अमित सिंघल : “नेतृत्व पर विश्वास रखिए”.. भारतीय नेतृत्व को Thucydides Trap के बारे में पता है और…

हार्वर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ग्राहम एलिसन का मानना है कि अंतरराष्ट्रीय जगत में एक स्थापित शक्ति (ruling power) किसी उभरती हुई शक्ति (rising power) को अपने समकक्ष खड़ा होने से रोकना चाहेगी। अगर उभरती हुई शक्ति ने स्थापित शक्ति को चुनौती देने का प्रयास किया तो उसकी परिणीति युद्ध होती है जो उन दोनों शक्तियों के मध्य सम्बन्ध को पुनर्स्थापित करती है।

उन्होंने पिछले 500 वर्ष में 16 ऐसी परिस्थितियों का अध्ययन किया जिसमें एक उभरते हुए राष्ट्र की शक्ति में तेजी से वृद्धि हुयी जिसे एक स्थापित राष्ट्र ने अपनी शक्ति की तरफ चुनौती के रूप में लिया। इन 16 में से 12 स्थितियों का परिणाम युद्ध में निकला।

इस स्थिति को प्रोफेसर एलिसन Thucydides Trap या थूसीडाइड्स जाल का नाम दिया जिसका वर्णन इस लेख में आवश्यक नहीं है।

प्रोफेसर एलिसन ने याद दिलाया कि अमेरिकी सैन्य बलों ने अमेरिकियों के अनुकूल आर्थिक या क्षेत्रीय विवादों को निपटाने के लिए 30 से अधिक अलग-अलग अवसरों पर पश्चिमी जगत में हस्तक्षेप किया, या विरोध करने वाले नेताओं को सत्ता से बाहर कर दिया।

प्रोफ़ेसर एलिसन ने निष्कर्ष निकाला कि चीन जो एक उभरती हुई शक्ति है, वह एक स्थापित शक्ति, अमेरिका, को चुनौती दे रहा है। अतः इन दोनों राष्ट्रों के मध्य युद्ध की संभावना बढ़ जाती है।

प्रोफेसर एलिसन की थ्योरी को भारत के संदर्भ में भी देखा जाना चाहिए।

प्रधानमंत्री मोदी के सत्ता में आने के बाद उनके द्वारा उठाए गए कदमों से शक्तिशाली राष्ट्रों में सुगबुगाहट शुरू हो गई है। सीमा पर बन रही सड़क, पुल तथा अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर; सेना को दिए जा रहे आधुनिक हथियार; आत्मनिर्भर भारत पे जोर; पड़ोसी देश के बेल्ट और रोड प्रोग्राम को ज्वाइन करने से मना कर देना; सूर्य ऊर्जा के क्षेत्र में विश्व में अपने आप को एक शक्ति के रूप में स्थापित करना; भारतीय महासागर में नौसेना का आधिपत्य जमाना; रूस से तेल खरीदना; यह सभी नीतियां आज के दबंग देशो के लिए चिंता का विषय है।

इन शक्तियों को पता है कि उन्होंने लाल देश को समय रहते चुनौती नहीं दी थी जिसके कारण लाल देश उनकी नाक के नीचे से एक महाशक्ति के रूप में स्थापित हो गया।

लेकिन अब ऐसे दबंग देश यह “गलती” भारत के सन्दर्भ में नहीं दोहराना चाहते है।

इसी कारण से कुछ समय से सीमा पे भिड़ंत, व्यापार को लेकर तनाव और आतंकियों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर समर्थन की नीति अपनाए हुए है। बांग्लादेश की स्थिति हम देख ही रहे है।

भारतीय नेतृत्व को Thucydides Trap के बारे में पता है और वह राष्ट्र हित में कदम उठा रहा है।

तभी प्रधानमंत्री मोदी ने इस स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से कहा कि जैसे-जैसे हम ताकतवर बनेंगे, जैसे-जैसे हमारा तवज्जो बढ़ेगा तो चुनौतियां भी बढ़ने वाली हैं। बाहर की चुनौतियां और बढ़ने वाली हैं और मुझे उसका भलीभांति अंदाज है।

लेकिन मैं ऐसी शक्तियों को कहना चाहता हूं भारत का विकास किसी के लिए संकट ले करके नहीं आता है। हम विश्व में समृद्ध थे तब भी, हमने कभी दुनिया को युद्ध में नहीं झोंका है। हम बुद्ध का देश हैं, युद्ध हमारी राह नहीं है। और इसलिए विश्व चिंतित न हो, भारत के आगे बढ़ने से मैं विश्व समुदाय को विश्वास दिलाता हूं कि आप भारत के संस्कारों को समझिए, भारत के हजारों साल के इतिहास को समझिए, आप हमें संकट मत मानिए, आप उन तरकीबों से न जुड़िए, जिसके कारण पूरी मानव जाति का कल्याण करने का सामर्थ्य जिस भूमि में है, उस भूमि को ज्यादा मेहनत करनी पड़े।

चुनौतियां कितनी ही क्यों न हों, चुनौती को चुनौती देना, ये हिंदुस्तान की फितरत में है। न हम डिगेंगे, न हम थकेंगे, न हम रुकेंगे, न हम झुकेंगे।

प्रधानमंत्री मोदी को पता है कि बांग्लादेश में क्या हुआ है। उन्होंने दबंग देशो को सन्देश दे दिया है।

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