नंदकुमार साय की भाजपा में वापसी तय..! जब जागे तभी सबेरा…

लगभग 8 माह पूर्व भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए आदिवासी नेता नंदकुमार साय ने कांग्रेस से कुछ दिनों पूर्व त्यागपत्र दे दिया है।

तब पार्टी छोड़ने का कारण भाजपा पर उन्होंने अपनी उपेक्षा किया जाना बताया था। अब पार्टी छोड़ते समय कांग्रेस पर भी उन्होंने यही आरोप लगाए।

कांग्रेस में शामिल होने के साथ ही नंदकुमार विधानसभा के टिकट की मांग कर रहे थे, लेकिन पार्टी टिकट नहीं मिलने पर चुनाव के दौरान कांग्रेस को लेकर कोई प्रचार प्रसार उन्होंने नहीं किया। चुनाव परिणाम आने के साथ ही कांग्रेस से उनका मोहभंग हो गया।

लोकसभा चुनाव मई 2024 में हैं, ऐसे में माना जा रहा है कि भाजपा में उनकी वापसी हो सकती है। विष्णुदेव साय के मुख्यमंत्री बनने के बाद नंदकुमार साय ने उनसे सौजन्य भेंट भी थी।

सरगुजा जिले की राजनीति में नंदकुमार साय का अपना आभामंडल है लेकिन कांग्रेस को उनके प्रभाव का कोई लाभ नहीं मिला और यही कारण है कि सरगुजा जिले की 14 विधानसभा सीटें भाजपा के खाते में चली गई।

कांग्रेस को भले ही नंदकुमार साय के प्रभाव का लाभ विधानसभा चुनावों में नहीं मिला लेकिन 2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को उनकी वापसी का सीधा लाभ मिल सकता है।

श्री साय के कांग्रेस छोड़ने का असर सरगुजा की राजनीति पर पड़ेगा। साय सरगुजा से वर्ष 2004 में लोकसभा सदस्य रहे हैं। इससे पहले साय 1989 और 1996 में रायगढ़ सीट से लोकसभा सदस्य चुने गए थे। वर्तमान में सरगुजा संभाग की 14 विधानसभा सीट में से एक पर भी एक पर भी कांग्रेस के विधायक नहीं हैं।

तब मुख्यमंत्री नंदकुमार साय होते

कर्मठता के कारण जीवन में ऊंचाई पर पहुंचे नंदकुमार साय अगर भाजपा में ही रहते तो वरिष्ठता के क्रम में विष्णुदेव साय की जगह वे ही आज छत्तीसगढ़ के प्रथम हिंदू जनजातीय समाज के मुख्यमंत्री होते।

खैर जब जागे तभी सबेरा, तय है कि लोकसभा चुनावों को दृष्टिगत रखते हुए भाजपा भी उन्हें वापस लेने के साथ ही पार्टी में सम्मानजनक भूमिका देगी।

जनसेवा के लिए नायब तहसीलदार की नौकरी नौकरी छोड़ देने वाले साय ने 1970 में समाज से शराब छोड़ने की अपील करने पर समाज के लोगों ने तर्क दिया कि जैसे खाने में नमक है, उसी तरह उनके लिए शराब है, तब श्री साय ने उन्हें कहा कि यदि ऐसा है तो वे नमक खाना छोड़ रहे हैं और इसके बाद से वे नमक नहीं खा रहे।

तीन बार विधायक, तीन बार लोकसभा के सांसद और दो बार राज्यसभा के सांसद रहे श्री साय अविभाजित मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ भाजपा के अध्यक्ष रहे और छत्तीसगढ़ के पहले नेता प्रतिपक्ष रहे, साथ ही, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष भी रहे,उन्हें केंद्रीय मंत्री का दर्जा प्राप्त था।

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