भूपेन्द्र सिंह : जातिवाद.. राम मंदिर ट्रस्ट में ठाकुर क्यूँ नहीं है.. बनिया, पटेल, नाई भी…

जब उत्तर प्रदेश चुनाव में ब्राह्मण विरोध का नारा गुंजायमान हुआ तो हिंदू भाव के लोग निराश होने लगे कि कितना भी प्रयास कर लीजिए, हिंदू कभी एक नहीं होने वाले। इन सबके बावजूद हिंदू समाज एक हुआ और भाजपा की सरकार प्रचंड बहुमत के साथ बनी। जो समाज विभिन्न दलों के ग़ुलाम हैं उनके अतिरिक्त सर्व समाज ने लगभग औसतन 70% मत योगी जी के लिए दिया और ब्राह्मणों का तो लगभग 75-80% मत भाजपा के लिए आया।
इस बार भी इसी तरह राजपूत समाज के वो संगठन जिनका ज़मीन पर वास्तव में कोई अस्तित्व नहीं है, वह तरह तरह के मुद्दे लेकर माहौल बना रहे हैं कि वह नरेंद्र मोदी के साथ नहीं हैं। कुछ एक लोग तो दावा कर रहे हैं कि राजपूत बीस राज्यों में महत्वपूर्ण संख्या में हैं, उन्हें अलग होकर अपनी शक्ति जुटानी चाहिए। राजपूत भाजपा को सबक़ सिखा देंगे। यह सब भी एक प्रकार का प्रलाप है। इसका ज़मीन पर वास्तव में कोई प्रभाव नहीं है। इस बार फिर से 80% राजपूत वोट भाजपा को प्राप्त होने वाला है।
हर चुनाव में किसी न किसी जाति को हिंदुओं में फुट और हिंदुत्ववादियों में कुंठा डालने के लिए खड़ा कर दिया जाता है। अगली बार चुनाव में किसी और जाति के जातीय संगठनों को खड़ा कर दिया जाएगा। यह क्रम चलता रहेगा। इन सब बातों से लड़ने की आवश्यकता है, न कि यह कहने की कि अब हिंदुत्व में बारे में लिखने बोलने का मन नहीं होता। आज का समय इतना सकारात्मक है तब इस तरह के बातों का कोई औचित्य नहीं। कल्पना करिए कि इस देश में लोग तब भी हिंदुत्व के लिए लड़ते रहे जब सैकड़ों वर्षों तक दिल्ली की गद्दी पर कभी तुर्की तो कभी मुग़ल तो कभी अंग्रेज बैठते रहे। तब लोगों ने ऐसी निराशाजनक बातें की होती तो आज क्या हमारी पहचान बची होती?
मूर्ख, कुंठित, बिकाऊ, बेवक़ूफ़, कमबुद्धि के लोगों के चक्कर में हताश निराश परेशान होने की कहीं कोई आवश्यकता नहीं है। क्षत्रिय समाज को कंफ्यूज किया जा रहा है। कुछ अपने विचार के लोग भी इसके शिकार होंगे तो इसमें तिलमिलाने की आवश्यकता नहीं है।
अभी टी शर्ट के ऊपर भगवा पगड़ी पहनने वाले जोकर जैसे एक नेता को मैंने देखा। वह उस व्यक्ति के सामने सिर झुकाए हुए खड़ा था जो फूलन देवी की जयंती मनाते हुए पूरे ठाकुर समाज को गाली देता है, उस जोकर को उसके सामने सिर झुकाने से कोई परेशानी नहीं है क्यूँकि हर जातिवादी एक दूसरे से घृणा करते हुए भी वह होता अंततः विपक्षी दलों का एजेंट ही। प्रत्येक जाति का जातिवादी गटर विपक्षी दलों के नाले में जी जाकर मिलता है।
सवर्ण बनिया समाज जो हमेशा से भाजपा का कोर वोटर रहा है, उसको पूरे प्रदेश में केवल वहीं एक टिकट मिला है। उसका बदस्तूर विरोध कुछ लोगों द्वारा जारी है। राम मंदिर ट्रस्ट में ठाकुर क्यूँ नहीं है इसको लेकर भी बड़ा मुद्दा बनाया जा रहा है। पहली बात तो यह कि राम मंदिर ट्रस्ट में यदि ठाकुर नहीं हैं तो बनिया भी नहीं हैं, कोइरी भी नहीं हैं, पटेल भी नहीं हैं, कहार, लोहार, पासी, नाई, मल्लाह भी नहीं हैं, लेकिन जो भी हैं वह सब सूर्यवंशीय भगवान श्री राम के ही सेवा के लिए हैं।
ट्रस्ट में ज़्यादातर लोग संत समाज के हैं। संत समाज में अधिकांश लोग ब्राह्मण समाज के ही होते हैं क्यूँकि बाक़ी जातियों में किसी का लड़का यदि संन्यास ले तो घर वाले ही बवाल कर देते हैं जबकि ब्राह्मण समाज में यह सहज स्वीकार्य है। उससे महत्वपूर्ण बात कि क्या राम मंदिर आंदोलन जाति देखकर हुआ था? क्या उसमें एक जाति के लोग हिस्सेदार थे?? क्या भगवान की भी कोई जाति है? बहुत सारी जातियों के नाम तो सन् एक हज़ार साल से पूर्व कहीं मिलते ही नहीं।
 वर्ण मिलते हैं। पुरुषोत्तम रूपाला के बयान पर हौवा खड़ा कर रहे हैं। गुजरात का राजपूत समाज वहाँ के पटेल समाज के साथ मिलकर रहता हैं। उसमें भी फुट डालने का प्रयास जारी है।
हर आदमी अपने बराबरी में ही संबंध रखता है, रूलिंग क्लास रूलिंग क्लास के साथ संबंध में था। इसमें इतना ज़्यादा आपको बुरा लग रहा है तो आप बुरा लगने के लिए तैयार बैठे थे। जिस राजस्थान में सबसे महत्वपूर्ण संख्याबल है वहाँ कांग्रेस ने मुसलमान तक को मुख्यमंत्री बनाया पर राजपूतों को नहीं बनाया। भाजपा ने तो कई कई बार बनाया।
देश में सभी जातियों को भ्रम है कि उनकी संख्या बहुत ज़्यादा है। सच बात तो यह है कि ये सभी जातियाँ जितना दावा करती हैं अपने प्रतिशत के बारे में यदि उसे जोड़ा जाय तो यह प्रतिशत 500% पर पहुँच जाती हैं। नीतीश कुमार ने जातीय जनगणना करके सबको सबकी असल औक़ात कम से कम बिहार में दिखा दी। मेरा मानना है कि भाजपा को भी एक बार यह जातीय जनगणना करा ही देनी चाहिए, कम से कम भ्रम में जी रहे सभी जातियों को उनकी असली संख्या पता चल जाय। एक बार में ही सबकी सारी अकड़ ढीली होनी ज़रूरी है। ये सब बड़े बड़े दावे करती वाली जातियाँ बमुश्किल 4-5% भी नहीं हैं।
वैसे भी यह चुनाव भाजपा जीत रही है। मोदी जी पुनः प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं, समझदार लोग कभी नहीं चाहेंगे कि कल को यह कहा जाय कि आपके विरोध के बावजूद भी मोदी जी प्रधानमंत्री बन गए।

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