लोकतंत्र सिर्फ चुनाव तक सीमित नहीं होता, बल्कि सतत संवाद और सहमति से आगे बढ़ता है: लोक सभा अध्यक्ष
विधानसभाओं और संसद में नियोजित गतिरोध लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए उचित नहीं: लोक सभा अध्यक्ष
व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप और जानबूझकर पैदा किए गए गतिरोध लोकतंत्र की मूल भावना के खिलाफ हैं: लोक सभा अध्यक्ष
लोकतंत्र, संवाद और विचारशीलता का नया केंद्र बनेगा संविधान क्लब: लोक सभा अध्यक्ष
लोकसभा अध्यक्ष और राजस्थान के मुख्यमंत्री ने किया ‘कॉन्स्टीट्यूशन क्लब ऑफ राजस्थान’ का शुभारंभ
लोक सभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला ने आज कहा कि सहमति और असहमति लोकतंत्र की शक्ति है, लेकिन विधानसभाओं और संसद में सुनियोजित गतिरोध लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए ठीक नहीं। जनता के प्रति जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए विधायी संस्थानों को चर्चा और संवाद का केंद्र बनना होगा।
श्री बिरला शनिवार को ‘कॉन्स्टीट्यूशन क्लब ऑफ राजस्थान’ के शुभारंभ कार्यक्रम में जनप्रतिनिधियों को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर मुख्य मंत्री भजनलाल शर्मा, विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी, केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी, सांसद, विधायक और अन्य गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे।
संवाद, सहमति और सुशासन का केंद्र
लोक सभा अध्यक्ष ने कहा कि यह केवल एक भवन नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक विमर्श, विचारशीलता और नीति-निर्माण को दिशा देने वाला मंच है। लोकतंत्र सिर्फ चुनाव तक सीमित नहीं होता, बल्कि सतत संवाद और सहमति से आगे बढ़ता है। यह क्लब नीति-निर्माण और सुशासन को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा। उन्होंने बताया कि दिल्ली में संविधान क्लब की परिकल्पना 1947 में संविधान निर्माण के दौरान हुई थी। उस समय अनौपचारिक चर्चा और नीतिगत संवाद के लिए एक मंच की आवश्यकता महसूस हुई थी। राजस्थान में स्थापित यह क्लब भी लोकतांत्रिक संवाद और विचार-विमर्श का प्रमुख केंद्र बनेगा। यह विधायकों को विचारशीलता, नीति-निर्माण और सुशासन पर खुलकर चर्चा करने का अवसर देगा।
व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप और नियोजित गतिरोध लोकतंत्र के लिए अनुचित
उन्होंने कहा कि भारत का संविधान सिर्फ कानूनों का संकलन नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक मार्गदर्शक है। पिछले 75 वर्षों में संविधान के मार्गदर्शन में हमने कई परिवर्तन देखे हैं। उन्होंने कहा कि संसद और विधानसभाओं में सार्थक संवाद और स्वस्थ बहस होनी चाहिए। व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप और जानबूझकर पैदा किए गए गतिरोध लोकतंत्र की मूल भावना के खिलाफ हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि यह संविधान क्लब पक्ष-विपक्ष के बीच सार्थक विमर्श और सहमति का मंच बनेगा।
राजस्थान विधान सभा का गौरवशाली इतिहास
श्री बिरला ने कहा कि राजस्थान विधानसभा हमेशा मार्गदर्शक रही है। यहां पारित कई विधेयक पूरे देश के लिए उदाहरण बने हैं। उन्होंने पूर्व उपराष्ट्रपति स्व. भैरों सिंह शेखावत और वर्तमान उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का उल्लेख करते हुए कहा कि राजस्थान की भूमि ने लोकतांत्रिक परंपराओं को सदैव समृद्ध किया है।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि राजस्थान की महिलाओं का इतिहास गौरवशाली रहा है। उन्होंने राज्य की महिलाओं द्वारा विधायक, मंत्री और मुख्यमंत्री के रूप में दिए गए सशक्त नेतृत्व की सराहना की और कहा कि इससे प्रदेश में सकारात्मक परिवर्तन आया है।
