दयानंद पांडेय : मैं इस बार चुनावी यात्रा नहीं कर रहा था , जनता से आशीर्वाद मांगने के लिए तीर्थ यात्रा कर रहा था
बीते पांच साल से नरेंद्र मोदी का भाषण सुनना हम जैसे लोगों के लिए आम बात है। मोदी बहुत अच्छा भाषण देने वालों में शुमार हैं। बहुत अच्छे स्टोरी टेलर हैं। कनविंस करने की अदभुत क्षमता है उन में। कई बार तथ्यों की गलती पर उन का ख़ूब मजाक भी उड़ाते रहे हैं लोग। लेकिन आज लोकसभा के सेंट्रल हाल में नरेंद्र मोदी के भाषण में इतनी सकारत्मकता थी , इतनी विनम्रता और इतनी भावुकता थी कि पूछिए मत। 303 सीट भाजपा जीती है और एन डी ए की बाक़ी पार्टियां कुल मिला कर 50 सीट। लेकिन इन 50 सीट वाले एन डी ए के छोटे-छोटे छत्रपों को इतना मान देना , रिसियाए लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी के भी पांव छू कर आत्मीय सम्मान देना , बड़ी बात है। गांधी , दीनदयाल और लोहिया की बात की। अम्बेडकर की बात की। जातीय राजनीति में छेद कर दिया है की स्वीकारोक्ति के बाद यह कहना कि अल्पसंख्यकों की राजनीति में भी छेद करना है अब। भाषण में यह कहना कि मैं इस बार चुनावी यात्रा नहीं कर रहा था , जनता से आशीर्वाद मांगने के लिए तीर्थ यात्रा कर रहा था। बड़ी बात है और दूर का संदेश भी।
कोई यह बात माने या न माने पर कृपया मुझे यह बात कहने की अनुमति दीजिए कि नरेंद्र मोदी ने 2024 का चुनाव प्रचार आज ही से शुरू कर दिया है। जनता से आशीर्वाद मांगने की तीर्थ यात्रा की पीठिका है आज सेंट्रल हाल में दिया गया नरेंद्र मोदी का भाषण। तमाम फोटुएं आज मेरे सामने से गुज़री हैं , नरेंद्र मोदी की। लेकिन राष्ट्रपति से उन के आज मिलने की फोटो अजब थी। हाथ मिलाते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद नरेंद्र मोदी से कहीं ज़्यादा विह्वल थे गोया नरेंद्र मोदी नहीं , कोविंद ख़ुद प्रधान मंत्री बनने की खुशी में तैर रहे हों। किसी बच्चे की तरह खिलखिलाते और मचलते हुए। एक बात और अभी तक नरेंद्र मोदी भाजपा के नेता थे , ग्लोबल नेता थे , एन डी ए के भी सो काल्ड नेता थे। पर आज वह एन डी ए के सर्वमान्य नेता बन कर उभरे हैं। लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी के लाडले बन कर। मोदी के पांव छूने पर जोशी ने जिस तरह मोदी के गाल पर आत्मीय थपकी दे कर , माथे पर हाथ रख कर किसी खांटी ब्राह्मण की तरह आशीर्वाद दिया है , वह भी अनन्य है।
(पुरा लेख वर्ष 2019)