देवांशु झा : अमताच्चन.. सबसे सरलता से वेध्य, आखेट्य सुपरस्टार!

अमताच्चन..

सबसे सरलता से वेध्य, आखेट्य सुपरस्टार!

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सिने संसार की सारी नैतिक शिक्षाएं अमिताभ के लिए हैं!

सारे उपदेश, उलाहनाएं अमिताभ के लिए!

एक बार ध्यान से सभी सुपरस्टार का जीवन पलट कर देख लीजिए। अमिताभ जैसा अनुशासित, भद्र और धैर्यवान दूसरा नहीं मिलेगा। यह बड़ा ही सरल सा नियम है संसार का–जो जितनी आसानी से बींधा जा सके, उसे उतना बींधो।

लेकिन वह दिलीप कुमार से लेकर धर्मेन्द्र और राजेश खन्ना,… इन तीनों से बहुत बेहतर मनुष्य हैं। अभिनय, स्टारडम और सुदीर्घ कलाजीवन की तो बात नहीं ही करूंगा। अमिताभ हिन्दी सिनेमा के पहले और अंतिम ऐसे सुपर स्टार रहे, जो खांटी हिन्दी पट्टी से आए। जिसकी काया भी क्लासिक अर्थ में सुडौल नहीं थी। चेहरा भी साधारण। गंगा किनारे का हिन्दी वाला अमिताभ एक पंजाबी डामिनेटेड फिल्म इंडस्ट्री को बड़ी कठिनाई से स्वीकार हुआ। मैंने अमिताभ के दर्जनों पुराने विडियोज देखे हैं। ये वीडियो फिल्मी समारोहों, फंक्शन के हैं और वहां हमेशा उन्हें एकाकी, छोटे अभिनेताओं के साथ पाया। दक्षिण के एकछत्र राजाधिराज रजनीकांत आज भी अमिताभ के लिए कृतज्ञ रहते हैं।

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आप धर्मेंद्र के सारे इंटरव्यू देख लीजिए। राजेश खन्ना के पुराने इंटरव्यू देखिए। वे हमेशा अमिताभ को अस्वीकार करते रहे हैं।बिना नाम लिए साधारण सिद्ध करने की कोशिश। धर्मेंद्र में बड़ी गजब की आत्ममुग्धता है। राजेश खन्ना तो दंभ का ही दूसरा नाम रहे। अमिताभ का कोई एक स्टेटमेंट निकाल कर दिखला दीजिए जिसमें उन्होंने कभी अपनी प्रशंसा की हो। या उनका गुरूर सामने आया हो। मैं जानता हूं, यहां भी बड़े उपदेशक आएंगे। पर अमिताभ पर मुझे नाज़ है। वह हिन्दी पट्टी से उठकर हिन्दी सिनेमा के आकाश पर टिमकने वाले तारे हैं। अद्भुत हैं। अद्वितीय हैं। उन्हें शुभकामनाएं। सौ वर्ष जियें। आज भी केबीसी में उन्हें देखना एक हर्ष है।वह सकारात्मक ऊर्जा से भरे उत्फुल्ल, अकुंठ स्टार हैं।

और हां– मैं आज भी फेके हुए पैसे नहीं उठाता!–यह एक डायलॉग बोलकर भी अगर वह खत्म हो गए होते तो भी, मेरे लिए चिरस्मरणीय अभिनेता रहे होते!

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