NRI अमित सिंघल : रहस्य…अब पुनः पढ़िए कि.. सड़को से.. की गाड़ियां उठवा ली गयी…

तत्काल मुंह पर जवाब मारता नये भारत की विदेश नीति पर लेख।

राजनयिक प्रोटोकॉल एवं शिष्टाचार के अंतर्गत डिप्लोमेटिक नंबर प्लेट वाली गाड़ियों का चालान नहीं काटा जाता है; ना ही इन गाड़ियों से पार्किंग चार्ज या फिर टोल टैक्स लिया जाता है।

चूंकि न्यू यॉर्क में कई राष्ट्रों के कॉन्स्युलेट (दूतावास) है और साथ ही संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय के कारण 193 राष्ट्रों के स्थाई मिशन (दूतावास) है, अतः डिप्लोमेटिक नंबर प्लेट वाली गाड़ियों की भरमार है।

समस्या यह है कि न्यू यॉर्क की सड़को पर पार्किंग की व्यवस्था अत्यधिक सीमित है और कई अवेन्यूस या मार्गो पर गाड़िया पार्क नहीं कर सकते। लेकिन अधिकतर कॉन्स्युलेट एवं स्थाई मिशन मुख्य अवेन्यूस पर स्थित है, राजनयिक अपनी कार वहीं पार्क कर देते है।

अतः न्यू यॉर्क पुलिस इन गाड़ियों पर पार्किंग टिकट (चालान) चस्पा देती थी जिसे कॉन्स्युलेट एवं स्थाई मिशन इग्नोर कर देते थे; कूड़े में फेक देते थे।

एक दशक पूर्व न्यू यॉर्क मेयर ने निर्णय लिया कि जिन डिप्लोमेटिक नंबर प्लेट वाली गाड़ियों ने चालान का भुगतान नहीं किया है या फिर वे गाड़िया नो पार्किंग वाली जगह पर पार्क है, उन्हें क्रेन से उठा कर ले जाएंगे, और फिर चालान एवं क्रेन के भुगतान के बाद उन गाड़ियों को छोड़ा जाएगा।

सभी कॉन्स्युलेट एवं स्थाई मिशन ने विरोध किया; लेकिन मेयर नहीं माने। जब कुछ गाड़ियां चेतावनी के रूप में उठवा ली गयी तो फिर कुछ राजनयिकों ने जेब से भुगतान करके अपनी गाड़ियां छुड़वाई। कारण यह है कि कैसे इस पेनाल्टी को सरकारी खाते में डाल देते? क्या अपनी सरकार को बतलाते कि उन्होंने स्थानीय नियमो का उल्लंघन किया था?

फिर न्यू यॉर्क ने रूस के स्थाई मिशन की गाड़ी उठवा ली। रुसी अपनी गाड़ी छुड़वाने नहीं पहुंचे।

अगले दिन मास्को की सड़को से अमेरिकी दूतावास की दसियों गाड़ियां उठवा ली गयी।

उसी दिन – समयांतर के लाभ के कारण – न्यू यॉर्क में उठाई गयी डिप्लोमेटिक नंबर प्लेट वाली सभी गाड़ियां वापस दूतावास तक पंहुचा दी गयी और पूर्व में जो फाइन लिया गया था उसे भी वापस कर दिया।

ब्रिटेन एवं अमेरिका अगर किसी विषय को लेकर अत्यधिक संवेदनशील है तो वह अपने राजनयिकों एवं दूतावासों की सुरक्षा को लेकर है।

तंज़ानिया, केन्या, लेबनान एवं लीबिया स्थित अमेरिका दूतावासों पर ट्रक एवं कार बम से किए गए हमलो में सैकड़ो अमेरिकी मारे गए थे। लीबिया में अमेरिकी राजदूत की दूतावास के परिसर में हत्या कर दी गयी थी। ईरान में कई अमेरिकी राजनयिकों को बंधक बना लिया गया था। ईरान स्थित ब्रिटिश दूतावास में सैकड़ो प्रदर्शनकारी घुस गए थे और परिसर को तहस-नहस कर दिया था। तुर्किये के इंस्ताबुल स्थित ब्रिटिश दूतावास के बाहर बम फटने से ब्रिटेन के कॉन्सुल जनरल एवं अन्य राजनयिकों की मृत्यु हो गयी थी। इटली के राजदूत की डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ़ कांगो में हत्या कर दी गयी थी।

अभी सुना कि दिल्ली में ब्रिटिश दूतावास एवं राजदूत के आवास के बाहर से पुलिस बैरियर हटा लिया गया है। अब कोई भी व्यक्ति, समूह या गाड़ी बिना रोक-टोक के दूतावास एवं राजदूत के आवास के गेट तक पहुंच सकती है। अगर कोई बल का प्रयोग करना चाहे तो अंदर भी प्रवेश कर सकता या सकती है।

अब पुनः पढ़िए कि मास्को की सड़को से अमेरिकी दूतावास की गाड़ियां उठवा ली गयी थी।

 

अब मुंह पर जवाब देता है भारत https://navbharattimes.indiatimes.com/india/now-india-gives-befitting-reply-brought-britain-on-line-within-hours-understand-message-of-increased-security-indian-high-commission-london/articleshow/98914490.cms

 

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