राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संस्कृत को राष्ट्र की भाषा देश-वाणी के रूप में किया परिभाषित
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संस्कृत को राष्ट्र की भाषा देश-वाणी के रूप में परिभाषित किया है। आज नई दिल्ली में केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि संस्कृत भाषा में भारत की सांस्कृतिक विरासत समाहित है।
कई भारतीय भाषाएं संस्कृत के शब्दों से समृद्ध हुई हैं और वे देश के विभिन्न भागों में फल-फूल रही हैं। उन्होंने कहा कि संस्कृत में लिखित रामकथा भारतीय संस्कृति की आधारशिला है और भारत की जन चेतना संस्कृत में ही गूंजती है।
इस अवसर पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि संस्कृत भाषा में भारतीय संस्कृति की महक निहित है। सरकार, संस्कृत भाषा के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठा रही है।