जयराम शुक्ल : चुनावी लोकतंत्र में गाँधी और समाजवाद का होम

लोकपरंपरा में शपथ की इतनी इज्जत थी कि तुलसीदास ने लिखा-प्राण जाय पर वचन जाई। चुनावों में राजनीतिक दलों के

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