लता मंगेशकर ने वीर सावरकर को सार्वजनिक रूप से…

‘नाम गुम जाएगा, चेहरा ये बदल जाएगा, मेरी आवाज़ ही पहचान है’

★ सावरकर की प्रेरणा से गाना शुरू किया

★ लता मंगेशकर ने कहा था कि वीर सावरकर की आलोचना करने वालों को राष्ट्रवाद की समझ नहीं है।

वीर सावरकर द्वारा रचित इस गीत को स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर ने अपनी आवाज दी, जिसमें उनका लय-ताल अद्भुत है..

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जिस उद्योग में एक संस्कृति और एक धर्म के विरुद्ध असीमित, अनंत घृणा रही, वहाँ धारा के विरुद्ध बहकर भी उन्होंने अपने करियर को यथावत रखा और अपनी संस्कृति की रक्षा भी की; जिस उद्योग में भारत के पक्ष मात्र में बोलने के लिए ही बड़े से बड़े एक्टर्स एवं गायकों को वामपंथी गैंग ‘कैन्सल’ कर देते हो, वहाँ लता मंगेशकर आजीवन विनायक दामोदर सावरकर जैसे प्रख्यात एवं ओजस्वी क्रांतिकारी को आयुपर्यंत अपना समर्थन देती आई।


लता मंगेशकर ने बॉलीवुड में करीब सात दशक तक अपनी मधुर आवाज से लोगों के दिलों पर राज किया है। वह दुनियाभर में ‘भारत की नाइटिंगेल’ के नाम से मशहूर हैं।

लता मंगेशकर और उनका परिवार उन लोगों में से हैं, जिन्होंने कभी भी कांग्रेस और उसके वफादारों के बनाए गए सिस्टम के प्रोपेगेंडा पर भरोसा नहीं किया। वे कहती थी कि वीर सावरकर भारत की स्वतंत्रता के लिए समर्पित देशभक्त और प्रतिभाशाली व्यक्ति थे, जो कविता और लेखन का कार्य भी करते थे।


लता मंगेशकर और उनका परिवार वीर सावरकर के साथ अपने घनिष्ठ संबंधों को लेकर हमेशा गौरवान्वित रहा है। हर साल सावरकर की जयंती और पुण्यतिथि पर (28 मई और 26 फरवरी) लता मंंगेशकर हिंदुत्व के इस विचारक को सार्वजनिक तौर पर श्रद्धांजलि देने और अंग्रेजों के खिलाफ भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उनके अमूल्य योगदान को दोहराने से कभी नहीं कतराती थीं।

हिंदी सिनेमा की सबसे लोकप्रिय पार्श्व गायिका लता मंगेशकर ने वीर सावरकर की प्रशंसा की थी, जिसके बाद वह कांग्रेस के निशाने पर भी आ गईं थी। आठ दशकों से हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्री में सक्रिया लता मंगेशकर ने कहा था कि वीर सावरकर की आलोचना करने वालों को राष्ट्रवाद की समझ नहीं है।

लता मंगेशकर स्वातंत्र्यवीर सावरकर को अपना आदर्श मानती थी। देश में एक समय ऐसा भी था जब कांग्रेस वीर सावरकर को लेकर राजनीति कर रही थी। ऐसे समय में लता मंगेशकर ने वीर सावरकर का खुला समर्थन किया था।

 

लता मंगेशकर स्वातंत्र्यवीर सावरकर को अपना आदर्श मानती थी

लता मंगेशकर स्वातंत्र्यवीर सावरकर को अपना आदर्श मानती थी। देश में एक समय ऐसा भी था जब कांग्रेस वीर सावरकर को लेकर राजनीति कर रही थी। ऐसे समय में लता मंगेशकर ने वीर सावरकर का खुला समर्थन किया था। इसके अलावा उन्होंने स्वातंत्र्यवीर सावरकर का विरोध करने वालों के ज्ञान पर ही प्रश्नचिह्न लगा दिया था और उनकी हरकतों को बचकाना करार दिया था। इतना ही नहीं लता मंगेशकर ने कई अवसर पर बताया है कि उनके और स्वातंत्र्यवीर सावरकर के परिवार के बीच अच्छे संबंध रहे हैं।

लता मंगेशकर ने अपनी किशोरावस्था में समाज सेवा का प्रण लिया था और वह राजनीति में आना चाहती थीं और देश सेवा के प्रति उनका जुनून देखने लायक था। इसके लिए वह क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर के साथ विचार-विमर्श और परामर्श कर रहीं थी। एक समय ऐसा भी आया जब लता समाज के लिए गायन छोड़ने जा रही थीं। उस वक्त सावरकर ने उनसे मिलकर उन्हें समझाया और उन्हें उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर की याद दिलाई जो उस समय भारतीय शास्त्रीय संगीत में प्रसिद्धि पर थे।

सावरकर ने ही लता को समझाया था कि संगीत और गायन के प्रति समर्पित होकर भी वो समाज की सेवा कर सकती हैं। इसके बाद लता मंगेशकर ने संगीत में करियर बनाने को लेकर अपनी धारणाओं को बदला।

सावरक ने लता से कहा, ‘आप एक ऐसे पिता की संतान हैं, जिनका शास्त्रीय संगीत के जगत पर नाम चमक रहा है। अगर तुम्हें देश की सेवा करनी है तो तुम संगीत के जरिए भी ऐसा कर सकती हो।’ इसी के बाद लता मंगेशकर का मन बदल गया था।

लता मंगेशकर पर वामपंथियों के अनर्गल प्रलाप का कोई असर कभी नहीं पड़ा। वे न केवल वीर सावरकर का सम्मान करती थी, अपितु उनके परिवार के संबंध वीर सावरकर व उनके परिवार के साथ बेहद घनिष्ठ थे। हर वर्ष लता मंगेशकर उनके जन्मदिवस यानि 28 मई और उनके मृत्युदिवस यानि 26 फरवरी पर उनका स्मरण करती थीं।

 

 

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