देखिए सुधीर चौधरी का हाहाकारी VDO… प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस्तीफे की अंतिम मांग के साथ खत्म होगा किसान आंदोलन..?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन में खास बात यह रही कि उन्होंने कहा कि ” पूर्ण रूप से शुद्ध, किसानों के हित की बात, हम अपने प्रयासों के बावजूद कुछ किसानों को समझा नहीं पाए। कृषि अर्थशास्त्रियों ने, वैज्ञानिकों ने, प्रगतिशील किसानों ने भी उन्हें कृषि कानूनों के महत्व को समझाने का भरपूर प्रयास किया। ” इसका आशय यही है कि देश के 90% छोटे किसानों के लिए हितकारी बिल कुछ बड़ो की समझ में नहीं आया। उन्होंने देशवासी किसानों से माफी मांगी है न कि अराजक तत्वों से माफी मांगी।

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुक्रवार को राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा के बाद आंदोलनकारी किसान संगठनों ने अपनी पहली बैठक में निर्णय लेते हुए कहा है कि , ”हमने कृषि कानूनों को निरस्त करने पर चर्चा की। एसकेएम के पूर्व निर्धारित कार्यक्रम जारी रहेंगे। 22 नवंबर को लखनऊ में किसान पंचायत होगी, 26 नवंबर को सभी सीमाओं पर सभा होगी और 29 नवंबर को संसद तक मार्च निकाला जाएगा।

किसान बिल वापस लेने के बाद भी अब नए विषय आंदोलन को जीवित रखने के लिए तलाशे जा रहे हैं। वस्तुतः कृषि कानून आंदोलन का विषय था ही नहीं। मुख्य विषय भारत में अराजकता फैलाने का था। जिस पर एक प्रकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रहित में स्वयं झुककर, माफी मांगकर इनके इरादों को विराम देने का प्रयास किया है।

जी न्यूज के एंकर, संपादक सुधीर चौधरी ने काफी समय पूर्व अपने एक DNA के कार्यक्रम में स्पष्ट कर दिया था कि मोदी सरकार अगर कृषि कानून वापस ले भी लेती है तो उसके बाद भी ये अर्बन नक्सलियों रिहाई सहित अन्य मांगों को लेकर प्रदर्शन जारी रखेंगे और अंत मे इनकी मांग होगी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इस्तीफा…यह VDO आपकी आंखें और किसान आंदोलन की पोल खोल देगा…

 

राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय विषयों के जानकार चन्दर

मोहन अग्रवाल कहते हैं कि ” किसानों को तो सिर्फ इसलिए जोड़ा गया था कि अगर सरकार कोई सख्त कदम उठाए तो इसे किसानों पर उठाया गया सख्त कदम बताकर पूरे देश के किसानों को भड़का कर गृह युद्ध जैसे हालात पैदा किये जा सकें। चीन सरहद पर अपनी सेना लिए खड़ा है कि कब भारत में गृहयुद्ध के आसार पैदा हों और कब वो भारत पर अटैक करे। ”

आगे वे स्पष्ट रूप से कहतें हैं कि ” आपको क्या लगता है कि ये लोग अब अपना आंदोलन वापस ले लेंगे। मुझे तो बिल्कुल भी नहीं लगता। मुझे तो उल्टा लगता है कि जिस तरह से इनको भर भर कर विदेशी फंडिंग आ रही है यह आंदोलन अभी और ज्यादा जोर पकड़ेगा। पहले के और अब के आंदोलनों में फर्क सिर्फ इतना होगा कि इस बार निरीह किसानों को वो इस आंदोलन में शायद न घसीट पाएं।

अभी भी मुझे पूरा शक है कि इस आंदोलन को ये  अपने विदेशी आकाओं के कहने पर किसानों के साथ जोड़ने का नया प्रयास करने  की कोशिश करेंगे। कर्ज माफी, मुफ्त बिजली, मुफ्त फर्टेलाइज़र्स या दुगना तिगना MSP,  जैसा कोई भी मुद्धा जोड़कर अपने आंदोलन को किसानों के साथ जोड़कर रखेंगे। ”

 

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *