छन्द क्या हैं..?

ब्राह्मणों के अद्भुत-विज्ञान
——————————-
ऊर्जा तरंग के रूप में गति करती है। ये तरंग ही वैदिक भाषा में छन्द कहलाते हैं। आङ्गल भाषा में इन्हें Wavea या Rays कहा जाता है। छन्दों के अनेकानेक भेद हैं। मुख्य छन्दों को सूर्य के घोडे कहा गया है—-

“ह्याश्च सप्त छन्दांसि तेषां नामानि मे शृणु।
गायत्री च बृहत्युष्णिग्जगतीत्रिष्टुवेव च।
अनुष्टुप्पंक्तिरित्युक्ताश्छन्दांसि हरयो रवे।।”
(विष्णु पुराण)

Veerchhattisgarh

इन्हीं सात छन्दों को यजुर्वेद (17.79) में अग्नि की सात जिह्वा कहा है।
यजुर्वेद (14.19) का मन्त्र देखिए——

“पृथिवी छन्दोsन्तरिक्षं छन्दो द्यौश्छन्दः समाश्छन्दो नक्षत्राणि छन्दो वाक् छन्दो मनश्छन्दः कृषिश्छन्दो हिरण्यं छन्दो गौश्छन्दोsजाश्छन्दोsश्वश्छन्दः।।”

यहाँ पृथिवी, मन, वाक्, अजा अश्वादि को छन्द कहा गया है कि ऊर्जा जो छन्द रूप में होती है, वही घनीभूत होकर पृथिवी आदि नाना रूपों में अभिव्यक्त हो जाती है।

क्रमशः—

-साभार

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *