेत्र इत्यादि मिलाकर), परंतु लीक रिपोर्ट में यह घटकर 10.29% कर दी गई है। इस समुदाय से भी सात पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके हैं।

 

डॉ पात्रा ने कहा कि मुस्लिम तुष्टिकरण के कारण वीर लिंगायत और वोकलिंगा समुदाय के साथ गंभीर अन्याय किया गया है। यही कारण है कि कांग्रेस को यह महसूस हो रहा है कि उन्होंने जिस जातिगत सर्वेक्षण करायावही अब उनके लिए समस्या बन गई है। इसलिए ₹165 करोड़ खर्च करने के बावजूद वह जातिगत सर्वेक्षण रिपोर्ट रद्द की टोकरी में फेंकी जा रही है और नये कास्ट सर्वे की बात की जा रही है। जब केंद्र सरकार स्वयं जातीय जनगणना करा रही हैतो कर्नाटक में उसे दोबारा लागू करने की क्या आवश्यकता है? कांग्रेस एक बार कास्ट सर्वे करा चुकी है और वह विफल हो चुका है, तो इसका उत्तर कांग्रेस को देना ही होगा। जब तुष्टिकरण किसी राजनीतिक दल की रीढ़ बन जाती हैतब यह याद रखना चाहिए कि शॉर्टकट कभी लंबे समय तक नहीं टिकते। अंततः गिरना सुनिश्चित होता है और जनता असंवैधानिक तरीकों को स्वीकार नहीं करती। जब आप (कांग्रेस) तुष्टिकरण की राजनीति के सहारे आगे बढ़ते हैंतो यह भी ध्यान रखें  कि जो आज 99 पर हैंतो, अगली बार 9 पर होंगे।

-भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं सांसद डॉ संबित पात्रा के मीडिया संबोधन के मुख्य बिंदु

 

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