मनीष शर्मा : 26 फरवरी 2019 को बालाकोट में आखिर हुआ क्या था ???
बालाकोट और चकोटी में सर्जिकल स्ट्राइक की अपुष्ट खबरें आने लगी थी, और 6 बजे तक पाकिस्तानी ISI और DGISPR ने ये कहना शुरू कर दिया था कि भारतीय जेट्स आये और एक पहाड़ पर बम गिरा कर चले गए, जिसमे कुछ पेड़ जल गए,उखड़ गए।
एक और थ्योरी बताई गई कि भारतीय जेट्स आये और अपने fuel-टैंक्स छोड़ कर भाग गए। पाकिस्तानी air force ने भारतीय तैयारो को बेदखल कर दिया।
शुरुआत में लगा कि बालाकोट POK में होगा, LOC के आसपास लेकिन बाद में देखा तो पता लगा कि ये तो International border के भी पार था। फिर दिमाग ठनका कि कश्मीर से एंट्री कर के, international border पार करके, पाकिस्तान के air defence को dodge करके IAF वाले एक पहाड़ी पर fuel tank फेकने तो जाएंगे नही??
14 फरवरी 2019 को पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आतंकी हमले के बाद हर किसी को बस इस बात का इंतजार था कि क्या केंद्र सरकार और सेना इस हमले का बदला लेगी? 12 दिन बाद 26 फरवरी को जब लोग सुबह उठे तो उन्हें गुड न्यूज मिल चुकी थी।
इंडियन एयरफोर्स के 12 मिराज-2000 फाइटर जेट LOC और International Border पार करके बालाकोट में दाखिल हुए और उन्होंने जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी कैंप्स पर हमला किया। जबकि कुछ ही घंटे पहले पाकिस्तानी एयरफोर्स ट्वीट कर रही थी और पाकिस्तानियो को आश्वस्त कर रही थी कि सब ठीक है।
अब हम देखते हैं कि आखिर उस दिन हुआ क्या था
पुलवामा हमले के तुरंत बाद 14 फरवरी की शाम 6 बजे ही एयरफोर्स चीफ ने एक्शन की प्लानिंग शुरू कर दी थी। उन्होंने एयर मार्शल कुमार को फ़ोन किया , जो उस समय Air Officer Commanding in Chief (AOC-IN-C) थे और फरवरी के अंत में ही रिटायर होने वाले थे। कुछ बातें हुए, उसके बाद शान्ति।
16 फरवरी को सुबह 9 बजे CCS (Cabinet Committee on Security ) की मीटिंग हुई , जिसमे एयर फाॅर्स चीफ ने पूरा प्रेजेंटेशन दिया । यहाँ पर ये जानना भी जरूरी है की पाकिस्तान का एयर स्पेस 14 फरवरी के बाद ही एक तरह से बंद कर दिया गया था, ऐसे में LOC पार करके हमला करना आसान नहीं था और इससे युद्ध भी शुरू हो सकता था, ऊपर से पाकिस्तान का Nuclear Bomb का ब्लैकमेल भी कहीं ना कहीं एक एंगल था ।
18 फरवरी को एक और मीटिंग होती है, जिसमे एयरफोर्स, आर्मी, नेवी, RAW और NSA अजीत डोबाल भी होते है। इस मीटिंग में निर्णय ले लिया जाता है, इंटेलिजेंस और सॅटॅलाइट मैपिंग से पता लगता है कि सर्जिकल स्ट्राइक जैसे किसी कदम से बचने के लिए पाकिस्तान ने अपने फॉरवर्ड लांच पैड्स खाली कर दिए थे, और आतंकवादियों को कहीं अंदर भेज दिया था, और ये इलाका LOC के आस पास ना हो कर इंटरनेशनल बॉर्डर से कहीं अंदर बालाकोट था।
बालाकोट खैबर पख्तूनख्वा (KPK) प्रांत में स्थित है और ये जैश का सबसे बड़ा ट्रेनिंग कैंप भी था। इसके अलावा एक आतंकी कैंप मुजफ्फराबाद और तीसरा कैंप चकोटी में टारगेट किया गया । NTRO , ISRO और RAW का बहुत बड़ा हाथ रहा इंटेलिजेंस इकठ्ठा करने में। इसके साथ कि कुछ मित्र देशो ने भी हाई resolution images और इंटेलिजेंस पहुंचाने का काम किया।
