एस्ट्रो निशांत : मुर्गा खाने से ये ग्रह देतें हैं अशुभ फल.. तब आप कुत्ते का मांस खाएंगे…

प्राचीन वैदिक काल में रात और दिन के समय का आंकलन करने के लिए प्रकृति का सहारा लिया जाता था।
जिस अन्य तरीके से सूर्योदय का समय ज्ञान अनुकूल था वो था मुर्गे की बांग। प्राचीन समय से ये तरीका आज भी जारी है। जो सही भी है। राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनेक सफल गणना कर चुके एस्ट्रो निशांत (7974939026) इस संबंध में आगे कहते हैं कि ज्योतिष में सूर्य को तेजोमय आत्मकारक ग्रह अर्थात यानी ब्रम्हांड के प्रत्येक जीवों की आत्मा का कारक माना गया है।
एस्ट्रो निशांत कहतें हैं – “कुतर्की तर्क करते हैं कि हम इन्हें नहीं खाएंगे तो इनकी संख्या बढ़ जाएगी। अब पालेंगे तो संख्याओं में वृद्धि होगी ही। ऐसे तो कुत्ते भी अगर दबढे में रखकर पाले तो उनकी भी संख्या बढ़ जाएगी, तो क्या आप कुत्ते खाएंगे? “
वैसे तो किसी भी जीव की हत्या पर सूर्य दोष से लगता है और मुर्गा खाने पर विशेष रूप सूर्य का अशुभ फल ही प्राप्त होता है। कटहल, बेल, अदरक, लौंग, तेजपत्ता आदि भी सूर्य के कारक हैं।
 बृहस्पति ग्रह के कारक मुर्गे को पालना, उसकी सेवा करने से बृहस्पति शुभ फल देतें हैं। यदि आप काले रंग के मुर्गे को दाना डालते हैं तो शनि भी अच्छा होता है और गुरु भी शुभ परिणाम देता है। आर्थिक लाभ मिलता है।राजनीतिक कैरियर में सफलता मिलती है।
अगर जन्म कुंडली में शनि अवरोध का कारण बन रहा हो उन्हें शनि के साथ गुरु की आश्रय लेना चाहिए। मुर्गे को काले चने खिलाने से कर्जों से मुक्ति मिलती है।
एस्ट्रो निशांत आगे कहते हैं कि सूर्य के तेजोमय गुण से समन्वित मुर्गा जो कि तेज़ का पर्याय है और काल का सूचक माना गया है, उसे सूर्य के उदय होने के साथ ही क्रूरता से हत्या या काटकर खाने पर सूर्य के अशुभ फलों की प्राप्ति शुरू होने लग जाती है जिससे जीवन में कष्ट होता है। ईश्वर को पूजने वाले कभी भी ईश्वर द्वारा उत्त्पत्ति की हुई जीवों को हानि नही करते बल्कि उसे भोजन देकर प्रसन्न करते है। सूर्य को शुभ करने के कई उपायों में मुर्गे को पोषित करना भी शामिल है। आप अगर मुर्गा खाने का महापाप करते हैं तो जल्दी ही इस महापाप से बचें।
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