विधानसभा अध्यक्ष डॉ. महंत तोड़ेंगे मिथक..रचेंगे इतिहास…!

ब्यूरो डेस्क। छत्तीसगढ़ के अस्तित्व में आने के साथ ही छत्तीसगढ़ प्रथम विधान सभा अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद शुक्ल बने। राजेंद्र प्रसाद शुक्ल एक प्रतिष्ठित राजनेता रहे और विधानसभा अध्यक्ष रहने के दौरान ही उनका आकस्मिक निधन हुआ और संपन्न हुए उपचुनाव में उनकी रिक्त विधानसभा सीट से कांग्रेस की श्रीमती रेणु जोगी चुनी गईं।

श्री शुक्ल के बाद से लगातार एक रिकार्ड रहा है कि विधानसभा अध्यक्ष पद पर रहने के दौरान कोई भी अगली बार विधायक न चुना जा सका,चुनाव में पराजय का सामना करना पड़ा।।ऐसा क्यों है, ये भी एक बड़ी रहस्यमयी परिस्थिति है या कहे कोई बड़ा टोटका है।इस संबंध में मैंने अपने एक आध्यात्मिक गुरुजी से पूछा भी क्योंकि वे गहरे तक प्रश्न करते ही देख जाते हैं लेकिन वे हंसते हुए टाल गए।

अब आगे की बात इसके बाद प्रदेश के वर्ष 2003 के दूसरे विधानसभा चुनाव में भाजपा बहुमत के साथ सत्ता में आई और छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष के रूप में प्रेमप्रकाश पांडेय चुने गए लेकिन छत्तीसगढ़ की चुनिंदा हाई प्रोफाइल सीटों में से एक भिलाईनगर से विधानसभा अध्यक्ष रहने के दौरान श्री पाण्डेय चुनाव हार गए।

इससे बाद तृतीय विधानसभा चुनाव के बाद 2009 में धरमलाल कौशिक विधानसभा अध्यक्ष रहे और इसके बाद 2013 के विधानसभा चुनाव में उनको भी पराजय का मुंह देखना पड़ा।

वर्ष 2014 से चौथे विधानसभा सत्र में विधानसभा अध्यक्ष रहे गौरीशंकर अग्रवाल 2018 में विधानसभा के द्वार पहुंचने से चुक गए।

अब जबकि मृदुभाषी डॉ. चरणदास महंत विधानसभा अध्यक्ष है।सक्ती विधानसभा क्षेत्र चूंकि मेरा ननिहाल है,सो लगातार आवाजाही के कारण मुझे पता है कि वे लोगों के बीच खासे लोकप्रिय हैं।।वैसे डॉ. महंत अपनी कार्यशैली के कारण अपने क्षेत्र में लोगों के घर-आंगन तक पहुंच रखतें हैं लेकिन जो मिथक विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव के साथ जुड़ा हुआ है, इसमें उनकी लोकप्रियता कितना साथ देगी,ये भविष्य के गर्भ में है।

टूट चुका है प्रोटेम स्पीकर, नेता प्रतिपक्ष से जुड़ा मिथक
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आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ विधानसभा में प्रोटेम स्पीकर की भी कमावेश यही स्थिति रही है।कभी अजेय कहे जाने वाले बोधराम कंवर को पराजय का दंश झेलना पड़ा था। हालांकि 2018 के चुनाव में सत्यनारायण शर्मा ने इस मिथक को तोड़ा। ये टोटका नेता प्रतिपक्ष के साथ भी छत्तीसगढ़ की राजनीति में था लेकिन 2018 के चुनाव में लोकप्रियता के शिखर पर पहुंचे स्वास्थ्य मंत्री बाबा टी.इस. सिंहदेव ने तोड़ा।उम्मीद है कि प्रोटेम स्पीकर, नेता प्रतिपक्ष का टोटका टूटने के बाद इस बार बारी विधानसभा अध्यक्ष के टोटके के टूटने की होगी।