मिशन शुरू हो गया था , इसका नाम ‘मिशन बन्दर’ रखा गया था और सबसे ज़रूरी था इसे सीक्रेट रखना । शुरू में एयरफोर्स के केवल 4 ऑफिसर्स को ही इसके बारे में बताया गया और पूरी रूपरेखा भी बना ली गयी। ये मिशन इतना सीक्रेट था कि ग्वालियर बेस से मिराज जेट्स उड़ने से कुछ ही घंटो पहले Central Air Command, के AOC-in-C को इसकी खबर दी गयी, जबकि ग्वालियर इन्ही की कमांड में है।
मिशन तैयार था, पायलट्स भी तैयार थे, अब बारी थी simulation की, क्यूकी पायलट्स जिस इलाके में जा रहे थे, उसका उन्हें अनुभव नहीं था, इजराइल के स्पाइस बम का रियल लाइफ टेस्ट भी नहीं किया गया था, सब कुछ सही रहे इसके लिए एयरफोर्स के पायलट्स ने कई दिनों तक पूरे मिशन का सिमुलेशन किया । एयर फाॅर्स ने इस मिशन के लिए 900-kg के Spice 2000 penetration bomb और Crystal Maze मिसाइल का चुनाव किया। इन स्पाइस बमो को लांच किया गया, pre-fed GPS coordinates और satellite से मिली बालाकोट, चकोटी और मुजफ्फराबाद के आतंकी कैम्प्स की तस्वीरो के हिसाब से, और कई बार टारगेट उड़ा कर देखा गया।
यहाँ ये जानना भी जरूरी है कि Spice 2000 बम Digital Seen Matching Area Correlator (DSMAC) टेक्नोलॉजी इस्तेमाल करते हैं, जिसे लांच करने के बाद फीड की गयी जीपीएस और टारगेट की तस्वीर की ही जरूरत होती है, ये बम स्मार्ट बम होते हैं, अपना टारगेट ढूंढ कर फट जाते हैं ।
एयरफोर्स ने crystal maze मिसाइल का भी इस्तेमाल किया, जिसमे एक कैमरा लगा होता है, जो मिसाइल लांच होने और उसके टारगेट पर burst होने से पहले के लाइव कैमरा फीड जेट में बैठे पायलट को देता है ।
इस दौरान देश में राजनीतिक माहौल काफी गर्म था, लोगो में गुस्सा था, लोग सरकार से सवाल पूछ रहे थे, भक्त हो या चमचे, सभी पाकिस्तान से बदला चाहते थे। प्रधानमंत्री मोदी ने बयान भी दिया था कि पाकिस्तान के आतंकी अब एक बहुत बड़ी गलती कर चुके हैं और इसकी कीमत उन्हें चुकानी पड़ेगी । वैसे आमतौर पर ऐसे बयान हमारे नेता हर आतंकवादी हमले के बाद देते आये हैं, लेकिन इस बार उम्मीदें बहुत ज्यादा थी, क्यूकी हमने उरी हमले के बाद देखा था कि हमारी सेना और सरकार ने कैसे बदला लिया था, इस बार उम्मीदों का बोझ कहीं ज्यादा था ।
बहरहाल निर्णय तो लिया जा चुका था ।
25 फरवरी को दिल्ली के आकाश मेस में एयर मार्शल कुमार का फेयरवेल हुआ , जिसे एयरचीफ ने भी ज्वाइन किया। चूंकि पाकिस्तान भी तैयार था, इसलिए अगर फेयरवेल रद्द किया जाता तो शायद कुछ गलत सन्देश चला जाता और पाकिस्तान चौकस हो जाता । इस बीच पश्चिमी सीमा पर एयर फाॅर्स ने जेट्स की sorties करना शुरू कर दिया था। ये एक deception था, जैसलमेर से लेकर श्रीनगर तक के इलाको में 4-5 दिन तक लगातार भारतीय जेट्स ने सीमा के इलाको में sorties लगाईं। इससे पाकिस्तान को सन्देश गया कि भारत सिंध या पंजाब को टारगेट कर सकता है, और उसने वहीं एयर डिफेंस को मजबूत किया।
एयर फाॅर्स के लिए ज़रूरी था कि इस मिशन को गुप्त रखा जाए, जेट्स को low altitude पर ही उड़ाया जाए, Terrain Masking का उपयोग किया जाए , साथ ही साथ पाकिस्तानी एयर डिफेन्स से भी बचने का उपाय करना था, और dog fight के लिए भी तैयार रहना था।
