सेंट्रल विस्टा : सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका..1000 करोड़ वार्षिक बचेगा किराया…

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें सेंट्रल विस्टा मामले पर दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती गई थी।
दिल्‍ली में इंडिया गेट के आसपास निर्माण कार्य से संबंधित सेंट्रल विस्‍टा प्रोजेक्‍ट के कार्यों पर रोक लगाने की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि निर्माण कार्य जारी रहेगा।
सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट  पर रोक लगाने की मांग करने वाले याचिकाकर्ताओं पर सुप्रीम कोर्ट दिल्ली हाईकोर्ट से एक लाख रुपये के जुर्माना लगाने के आदेश को बदलने से साफ इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप ने कोरोना का हवाला देकर सभी निर्माण प्रोजेक्ट पर रोक की मांग नहीं की। आपकी मंशा पर दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला एकदम सही है.
उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व सेंट्रल विस्टा परियोजना के निर्माण कार्य को दिल्ली हाईकोर्ट ने जारी रखने की अनुमति देते हुए कहा था कि यह राष्ट्रीय महत्व की एक अहम और आवश्यक परियोजना है। इसके साथ ही अदालत ने इस परियोजना के खिलाफ याचिका खारिज करते हुए कहा कि यह किसी मकसद से प्रेरित और दुर्भावनापूर्ण थी।
सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट कार्य किसी भी तरह रुक जाए, इसके लिए विपक्षी पार्टियों ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को लगातार विवादित करने का प्रयास किया था। सोशल मीडिया पर भी प्रधानमंत्री आवास की लागत 20 हजार करोड़ रुपए बताकर सरकार को भी बदनाम करने का कुत्सित असफल प्रयास अब भी लगातार जारी है। राहुल गांधी ने तो सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को अपराधिक फिजूलखर्ची भी करार दिया था। विपक्ष बार-बार इस परियोजना के मुद्दे को 20 हजार करोड़ के झूठ की चाशनी में लपेटकर केंद्र पर लोगों के सामने रहा है, जो पब्लिक को पच भी नहीं पा रहा था। विपक्ष की मांग थी कि सभी सिर्फ कोरोना के पीछे सब काम छोड़कर भागे। अब कोरोना को देखते हुए सरकार के सभी विभाग तो अपना काम नहीं छोड़ वेक्सिनेशन में ही तो जुट नहीं सकते क्योंकि इसके लिए एक अलग ही प्रशिक्षित टीम पूरे देश में काम लगातार कर रही है।
केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सेंट्रल विस्टा और प्रस्तावित नए प्रधानमंत्री आवास को लेकर रोजाना सवाल कर और व्यक्तिगत टिप्पणी कर रहे विपक्ष को करारा जवाब दिया था। उन्होंने कहा था कि पंडित जवाहरलाल नेहरू जिस तीन मूर्ति में रहते थे, उसे उनके नाम से स्मारक बना दिया गया। सफदरजंग के जिस घर में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी रहती थीं, वह उनकी याद में स्मारक बन गया। आज भी जिस घर में सोनिया गांधी रहती हैं, उसे कभी भाजपा ने गांधी महल नहीं कहा। लेकिन विपक्ष उस प्रस्तावित आवास को मोदी महल बता रहा है, जिसका निर्माण भी शुरू नहीं हुआ।
2019 में बुलाया गया था ठेका
उन्होंने कहा था कि कोई भी पीएम आवास प्रधानमंत्री के लिए होता है। किसी खास व्यक्ति के लिए नहीं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया था कि प्रस्तावित सेंट्रल विस्टा में फिलहाल केवल सेंट्रल एवेन्यू यानी राजपथ जिस पर परेड होती है और नए संसद भवन का ही निर्माण कार्य चल रहा है। इन दोनों पर खर्च होने वाली राशि केवल 1,300 करोड़ रुपये है। अगर पूरे सेंट्रल विस्टा की भी बात की जाए तो उस पर 20 हजार नहीं, बल्कि 16-17 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे।जो कई वर्षों में होने हैं।
