बालको की रेल लाइन, बैचिंग प्लांट.. इसलिए MD की रेस से बाहर होंगे श्री कटियार..!! नए एमडी के सामने कड़ी कार्यवाही व किराया वसूली की होगी चुनौती…?
रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी के वर्तमान एमडी एस. के. कटियार का कार्यकाल 30 नवंबर को समाप्त हो रहा है। वैसे वे 30 सितंबर को ही सेवानिवृत्त हो गए थे। इसके साथ ही नए एमडी की नियुक्ति को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं।
सूत्रों की माने तो श्री कटियार अपने पद पर पुनर्नियुक्ति के लिए प्रयासरत हैं लेकिन सफलता कहां तक मिलेगी..क्योंकि बालको की लगातार बालको की विवादित रही रेल लाइन के साथ सीएसईबी की जमीन पर बना बालको का अवैध बैचिंग प्लांट उनकी पुनर्नियुक्ति में बड़ी बाधा बनेगा और वैसे भी इस बार एमडी का चयन परिणाम देने वाले अधिकारियों पर फोकस रहेगा।

सेवानिवृत्त हो चुके हेमंत सचदेवा, सी.पी.पांडे, राजेश वर्मा, श्रीधर, आर.के. श्रीवास के साथ ही एचटीपीपी में पदस्थ रहे संजय शर्मा के साथ एनटीपीसी के प्रकाश तिवारी के नाम की भी चर्चा चल रही है।
उल्लेखनीय है कि कुछ समय पूर्व एमडी की नियुक्ति के लिए विज्ञापन प्रकाशित किया जाता था और योग्यता के साथ ही कार्यदक्षता पर भी दृष्टि रहती थी लेकिन बाद में यह महत्वपूर्ण पद राजनीतिक जोड़तोड़ और सप्लायरों की कृपादृष्टि का शिकार हो गया।
रेल लाइन व अवैध बैचिंग प्लांट एमडी बनने में होगा बाधक
सूत्रों के अनुसार जिस जमीन पर अवैध रूप से बैचिंग प्लांट का निर्माण किया गया है, वह जमीन CSEB की है, जिसका अधिग्रहण 60 के दशक में किया जा चुका है लेकिन अधिग्रहण होने के बाद भी राजस्व दस्तावेजों में नामांतरण नहीं किए जाने के कारण उक्त भूमि पर वर्तमान राजस्व रिकार्डों में बड़े झाड़ के जंगल की जमीन दर्शित हो रहा है।
जमीन CSEB की तो किराया क्यों नहीं लिया जा रहा..
CSEB की जमीन का प्रकरण है तो CSEB प्रबंधन के संबंधित जवाबदार अधिकारी चुप्पी क्यों साधे हुए हैं? ऐसा नहीं है कि लगातार समाचार प्रकाशित होने के बाद भी राजधानी तक इस बात की गूंज रही और श्री कटियार लंबे समय तक कोरबा में भी पदस्थ रहे थे, एमडी बनने के बाद भी लगातार उनका कोरबा दौरा होता रहा लेकिन प्रबंधन को इस विषय पर चूना लगने के संबंध में किसी ने चुप्पी नहीं तोड़ी..चुप्पी नहीं तोड़ी तो इसका कारण क्या है..??
निगम प्रशासन भी 2 करोड़ रुपए का जुर्माना CSEB की जमीन पर लगा चुका लेकिन CSEB की ओर से या श्री कटियार की ओर से कोई प्रतिक्रिया सार्वजनिक रूप से कभी व्यक्त नही की गई। इस प्रकार से देखा जाए तो CSEB को अब तक करोड़ों रुपयों का नुकसान किराए की राशि के रूप में अभी तक हो चुका है।
बैचिंग प्लांट किसकी जमीन पर..?
बैचिंग प्लांट की जमीन सूत्रों के अनुसार CSEB पूर्व की है और ऐसे में CSEB पूर्व के प्रबंधन के द्वारा विगत लगभग लंबे समय से चुप्पी साधे रखना अनेक संदेहों को जन्म देता है।
सीएसईबी की जमीन पर बालको की रेल लाइन का विषय भी लगातार विवादों में रहा है। पूर्व में पत्र लिखकर इस संबंध में पत्र लिखकर कहा गया था कि “चेक पोस्ट गांव में खसरा क्रमांक 761/2K एवं 625/1 पर सीएसपीजीसीएल के स्वामित्व वाली भूमि पर बाल्को द्वारा अपनी रेलवे लाइन का अनाधिकृत विस्तार किए जाने के संबंध में। दिनांक 20/06/2023 को सूचना प्राप्त हुई कि चेक पोस्ट गांव के पास कंपनी के स्वामित्व वाली भूमि जिसका खसरा क्रमांक 761/2K एवं 625/1 है, जिस पर बाल्को द्वारा अपनी विस्तार परियोजना के लिए अनाधिकृत रूप से रेलवे लाइन का विस्तार किया जा रहा है। सूचना प्राप्त होते ही सुरक्षा कर्मियों की सहायता से तत्काल कार्य को रुकवाया गया तथा कार्य को स्थगित करने के लिए आवश्यक पत्राचार भी किया गया है। इसके परिणामस्वरूप बाल्को द्वारा दिनांक 26/06/2023 को लिखे गए पत्र के माध्यम से मुख्य अभियंता (सामान्य) केटीपीएस को संबोधित करते हुए यह बताने का प्रयास किया जा रहा है कि जिस भूमि पर कार्य किया जा रहा है, वह बाल्को के कब्जे में है। इससे संबंधित दस्तावेज सिविल/भूमि विभाग को कार्यस्थल पर ही दिखाए गए हैं। जबकि दस्तावेज के नाम पर सिर्फ मोबाइल एप का भुइंया दिखाया गया है। विभाग इससे पूरी तरह संतुष्ट नहीं है।” जारी किए गए पत्र में असंतुष्ट होने के अनेक कारण बताए गए थे।




प्रश्न अब यह उठता है कि अगर रेल लाइन व बैचिंग प्लांट की जमीन CSEB पूर्व की है तो क्या आने वाले नए एमडी इस विषय पर संज्ञान लेते हुए कड़ी कार्यवाही करेंगे, इस पर भी लोगों की निगाहें टिकी हुई है।
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