ओम लवानिया ‘प्रोफेसर’ : सत्ता के लालच में विपक्षियों-तथाकथित बुद्धिजीवीयों की सोच भारत को श्रीलंका बनाने की…
भारत में बैठे सपोले सोशल मीडिया पर श्रीलंका के स्विमनिंग पूल व अन्य तस्वीरें सांझा करके पूछ रहे है कि ऐसे दिन हमारे कब आएंगे ?
विपक्षी दल व उनके बुद्धिजीवी और आउट सोर्स विंग भी मन्नतें कर रहे है और दुआ मांग रहे है। भारत में भी श्रीलंका सरीख़े हालात बन जाए।
सुबह सुबह ट्वीट करके पूछते है भारत भी श्रीलंका की दिशा में बढ़ रहा है?
खुशहाल देश में जीतने का दम नहीं है तो बदहाल माहौल में जनता वर्तमान सरकार को उखाड़ फेंके। ताकि वे सत्ता में आ सके। ऐसे कई विधायकों के ख्वाब है। लेकिन… लेकिन! वे भूल बैठे है कि जब लंका अहंकार के मद में चूर होती है तब उसका दहन निश्चित है।
उस कालखण्ड में लंका रावण के अहम में डूबी हुई थी। वर्तमान में परिवारवाद और चीन के साए में पड़ी रही, ऐसे में दहन हो जरूरी था। राजपक्षे भी भाग खड़े हुए, अब गोटबाया राजपक्षे भी भाग लिए है।
भारत श्री राम व श्रीकृष्ण की भूमि है यहाँ ऐसे दिन कभी न आएंगे। श्रीलंका को भी भारत ही पुनः खड़ा कर सकता है।
अगर 2014 में भारत की राजनीति में परिवर्तन न होता तो यकीनन, भारत की दशा और दिशा अलग होती क्योंकि राष्ट्र से पहले वंश को प्राथमिकता में सदैव राष्ट्र को नुकसान होता है। भारतीय राजनीति में 90% दल वंशवाद की चपेट में है।
