देवांशु झा : कैसे गुम हुए प्राचीन विशाल मंदिर VDO.. ध्वंस के पारावार से पूर्ण स्तम्भ अथवा देवगृह के खंडों को चुनना–जोड़ना असाधारण कार्य..
बटेश्वर को मण्डपिका मंदिरों का स्थल कहा गया। मण्डपिका यानी चतुष्स्तंभीय मण्डप के ऊपर शिखर और आमलक कलश युक्त मंदिर। ये साधारणतः छोटे मंदिर होते थे। किन्तु बटेश्वर में मण्डपिका मंदिरों की तीन चार पंक्तियों के साथ साथ कुछ बड़े मंदिरों के प्रमाण भी मिलते हैं। ये प्रवेशद्वार के पास, मध्य में सरोवर के निकट और पीछे चंबल की पहाड़ियों से सटे हुए पाए जाते हैं।
सभी देवालय खंडित और ध्वस्त हैं। जीर्णोद्धार का काम चल रहा है। ऐसा लगता है जैसे इस विशाल क्षेत्र को एक अपूर्व सिमिट्री में गढ़ा गया था। जहां आगे और पीछे समानाकार बड़े मंदिरों के अधिष्ठान हैं। मध्य में मण्डपिकाएं मुस्कुराती हैं। मूलतः भूतभावन आशुतोष, श्रीविष्णु और देवी को समर्पित मंदिर मिलते हैं।लगभग सभी मण्डपिकाओं में शिवलिंग के प्रमाण हैं।
बटेश्वर का पुनरुद्धार हो रहा। लेकिन एक विशाल क्षेत्र में बिखरे देवालयों के अवशेष को सहेजना और स्वरूप देना दुर्गम कार्य है। इसमें जितनी तपश्चर्या है, उससे कहीं अधिक अचूक दृष्टि की आवश्यकता है। ध्वंस के पारावार से पूर्ण स्तम्भ अथवा देवगृह के खंडों को चुनना–जोड़ना असाधारण कार्य है। मेरी दूसरी भावयात्रा का वीडियो नीचे लिंक में है।
आप स्वयं देखें। आकलन करें कि चुनौती कितनी बड़ी है। देखें अवश्य।