छत्तीसगढ़ के बैगा परिवारों को राष्ट्रपति ने गणतंत्र दिवस समारोह के लिए आमंत्रित किया

छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले के पंडरिया विकास खंड के तीन बैगा परिवारों को इस गणतंत्र दिवस समारोह में शामिल होने के लिए भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आमंत्रित किया है. यह ऐतिहासिक क्षण उनके लिए गर्व और उत्साह का कारण बना हुआ है.

कदवानी ग्राम पंचायत के अंतर्गत पटापरी गांव के निवासी जगतिन बाई बैगा और उनके पति फूल सिंह बैगा सहित तीन बैगा परिवारों को इस विशेष निमंत्रण का हिस्सा बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है. इन परिवारों ने दिल्ली यात्रा की तैयारी शुरू कर दी है और उनके चेहरों पर उत्साह और खुशी स्पष्ट रूप से झलक रही है.

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बैगा जनजाति और उनके जीवन में बदलाव

बैगा जनजाति को विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (पीवीटीजी) के रूप में वर्गीकृत किया गया है. स्वतंत्रता के बाद भी ये समुदाय कई बुनियादी सुविधाओं से वंचित रहे, लेकिन हाल के वर्षों में सरकारी योजनाओं और प्रयासों ने उनके जीवन में बड़ा बदलाव लाया है.

पटापरी गांव के सभी 25 घर अब सौर ऊर्जा से रोशन हैं. यह बदलाव अक्टूबर 2024 में जिला कलेक्टर गोपाल वर्मा द्वारा गांव में आयोजित जन चौपाल और क्रेडा विभाग के प्रयासों से संभव हुआ.

जगतिन बाई ने कहा, “पहले हमारे गांव में बिजली नहीं थी. हम अंधेरे में डर के साथ रहते थे। अब हमारे घर रोशन हैं। बच्चे पढ़ाई कर सकते हैं, और हम सुरक्षित महसूस करते हैं.”

फूल सिंह ने भी अपनी खुशी व्यक्त करते हुए कहा, “हमारे पास अब 24 घंटे सोलर पावर है। पहले छोटे सोलर पैनल से गुजारा करते थे, लेकिन अब सबकुछ बदल गया है.”

गणतंत्र दिवस समारोह में भाग लेने का उत्साह

बैगा परिवारों के लिए दिल्ली की यह यात्रा पहली बार हो रही है. वे राष्ट्रपति भवन, संसद भवन और प्रधानमंत्री आवास जैसे प्रतिष्ठित स्थलों का दौरा करेंगे और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात करेंगे.

जगतिन बाई ने कहा, “मैं राष्ट्रपति को बिरों माला भेंट करूंगी। यह हमारे लिए गर्व का क्षण है.” उन्होंने इस बदलाव के लिए सरकार का आभार व्यक्त किया.

फूल सिंह ने कहा, “हमने कभी नहीं सोचा था कि ऐसा दिन आएगा. हमारे गांव में बदलाव से हमें गर्व और खुशी हो रही है.”

समुदाय के लिए गौरव का क्षण

यह निमंत्रण केवल इन तीन परिवारों के लिए नहीं बल्कि पूरे कबीरधाम जिले के लिए गर्व का विषय है. बैगा जनजाति की इस उपलब्धि ने उनकी कठिनाइयों के बीच उम्मीद और आशा की एक नई किरण जगाई है.

जगतिन बाई ने कहा,ग्रामीणों का कहना है कि दिल्ली यात्रा उनके जीवन का सबसे बड़ा अनुभव होगा. “हमने कभी ट्रेन नहीं देखी, न ही दिल्ली जैसे बड़े शहर के बारे में सोचा.”

यह निमंत्रण इस बात का प्रतीक है कि छोटे गांवों और दूरदराज के इलाकों में रहने वाले लोग भी राष्ट्रीय पटल पर अपनी पहचान बना सकते हैं.

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