डॉ. भूपेन्द्र सिंह : जातियों की चेतना को स्थान.. समाधान भी जल्द होगा…
उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बंगाल और हरियाणा, इन चार राज्यों में कैंडिडेट सेलेक्शन को लेकर विवाद हुआ है। यह इतना बड़ा विवाद नहीं है कि पार्टी, संघ, संगठन पर कोई आपातकाल आ रखा हो। इसमें से भी बंगाल में उतना बुरा नहीं हुआ है और महाराष्ट्र का पहले से पता था।
महाराष्ट्र में राजनीतिक परिस्थियाँ अजीबोग़रीब स्थिति में पहुँच गयीं हैं। लेकिन हरियाणा और उत्तर प्रदेश में केवल इस बात का मंथन होना चाहिए कि प्रत्याशी चयन में किस प्रकार की समस्या हुई? साथ ही यह भी समझना होगा कि जातियों की चेतना को किस प्रकार से हिंदुत्व के भीतर स्थान देना होगा। संघ और स्वयंसेवक जातियों के हिन्दूकरण पर फ़ोकस करें और पार्टी राजनीतिक रूप से वोटों के लिए इन्हें साधने के लिए विभिन्न समाज के नेताओं को बोलने का अधिकार दे ताकि समाजों के भीतर का कुंठा निकल जाएँ। यदि केवल इतना साध लिया गया तो सब ठीक हो जाएगा। भाजपा के कार्यकर्ता सपाइयों की तरह गुंडे और लठैत नहीं होते, उनकी कुछ जेन्यूइन समस्याएँ होती हैं, पार्टी के भीतर एक ऐसा तंत्र बने जो कार्यकर्ताओं की समस्याओं को सरकार तक पहुँचा सकें और समाधान करा सकें।
अभी भी भाजपा को 42% मत उत्तर प्रदेश में प्राप्त हुए हैं। लगभग पिछले दो लोकसभा चुनावों की तुलना में 8% कम है लेकिन इतना भी कम नहीं है कि इसको हार कहा जाय। पासी समाज भाजपा से छिटका है, इसकी एकदम टार्गेटेड चिंता आवश्यक है। मोहनलालगंज, बाराबंकी, अयोध्या आदि सीटें लाइन से पासी समाज के अलगाव के कारण हाथ से चली गयीं। पासी समाज को भाजपा के भीतर एक ऐसा नेता चाहिए जो दलितों के मुद्दों पर बिना डरे बोल सके और पार्टी उसे बोलने भी दे। यदि यह काम किया गया तो कम से कम 2-3% मत पुनः भाजपा में जुड़ जाएँगे। कुर्मी, लोध और कोइरी (मौर्य/ शाक्य/ सैनी/ कुशवाह) वर्ग के वोटरों का विभाजन बिलकुल आधा आधा हुआ है जबकि पूर्व के लोकसभा चुनावों में यह तीनों लगभग 70-75% वोट सीधे सीधे भाजपा को देते रहे हैं। यदि इनको टार्गेट करके साधा गया तो भाजपा को सीधे सीधे 3% का लाभ और होगा। एक बारे यदि आप इनको साध लेते हैं तो यह तय मानिए कि ब्राह्मण ठाकुर समाज का जो 20-30% वोट माहौल देखकर इस बार कम हुआ है, वह अपने आप जुड़ जाएगा।
टार्गेटेड एप्रोच करना होगा। यह एक झटका भर है, कोई दुर्घटना नहीं है। यदि थोड़ा सा प्रयास करके चीजें ठीक की गयीं तो फिर से पार्टी अपने 50% वोटर लक्ष्य को पा जाएगी। इसमें बहुत ज़्यादा कांस्पीरेसी थ्यूरी खोजने की आवश्यकता नहीं है। अच्छी बात यह है कि पार्टी वास्तव में इसको समस्या के रूप में स्वीकार कर रही है। समाधान भी जल्द होगा।