चंदर मोहन अग्रवाल : मोदी सरकार पर कर्ज का बोझ.. भाग-1
भारतीय सरकार द्वारा लिए जा रहे हैं लोन के बारे में लिखने से पहले मैं आपको यह बताना चाहूंगा कि इस विषय पर मुझे कई लेख लिखने होंगे क्योंकि अगर मैं एक लेख में विस्तार से लिखूंगा तो शायद कोई भी इसे पूरा नहीं पड़ेगा.
मोदी जी की सरकार ने बहुत ज्यादा लोन ले लिया है। इसके लिए पहले मैं आपको एक उदाहरण देता हूं:
अक्सर हमने यह तो जरूर देखा होगा की बैंक वाले अपने बैंक में FD बनवाने के लिए मिन्नतें करते हैं कि आप आओ हमारे बैंक से FD बनवाओ। अगर आप बड़े अमाउंट की FD बनवाओगे तो हम आपको प्रायोरिटी कस्टमर भी बनाएंगें और ब्याज के अलावा हम आपको बहुत सारी सुविधाएं मुफ्त में उपलब्ध कराएंगें। अब बैंक ने इतना सारा जनता से लोन ले लिया और उसे पर ब्याज भी दे रहा है और अपने यहां रखे गये एम्पलाइज को सैलरी भी देता है तो बैंक तो तबाह हो जाएगा लेकिन ऐसा होता नहीं क्योंकि बैंक उस प्राप्त रुपए को विभिन्न लोगों को कुछ ऊंची रेट पर लोन पर देता है और प्राप्त ब्याज में से अपने द्वारा दिए गए ब्याज और खर्चों को काटकर अपना प्रॉफिट बनाता है।
इसी तरह कोई भी अच्छी सरकार लोन लेकर विभिन्न प्रोजेक्ट्स में पैसा लगाती है और फिर उससे प्राप्त होने वाली आय में से अपने खर्चे और ब्याज घटाकर बाकी के पैसों को दोबारा किसी अन्य प्रोजेक्ट में लगाती है।
यह तो हुई मोदी सरकार की बात अब इसी तरह से प्राप्त लोन को अगर सरकार प्रोजेक्ट्स में लगाने के बजाय अपने चमचों में बांट दे तो उससे तो शुद्ध घाटा ही होगा क्योंकि आय तो होगी नहीं। इस तरह से लिए गए लोन को बैड लोन कहा जाता है जो पहले होता रहा था। जबकि मोदी सरकार द्वारा लिए जा रहे लोन को गुड लोन कहा जाता है। पहले लगभग सभी उपक्रम जैसे रेलवे, एवियशन, डीआरडीओ, इसरो, हाल, जैसे अन्य सरकारी उपक्रम भी बहुत बड़े-बड़े घाटों में चलते थे जो अब लगभग सभी प्रॉफिट में आ गए हैं। यानी कि उनको दिया गया पैसा अब कमाई के रूप में सरकार को वापस आ रहा है।
इसी तरह मोदी सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर पर बहुत ज्यादा पैसा खर्च कर रही है जिसका दूरगामी परिणाम आय के रूप में होगा। इसको मैं दो एग्जांपल्स से समझाता हूं।
आज से लगभग 134 वर्ष पूर्व एफिल टावर को बनाया गया था आज दुनिया भर से लोग फ्रांस में सिर्फ एफिल टावर को ही देखने आते हैं और टूरिज्म का यह एक बहुत बड़ा स्पॉट बना हुआ है जो कि फ्रांस की सरकार को लगभग 344 Billion euro दे चुका है. इसी तरह के कई टूरिस्ट स्पॉट के ऊपर भारतीय सरकार ने भी खर्च किया है जो की आने वाले समय में भारतीय जीडीपी में महत्वपूर्ण योगदान देंगे और मूल रकम और ब्याज तो कुछ वर्षों में ही वापस आ जाएगा और फिर भविष्य में सिर्फ प्रॉफिट ही प्रॉफिट होगा. एक बहुत बड़ी मात्रा में भारतीय सरकार ने सड़क निर्माण पर खर्च किया है जो कि भविष्य में टोल के रूप में न सिर्फ ब्याज अर्जित करेगा बल्कि अपने ऊपर खर्च गए रकम को पूरा करने के बाद भविष्य में कमाई देगा।
क्रमश: