स्वामी सूर्यदेव : यजुर्वेद में तस्करों को नमन जघन्य को नमन..?

आप कहेंगे ये तो उचित नहीं,, चोर डाकू व्यभिचारी बलात्कारी देशद्रोही शत्रु को कोई कैसे नमस्ते करे?? देखते ही उनका

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