उन्होंने कहा था कि इस परियोजना में महज 1300 करोड़ रुपए की परियोजनाओं पर ही काम हो रहा है। इनके ठेके 2019 में ही बुला लिये गये थे।
1000 करोड़ + रुपये किराए के बचेंगे प्रतिवर्ष
लगभग 70,000 केंद्र सरकार के कर्मचारियों के कार्यालयों के लिए 10 सामान्य सचिवालय भवनों के निर्माण की योजना है।
वहीं सरकार का तर्क है कि मौजूदा संसद भवन और मंत्रालय बदलती जरूरतों के हिसाब से अपर्याप्त साबित हो रहे हैं।
एक मंत्रालय से दूसरे मंत्रालय जाने के लिए अधिकारियों को वाहन का इस्तेमाल करना पड़ता है। इस पर हर साल सरकार के करोड़ों रुपये खर्च होते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस प्रोजेक्ट का शिलान्यास किया था। नए संसद भवन में लोकसभा का आकार मौजूदा से तीन गुना ज्यादा होगा। राज्यसभा का भी आकार बढ़ेगा। कुल 64,500 वर्गमीटर क्षेत्र में नए संसद भवन का निर्माण टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड की ओर से कराया जाएगा।
भारत सरकार दिल्ली में अलग-अलग दफ्तरों के लिए लगभग 1000 करोड़ रूपए सालाना किराए के रूप में बिल्डिंग के मालिकों को देती है।
यह किराया पिछले 70 साल से दिया जा रहा है और हर साल बढ़ता भी हैं. इस किराए को ख़त्म करने के लिए 970 करोड़ रूपए का प्रोजेक्ट सेंट्रल विस्टा के रूप में शुरू किया गया हैं।
ट्रैफिक की समस्या सुलझेगी
इस प्रोजेक्ट के पूरा होने पर सबसे बड़ी बात केंद्रीय मंत्रालयों के समस्त कार्यालय एक ही स्थान पर होने के चलते दिल्ली में बड़े मिनिस्टर की गाड़ियों की आवाजाही में कमी आएगी, जिससे दिल्लीवासियों को ट्रैफिक की समस्या में भी मुक्ति मिलेगी।
1000 करोड़ रूपयों का किराया 
इस एक बार खर्च हो रहे 970 करोड़ की वजह से भारत के टैक्स पेयर्स का हरेक साल 1000 करोड़ रूपए का बेकार जा रहा किराया बचेगा, जो की अन्य योजनाओं में काम आएगा।
लेकिन तमाम विपक्षी पार्टियां इसका दुष्प्रचार ऐसे कर रही हैं जैसे यह सेंट्रल विस्टा भारत की नहीं बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की निजी सम्पति है। मुख्य बात यह भी है कि जिन सरकारी दफ्तरों के लिए जमीनों को,मकानों,बिल्डिंग को भारत सरकार ने किराए पर ले रखा है,  वो ज्यादातर हल्ला मचा रहे विपक्षी नेताओं या फिर उनके रिश्तेदारों की हैं।
केवल संसद भवन बनाने की लागत 971 करोड़ है। इस पूरे प्रोजेक्ट की लागत करीब 17000 करोड़ रुपये आने वाली है। उसमें भी ये लागत अगले कई वर्षों में खर्च की जानी है।  कोरोना से लड़ने के लिए सरकार ने करीब 35 हजार करोड़ का सालाना बजट निर्धारित किया है, जो सेंट्रल विस्टा की कॉस्ट से लगभग दोगुना है। ऐसे में सरकार मानती है कि केवल राजनीतिक कारणों से ही यह मुद्दा उठाया जा रहा है।
प्रोपेगैंडा किया गया कि सेंट्रल विस्टा परियोजना के चलते जामुन के कई पेड़ उखाड़े जा सकते हैं। इस पर भी श्री पुरी ने ट्वीट किया था कि  ”सेंट्रल विस्टा परियोजना को लेकर जारी कार्य के बारे में बेबुनियाद खबरों और फर्जी तस्वीरों पर भरोसा नहीं करें। जामुन का कोई पेड़ नहीं हटाया गया है. पूरी परियोजना के तहत केवल कुछ ही पेड़ों का प्रत्यारोपण किया जाएगा. कुल हरियाली क्षेत्र में भी इजाफा होगा।”

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