26 फरवरी को सुबह ग्वालियर बेस से 12 मिराज 2000 उड़ान भरते हैं , इनमे से 6 जेट्स में स्पाइस बम थे , 4 अन्य एयर डिफेन्स role के लिए थे, और बचे हुए 2 जेट्स Electronic Warfare Role के लिए थे। मिराज ग्वालियर से उड़े और सीधे उत्तराखंड की तरफ गए , वहां से एकदम से जेट्स ने पश्चिम की तरफ मूवमेंट किया, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड की सीमा के ऊपर कहीं एयरफोर्स के Aircraft Refuellers तैनात थे, उन्होंने सभी 12 जेट्स में फ्यूल भरा और उसके बाद जेट्स तैयार थे फाइनल असाल्ट के लिए। सभी जेट्स जम्मू और कश्मीर के ऊपर आये और फिर एकदम से 30,000 फ़ीट की ऊँचाई पर पहुंच गए और LOC पार कर ली। जिस समय जेट्स LOC पार कर रहे थे, उस समय भारतीय सीमा के आस पास नेत्रा एयरबॉर्न वॉर्निंग जेट्स, आईएल 78 एम, हेरॉन ड्रोन तैनात कर दिए गए थे।
मिराज जेट्स और अंदर गए और कुछ ही मिनट्स में इंटरनेशनल बॉर्डर भी पार कर लिया । रात करीब 3:30 बजे आईएएफ के 12 जेट्स केपीके प्रांत में दाखिल हुए और यहां पर उन्होंने हमले शुरू किए। 21 मिनट के अंदर मिराज 2000, लेसर गाइडेड बम, मैट्रा मैजिक क्लोज कॉम्बेट मिसाइल, लाइटनिंग पॉड की मदद से बालाकोट में हमले किए। इन हमलों में जैश के कैंप्स तबाह हुए और 300 से ज्यादा आतंकी ढेर हुए। जेट्स ने वहां जा कर बम रिलीज़ किये, टार्गेट्स को हिट किया और तुरंत वापस लौट गए।
पाकिस्तानी एयर डिफेन्स activate हुआ और तुरंत F-16 जेट्स को भेजा गया , पहले उन्हें लगा कि पंजाब की सीमा पर अटैक हुआ है , इसलिए पाकिस्तानी जेट्स पंजाब की सीमा के आस पास के इलाको की तरफ लपके , लेकिन वहां भारतीय वायुसेना अलग तैयारी करके बैठी थी , भारतीय वायुसेना की रीढ़ माना जाने वाला सुखोई 30-MKI वहां तैनात था ।
भारतीय वायु सेना ने जहां मिराज को जम्मू कश्मीर से LOC के अंदर दाखिल किया ,वहीं राजस्थान और पंजाब की सीमा पर कई सुखोई तैनात थे और एक तरह की ‘defensive screen’ बना ली गयी । F-16 ने जब सामने सुखोई देखा तो उनके होश उड़ गए क्यूकी उनका सुखोई से कोई भी मुकाबला नहीं था । सुखोई को एयर superiority फाइटर माना जाता है ,और ये एक बार में 3-4 F-16 को engage कर सकता है । पाकिस्तानी F16 जेट्स सामने सुखोई को देख कर वापस चले गए और उधर हमारे मिराज जेट्स भी भारतीय सीमा में वापस आ गए ।
इंडियन एयरफोर्स (आईएएफ) के फाइटर जेट्स की तरफ से खैबर पख्तूनख्वा के बालाकोट में हमले की खबरों ने पाकिस्तान में खलबली मचा दी, और कई हफ्तों तक उनका एयरस्पेस बंद ही रहा। ये एयर स्ट्राइक बहुत बड़ी कामयाबी मानी गयी, इंडियन एयरफोर्स के लिए यह कार्रवाई रणनीतिक तौर पर काफी सफल इसलिए है क्योंकि सन् 1971 की जंग के बाद आईएएफ ने एलओसी पार की। उसके जेट्स करीब 48 वर्ष बाद पाकिस्तान के एयरस्पेस में दाखिल हुए थे। कारगिल की जंग के समय मिराज, पीओके तक गया था। उस समय प्रधानमंत्री रहे स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी ने एयरफोर्स को पाकिस्तान में दाखिल होने से रोक दिया था।
हमने पाकिस्तान को घर मे घुस कर मारा और उसके Nuclear Bomb threat का बुलबुला भी फोड़ दिया।
बालाकोट स्ट्राइक को पहले पाकिस्तान और भारतीय विपक्ष ने भी फर्जी बताया था, लेकिन बाद में पाकिस्तानी सरकार, मिलिट्री और इमरान खान ने कई मौकों पर इस बात को कबूला था कि भारत ने ये हिमाकत की थी।
बालाकोट सर्जिकल स्ट्राइक के बाद मसूद अजहर कभी नही दिखा, ना उसके कोई बयान आये….हाफिज सईद भी अंडरग्राउंड हो गया….. क्यों ?? ये आप सोच कर बताइये।
साभार : मनीष शर्मा
