नमो भारत : भाग-03.. दलालों के बैंक खाते स्विट्जरलैंड में.. जनधन में गरीबों के बैंक खाते…

2014 के पूर्व दलालों, भ्रष्टाचारियों लोग स्विट्जरलैंड में खाता खोलते थे। देश के आमजनों तक बैंकिंग प्रणाली की पहुंच हो सके इस दिशा में कभी कोई सार्थक प्रयास किया ही नहीं गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता सम्हालने के बाद स्थिति में बदलाव आया है।

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मोदीयुग में लगभग 54 करोड़ आम लोगों के जनधन खाते खुले हैं। जनधन खाते खोलने की योजना का विरोध विपक्षी दलों ने किया था।

भारतीय अर्थव्यवस्था को ऊंचाई पर ले जाने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना जनधन योजना का बहुत अधिक योगदान है।

वित्त मंत्रालय के द्वारा जारी पूर्व में एक बयान के अनुसार –  “वास्तविकता यह है कि स्विस बैंकों में भारतीय उपभोक्ताओं के जमा में गिरावट आई है।”

गरीबी दूर करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने वित्तीय समावेशन को बेहद महत्वपूर्ण बताया है। यदि लोग बड़ी संख्या में वित्तीय सेवाओं से वंचित रहेंगे तो यह हमारे देश के विकास में बाधा बनेगा। नागरिकों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए इस योजना की आवश्यकता थी जिससे सभी इससे होने वाले लाभ और विकास का हिस्सा बन सकें।

विश्व की सबसे बड़ी वित्तीय समावेशन योजना प्रधानमंत्री जन-धन योजना (पीएमजेडीवाय) की घोषणा प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त 2014 को ऐतिहासिक लाल किले से की थी जिसका शुभारम्भ 28 अगस्त 2014 को पूरे देश में किया गया। योजना के शुभारम्भ के समय माननीय प्रधानमंत्री जी ने इसे गरीबों की इस दुष्चक्र से मुक्ति के त्योहार के रूप में मनाने का अवसर बताया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक प्राचीन संस्कृत श्लोक -सुखस्‍य मूलम धर्मः , धर्मस्‍य मूलम अर्थः, अर्थस्‍य मूलम राज्‍यम का सन्दर्भ दिया जिसके अनुसार आर्थिक गतिविधियों में लोगों को शामिल करने की ज़िम्मेदारी राज्य की है। माननीय प्रधानमंत्री जी ने कहा था कि “सरकार ने यह ज़िम्मेदारी उठा ली है”। प्रधानमंत्री जी ने इसके लिए योजना के आरंभ में।लगभग 7.25 लाख बैंक कर्मचारियों को ईमेल भेजा था जिसमें उन्होंने 7.5 करोड़ बैंक खातों को खोलने के लक्ष्य को प्राप्त करने और वित्तीय अस्पृश्यता को समाप्त करने में मदद करने का आग्रह किया था।

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