पराग्वे से दुनिया तक: प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आयुर्वेद की बढ़ती वैश्विक उपस्थिति के बारे में बताया

  • आयुष मंत्री श्री प्रतापराव जाधव ने आयुर्वेद को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देने में माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व के लिए हार्दिक आभार व्यक्त किया

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मन की बात के 117वें एपिसोड में पैराग्वे में किए जा रहे प्रेरक कार्यों का हवाला देते हुए आयुर्वेद की बढ़ती वैश्विक उपस्थिति के बारे में बताया। उन्होंने कहा की दक्षिण अमेरिका में पैराग्वे नाम का एक देश है। वहां रहने वाले भारतीयों की संख्या एक हजार से अधिक नहीं होगी। पैराग्वे में एक अद्भुत प्रयास किया जा रहा है। पैराग्वे में भारतीय दूतावास में एरिका ह्यूबर आयुर्वेद परामर्श प्रदान करती हैं। बड़ी संख्या में स्थानीय लोग आयुर्वेदआधारित सलाह लेने के लिए उनसे संपर्क कर रहे हैं।

यह मान्यता स्वास्थ्य और तंदुरुस्ती की वैश्विक प्रणाली के रूप में आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए आयुष मंत्रालय की अटूट प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है।

Veerchhattisgarh

आयुष मंत्रालय के केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के राज्य मंत्री श्री प्रतापराव जाधव ने कहा, “हम आयुर्वेद को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देने में माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व के लिए आभार व्यक्त करते हैं। आयुष मंत्रालय आयुर्वेद को एक सार्वभौमिक स्वास्थ्य समाधान के रूप में आगे बढ़ाने और इसकी वैश्विक उपस्थिति को मजबूत करने की अपनी प्रतिबद्धता में दृढ़ है।

मंत्रालय उन पहलों का नेतृत्व कर रहा है, जिन्होंने आयुर्वेद के पदचिह्न को दुनिया भर में महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाया है:

वैश्विक पहुंच और सहयोग: मंत्रालय ने सहयोगी अनुसंधान और शिक्षा को बढ़ावा देते हुए 24 देशस्तरीय और 48 संस्थानस्तरीय समझौता ज्ञापनों (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। इसके अतिरिक्त आयुर्वेद शिक्षा और अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए वैश्विक स्तर पर 15 अकादमिक l स्थापित की गई हैं। आयुष सूचना प्रकोष्ठ 35 देशों में 39 स्थानों पर काम करते हैं । यह ज्ञान केंद्रों के रूप में काम करते हैं।

रणनीतिक समझौते: मील के पत्थर में डब्ल्यूएचओ के साथ दाता समझौता, वियतनाम के साथ औषधीय पौधों के सहयोग पर समझौता ज्ञापन और मलेशिया और मॉरीशस के साथ आयुर्वेद पर ऐतिहासिक समझौता शामिल है। ये साझेदारियां सभी के लिए समग्र स्वास्थ्य के भारत के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाती हैं।

मान्यता और संस्थागत समर्थन: जामनगर में डब्ल्यूएचओ वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा केंद्र की स्थापना और इस वर्ष डब्ल्यूएचओ द्वारा आईसीडी-11 में पारंपरिक चिकित्सा को शामिल करना आयुर्वेद की वैश्विक मान्यता में एक महत्वपूर्ण कदम है।

आयुष वीजा और हील इन इंडिया: आयुष वीजा जैसी पहल चिकित्सा पर्यटन को सुविधाजनक बना रही हैं, जिससे भारत समग्र उपचार के लिए एक पसंदीदा गंतव्य बन गया है।

29 अक्टूबर, 2024 को 150 देशों में मनाए जाने वाले 9वें आयुर्वेद दिवस की सफलता आयुर्वेद की बढ़ती वैश्विक स्वीकृति को और दर्शाती है। “वैश्विक स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेद नवाचार” थीम पर आधारित इस कार्यक्रम ने पारंपरिक चिकित्सा और स्वास्थ्य समाधानों में भारत के नेतृत्व को प्रदर्शित किया।

सरकार की वैश्विक पहलों के प्रभाव का उल्लेख करते हुए आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने कहा की प्रधानमंत्री की दूरदर्शिता और आयुष मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) का निरंतर मार्गदर्शन और समर्थन आयुष की वैश्विक स्वीकृति के निर्माण में महत्वपूर्ण रहा है। आयुष संस्थानों के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का नेटवर्क लगातार बढ़ रहा है और पारंपरिक चिकित्सा में भारत के नेतृत्व और वैश्विक स्वास्थ्य सेवा में इसकी प्रासंगिकता को उजागर करता है।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *