सब यहां पॉजिटिव होना चाहते है : मरवाही उपचुनाव

सरकार के डेड़ बरस का काम v/s सहानुभूति लहर

ब्यूरो डेस्क। मरवाही क्षेत्र का प्रतिनिधित्व जोगी परिवार के खाते में लगातार जाता रहा है।आसन्न छत्तीसगढ़ के मरवाही विधानसभा उपचुनाव को लेकर राजनीतिक दलों ने बिसात बिछानी शुरू कर दी है। अपने क्षेत्र में अजीत जोगी ने आम आदमी से जुड़कर काम किया है, इस तरह से अजीत जोगी का पैतृक क्षेत्र होने के कारण परिवार की जनता में पूरी पैठ है। प्रदेश की राजनीति में अजीत जोगी का जो रूतबा था,उस रुतबे से हर इस विधानसभा क्षेत्र का प्रत्येक मतदाता अपने को जुड़ा हुआ पाता है। होने वाले उपचुनाव पर पूरे देश की नजर है और कांग्रेस, भाजपा,जनता कांग्रेस इन तीनों प्रमुख पार्टियों के मध्य हारजीत का फैसला होना है।पहली बार जोगी परिवार बिना अजीत जोगी के मैदान में अपनी किस्मत आजमाने के लिए उतरेगा,जिसकी तैयारियां शुरू हो चुकी है और इसके साथ ही अन्य दल भी पॉजिटिव परिणाम की आस में सक्रिय हो गए हैं।

इधर सत्तारूढ़ दल को अंदाजा है कि उपचुनाव में बहुत मेहनत करनी पड़ेगी और शायद यही कारण है कि चुनावी तैयारी के मामले में सत्ताधारी कांग्रेस ने जनसंपर्क की शुरुआत कर दी है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कार्यकर्ताओं से संपर्क करके पहले दौर की बातचीत पूरी कर ली है।कांग्रेस ने जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के प्रमुख सिपहसालार ज्ञानेंद्र उपाध्याय को भी अपने खेमे में ले लिया है,वे अजीत जोगी के करीबी रहे हैं और लंबे समय से जोगी के चुनाव संचालन से लेकर उनके समस्त कार्यों की जिम्मेदारी निभाते रहे हैं।

यह सीट मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कामकाज और उनकी राजनीतिक ताकत का वास्तविक अनुमान लगाएगी। डेढ़ साल से सत्ता में रही कांग्रेस ने किसानों के लिए बेहतर काम का दावा किया है। ऐसे में मरवाही के वोटर सीएम बघेल के कामकाज पर मुहर लगाते हैं, या फिर अजीत जोगी के निधन के बाद उपजी सहानुभूति के साथ जाते हैं, यह तो समय ही बताएगा। यहां पर यह भी तय है कि सहानुभूति लहर का फायदा नए चेहरे को ही अधिकतर मिलता रहा है।अब ऐसे में जनता कांग्रेस क्या लाभ ले सकती है, ये प्रत्याशी चयन पर भी निर्भर करता है।

“मरवाही किसी का गढ़ नही..”

मरवाही विधानसभा छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के परिवार का वर्ष 2001 से गढ़ रहा है और अजीत जोगी ने इसी सीट से जीत हासिल कर मुख्यमंत्री बनने का गौरव हासिल किया था। मरवाही विधानसभा को जोगी परिवार का गढ़ होने की बात पर मरवाही क्षेत्र में कांग्रेस के प्रभारी राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल का अपने चिरपरिचित अंदाज़ में कहना है कि “मरवाही किसी का गढ़ नहीं है। गढ़ होने का सवाल ही नहीं उठता है ।यदि कोई गढ़ होगा भी तो हम उसे तोड़ देंगे।मरवाही सीट को जीतेंगे।”मुख्यमंत्री ने प्रभारी मंत्री की जिम्मेदारी दी है और उपचुनाव जीतने का भी जिम्मा दिया है।इसके मद्देनजर श्री अग्रवाल चाय-चौपाल के जरिये जनसंपर्क अभियान में जुट गए हैं।

भाजपा से बृजमोहन सम्हालेंगे कमान..

प्रदेश भाजपा में बृजमोहन अग्रवाल को सबसे सफल रणनीतिकार माना जाता है और स्वयं वे 6 बार लगातार चुनाव जीत चुके हैं।विगत आम चुनाव में रायपुर लोकसभा को सबसे कठिन माना जा रहा था। संगठन ने रायपुर लोकसभा सीट के चुनाव संचालन की जिम्मेदारी बृजमोहन को सौंपी थी। चुनाव का परिणाम भाजपा प्रत्याशी सुनील सोनी के पक्ष में रहा।भाजपा नेतृत्व को उनसे ज्यादा भरोसा किसी पर नही ह,ऐसे में।मरवाही की कमान संभालने का अवसर उन्हें मिल सकता है।

दलबदलू सबसे ज्यादा सक्रिय हैं

छत्तीसगढ़ की इस विधानसभा सीट का अपना ही इतिहास है कि इस विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने वाले किसी न किसी रूप में दलबदल कर चुके हैं।अभी चुनाव लड़ने वाले नेताओं को छोड़ दें तो भी कार्यकर्ता स्तर पार्टी बदलू सबसे ज्यादा सक्रिय हैं।