एक ओर बलिदानियों को दुत्कार.. जानवरों से प्यार…

नेहरू मेमोरियल, इंदिरा गांधी मेमोरियल, राजीव गांधी मेमोरियल बना लेकिन हजारों सैनिकों की याद में एक वॉर मेमोरियल नहीं बना।

उस विचार का सार्वजनिक विमर्श में कोई स्थान नहीं होना चाहिए जो भारत की सेनाओं की विजयों को राजनैतिक खेमों में बाँट दे और कारगिल विजय दिवस को मनाने से मना कर दे।”

 

अद्भुत दृश्य है यह…तुलना भी नहीं की जा सकती। रिटायर होते हुए निरीह, मूक जीव से इतना प्यार और भावभीनी विदाई..तो दूसरी ओर बलिदान हो चुके सैनिकों की याद में बने वॉर मेमोरियल पर विपक्ष का शोर।

 

एक ओर तो बलिदान हुए हजारों सैनिकों की याद में सेना की मांग पर 68 वर्षों से एक मेमोरियल नही बना सके तो दूसरी ओर यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं जो रिटायर हो रहे मूक जीव को भी सम्मान देते हैं।

 

 

नेहरू मेमोरियल, इंदिरा गांधी मेमोरियल, राजीव गांधी मेमोरियल बना लेकिन हजारों सैनिकों की याद में एक वॉर मेमोरियल नहीं बना। खबरों के अनुसार दिल्ली की कांग्रेस से मुख्यमंत्री रही शीला दीक्षित ने तो इसका विरोध किया था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में बना तो उस पर भी सवाल खड़े कर रहे हैं।

वरिष्ठ पत्रकार साकेत सुर्य लिखते हैं –

‘कच्चिद दारामनुष्याणम तवार्थे मृत्यमीयुषाम।

व्यसनम चाभ्यपुतेनाम विभर्षि भरतर्षभ।।’ 
– देवऋषि नारद, महाभारत, सभा पर्व, पंचम अध्याय
‘भरतश्रेष्ठ ! जो लोग तुम्हारे हित के लिए सहर्ष मृत्यु का वरण कर लेते हैं, उनके परिवारजनों की तुम रक्षा करते हो न?’

1960 में सेना द्वारा प्रस्तुत की गई सैन्य स्मारक की माँग को 2015 में मोदी सरकार के आने के पश्चात अनुमति मिलती है और 2022 में उसका उद्घाटन भी यदि राजनैतिक प्रतिक्रियाओं को आमंत्रित करता है तो हमें एक राष्ट्र के रूप में बहुत सोचने की आवश्यकता है।

राजनैतिक फूफाओं का ऐसा स्वार्थी विरोध उस सेना के उत्साह पर क्या प्रभाव डालेगा जो नेहरू काल में जीप स्कैम, उसके पश्चात साधनहीनता की विपरीत परिस्थितियों में 1962 के चीन युद्ध और बोफ़ोर्स से लेकर चीन के मिथ्या प्रचार से हाथ मिलाकर खड़े विपक्ष और विपक्ष-पोषित मीडिया को झेलते रहने के बावजूद विपरीत परिस्थितियों में कश्मीर से लेकर गलवान तक स्थितप्रज्ञ राष्ट्ररक्षा में तत्पर है, यह एक महत्त्वपूर्ण प्रश्न है।

उस विचार का सार्वजनिक विमर्श में कोई स्थान नहीं होना चाहिए जो भारत की सेनाओं की विजयों को राजनैतिक खेमों में बाँट दे और कारगिल विजय दिवस को मनाने से मना कर दे।”
वे आगे लिखते हैं ” राजनैतिक परिचर्चा के स्तर के पतन को ही हम प्रत्येक राजनैतिक आंदोलनकारी की मृत्यु को देशभक्त शहीदों की सूची में जोड़ने की विपक्ष की माँग में देखते हैं। राहुल गांधी के अनौपचारिक नेतृत्व में कांग्रेस भारतीय विवाहों में व्यंग्य का केंद्र बनने वाला फूफा हो गई है जिसे अपने अस्तित्व का एकमात्र उद्देश्य आलोचना एवं विरोध में ही दिखता है। ”

उल्लेखनीय है कि गणतंत्र दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक घोड़े को दुलारते हुए फोटो वायरल हो रहा है। वायरल फोटो में दिख रहे घोड़े का नाम ‘विराट’ है। ‘विराट’ आज अपनी सेवाओं से रिटायर हो गया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, पीएम मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गणतंत्र दिवस समारोह खत्म होने के बाद घोड़े विराट को विदाई दी। ‘विराट’ ने अपने कार्यकाल के दौरान कई राष्ट्रपतियों को सलामी दी थी।

प्रेजिडेंट्स बॉडीगार्ड चार्जर का मिला सम्मान

विराट को अपनी योग्यता और सेवाओं के लिए चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ कॉमनडेशन कार्ड से सम्मानित किया गया है। विराट को ये सम्मान उसके अनुशासन और कर्तव्यनिष्ठा के लिए दिया गया है। आज विराट के रियाटरमेंट के मौके पर पीएम विराट के बारे में बात करते दिखे। उन्होंने विराट को खूब दुलारा। उन्होंने वहां खड़े जवानों से भी विराट के बारे में जानकारी ली।

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