नई शिक्षा नीति : स्कर्ट की जगह सलवार-कुर्ता भारतीय होने का गर्व महसूस कराएगी..पूरे देश में एक ड्रेस कोड की जरूरत

नई शिक्षा नीति के संबंध में जो तथ्य सामने आ रहे हैं उससे स्पष्ट नजर आ रहा है कि शिक्षकों को खासकर प्राइमरी स्तर के शिक्षकों को शासकीय कार्यों से पूरी तरह मुक्त रखा जाएगा। उल्लेखनीय है कि पूर्व की नीति में 80%  शिक्षक वर्ष भर इसी में लगे रहते थे।इसी तरह बेहतर शिक्षा के लिए प्रशिक्षण भी अनिवार्य किया गया है। नई शिक्षा नीति में पुस्तकों के बोझ को भी कम करने की दिशा में बेहतरीन प्रयास किए गए हैं। सबसे बड़ी बात 34 वर्षों के बाद आई समिति में शिक्षा नीति में बड़ा बदलाव किया गया है। नई शिक्षा नीति में कई बातों का समावेश करते हुए आर्थिक रूप से पिछड़े क्षेत्रों में पिछड़े लोगों को शिक्षा की ओर आकर्षित करने के लिए मिड डे मील के साथ नाश्ते की भी व्यवस्था का प्रावधान रखा गया है।
नई शिक्षा नीति को लागू करने के लिए करीब 5 वर्ष से काम चल रहा था। इस दौरान ब्लॉक जिला स्तर पर सभी क्षेत्रों से पूरे देश से सुझाव मांगे गए थे। उम्मीद की जा रही है कि सकल जीडीपी का 6 परसेंट खर्च होने से शिक्षा का स्तर बढ़ेगा।
पूरे देश में एक समान पाठ्यक्रम, एक साथ आयोजित होने वाली परीक्षाएं और इसके साथ ही एक साथ आयोजित होने वाली प्रतियोगी परीक्षाएं जो देश को एक सूत्र में बांधकर चलेगी क्योंकि इसकी मॉनिटरिंग खुद प्रधानमंत्री करेंगे। इसलिए नई शिक्षा नीति को लेकर व्यक्त की जा रही तमाम तरह की आशंका निराधार है। विपक्ष के भी अनेक दिग्गज नेता नई शिक्षा नीति को लेकर आशान्वित हैं। कुल मिलाकर यह की नई शिक्षा नीति के बारे में जो छवि बन रही है वह यह कि नई शिक्षा नीति बच्चों में भारतीय होने का गर्व महसूस कराएगी।
नई शिक्षा नीति में पूरे देश में एक समान नीति शिक्षा के क्षेत्र में लागू करने की बात कही गई है लेकिन ड्रेस कोड को लेकर कहीं पर भी कुछ व्यक्त किया गया हो ऐसा कुछ सामने नहीं आ रहा है। नई शिक्षा नीति के संबंध में अनेक बातें कही गई है लेकिन छात्राओं के ड्रेस कोड को लेकर कहीं पर भी कुछ व्यक्त किया गया हो, ऐसा कुछ दिखाई नहीं दे रहा है। इस संबंध में सबसे बड़ी आश्चर्य की बात तो यह है कि देश के अधिकांश पब्लिक स्कूलों में युवा होती लड़कियों के लिए स्कर्ट पहनने का नियम बनाया गया है जबकि लड़के फुल पेंट ही पहन कर आते हैं। कई स्कूलों में तो स्कर्ट की लंबाई का माप घुटनों से ऊपर तय है। प्रायमरी शिक्षा तक तो लड़कियों के लिए स्कर्ट पहनने का नियम तो एक हद तक उचित है लेकिन इसके बाद की स्थिति में इस पर अब विराम देने की आवश्यकता है, जिसकी आशा नई शिक्षा नीति में देश भर के अभिभावकों को है।
नई शिक्षा नीति बनाते समय ड्रेस कोड का भी उल्लेख आवश्यक तौर पर किया जाना चाहिए था, जो कि कहीं पर नजर नहीं आ रहा है। ड्रेस कोड को लेकर भी सरकार को स्पष्ट रूप से देश में एक समान नीति लागू करना चाहिए। उल्लेखनीय है कि कुछ समय पूर्व लंदन में जो पश्चिमी सभ्यता का प्रतीक देश भी माना जाता है स्कर्ट पहनने को लेकर वहां के स्कूलों में निषेध आदेश जारी किया गया था जिसका पूरे देश में स्वागत हुआ था।
भारतीय संस्कृति-परंपरा के मापदंडों के अनुरूप स्कर्ट स्कूलों में स्कर्ट पहनने पर नई शिक्षा नीति में रोक लगाया जाना चाहिए। हालांकि इस पर भी कुछ तथाकथित बुद्धिजीवी सामने आकर इसे कपड़ों की स्वतंत्रता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर कुठाराघात की बात कहकर विरोध करने के लिए सामने आ सकते हैं। देश के कई भागों से समय-समय पर  इस मुद्दे  पर  लोग मुखर होते रहे हैं और अब जब  सही मायनों में एक बेहतर शिक्षा नीति देश में 34 वर्षों के बाद आई है तो लोगों की अपेक्षा भी सही गरिमामय ड्रेस कोड को लेकर सरकार से है, शिक्षा मंत्रालय से है।
सही मायनों में स्कूलों में सलवार सूट और दुपट्टा से बेहतर गरिमामय पोशाक छात्राओं के लिए और कुछ नहीं हो सकता। बेहतर होगा कि सरकार नई शिक्षा नीति में ड्रेस कोड को लेकर पूरे देश के स्कूलों में समान ड्रेस कोड को भी लेकर एक नीति बनाएं।

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