सुरेंद्र किशोर : राष्ट्रीय प्रेस दिवस के अवसर पर..
पटना के अखबारों में बड़े पदों पर रहे शम्भू नाथ झा ने लिखा है कि ‘‘मुझे पत्रकारिता से इतना प्रेम था कि मैं मैट्रिक से एम.ए.तक की परीक्षाओं में बहुत ऊंचा स्थान पाने पर भी किसी भी समय सरकारी नौकरी की तलाश नहीं की।’’
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–मेरा पत्रकार जीवन,
आर्यावर्त, 27 मई 1989
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दरभंगा महाराज ने सन 1930 में पटना से अंग्रेजी दैनिक ‘इंडियन नेशन’ और 1940 में हिन्दी दैनिक ‘आर्यावर्त’ का प्रकाशन शुरू किया था।
ये दोनों अखबार कभी बिहार के सबसे बड़े अखबार थे।
शम्भूनाथ झा इंडियन नेशन के प्रकाशन के प्रारंभिक वर्षों में ही उस अखबार से जुड़े थे।
वे चाहते तो सरकार में अच्छी व पक्की नौकरी कर सकते थे।
अखबार की नौकरी तब भी पक्की नहीं मानी जाती थी।
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ब्रिटिश शासन काल में जो लोग इन दो अखबारों के संपादकीय विभागों से जुड़े थे,जाहिर है कि वे भी सरकारी या अन्यत्र नौकरी कर सकते थे।तब कम ही लोग पढ़े-लिखे थे।
पर,उनमें से अधिकतर लोग मिशन के तहत अपेक्षाकृत कम वेतन पर पत्रकारिता से जुड़े थे।
नतीजतन पत्रकारों और अखबारों का एक स्तर था।
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आज कितने लोग ‘मिशन’ के तहत मीडिया से जुड़ रहे हैं ?
कितने लोग ग्लेमर के कारण जुड़ रहे हैं ?
किंतने लोग नौकरी के लिए जुड़ रहे हैं ?
यानी,आज कुल मिलाकर जुड़ने के मिले -जुले उद्देश्य हंै।
इसीलिए मीडिया का स्वरूप आज मिला जुला है।
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.वैसे कुल मिला कर आज भी मीडिया का अधिकांश फिर भी अन्य अनेक ‘संस्थानों’ से बेहतर है।
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16 नवंबर 22
